नितिन गडकरी ने पंडित नेहरू को याद करते हुए किया मोदी-शाह के नेतृत्व पर हमला, कहा: सहिष्णुता देश की सबसे बड़ी पूंजी
मोदी सरकार में वरिष्ठ मंत्री नितिन गडकरी में इशारों-इशारों में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “अगर मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद-विधायक अच्छा काम नहीं कर रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? मैं।”
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक नया बयान दिया है, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निशाने पर हैं। उन्होंने कहा है कि सिर्फ अच्छा बोलने से कोई चुनाव नहीं जीत सकता। दिल्ली में हुए सूचना-प्रसारण मंत्रालय के सालाना लेक्चर में गडकरी ने कहा कि, “आप सबसे विनम्रता से बात करते है, अच्छा बोलते हैं। यह लोगों को आकर्षित करेगा, मगर इससे आप चुनाव नहीं जीत सकते। आप विद्वान हो सकते हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि लोग आपको वोट दें। जिन्हें लगता है कि वह सबकुछ जानते हैं, उनकी सोच गलत है। आत्मविश्वास और अहंकार में अंतर है। आपको आत्मविश्वासी होना चाहिए, लेकिन अहंकार से बचना चाहिए।”
ध्यान रहे कि हाल ही में नितिन गडकरी ने तीन राज्यों में बीजेपी की हार के बारे में कहा था कि, “सफलता के तो कई पिता (दावेदार) होते हैं, लेकिन असफलता अनाथ होती है। जहां सफलता है, वहां श्रेय लेने वालों की होड़ लगी होती है, लेकिन हार में हर कोई एक दूसरे पर उंगली उठाने लगता है।“
गडकरी के इस बयान को ही मोदी-शाह के नेतृत्व पर सीधा हमला माना जा रहा था, जिसपर गडकरी ने फिर सफाई भी दी थी। उन्होंने कहा था कि वे तो बैंकिंग इंडस्ट्री की बात कर रहे थे। उन्होंने ट्वीट भी किया था, “पिछले कुछ दिनों से मीडिया का एक वर्ग और विपक्ष मेरे बयानों को तोड़मरोड़ कर पेश कर रहा है. विपक्ष मेरे बयान का गलत संदर्भ में इस्तेमाल कर पार्टी और मेरा नाम बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।”
लेकिन उन्होंने फिर से ऐसा ही बयान दिया है। खुफिया विभाग के अधिकारियों को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, “चुनाव जीतना अच्छा है, मगर चुनाव जीतकर अगर आओ लोगों के जीवन स्तर में बदलाव नहीं ला सकते तो हमारे सत्ता में आने या जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”
गडकरी ने अपने करीब घंटे भर के भाषण में पंडित नेहरु को याद करते हुए कहा कि, सहिष्णुता भारत की सबसे बड़ी पूंजी है। उन्होंने कहा, “ पंडित नेहरु ने कहा था कि भारत एक देश नहीं बल्कि आबादी है। अगर हम किसी समस्या का हल नहीं दे सकते तो हमें समस्या का हिस्सा भी नहीं बनना चाहिए।“ उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि, “यह मानसिकता ठीक नहीं कि किसी ने ऐसा किया तो मैं भी ऐसा ही करूंगा।”
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