नीति आयोग के उपाध्यक्ष की मोदी सरकार को नसीहत, कहा, सरकार को लेनी होगी नाकामियों की जिम्मेदारी
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले 4 साल के कामकाज पर गौर करना जरूरी है, क्योंकि यह सरकार पिछले मुद्दों से उबर चुकी है, इसलिए सरकार को अपनी खूबी के आधार पर निर्णय करना चाहिए।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि केंद्र सरकार 'कांग्रेस से विरासत में मिली' कहकर बहाना नहीं बना सकती। सरकार को अपनी उपलब्धि ही नहीं, बल्कि विफलताओं की भी जिम्मेदारी लेनी होगी।
ऐसा अक्सर देखा जाता है कि सत्ताधारी बीजेपी और इसके कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस पर शासन की विफलता, नीति पंगुता और अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का आरोप लगाते हैं, और काम में सुस्ती का सवाल उठाए जाने पर 'कांग्रेस से विरासत में मिली' कहकर बचने की कोशिश करते हैं।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) शासन से 2014 में मौजूदा सरकार को मिली विरासत के संदर्भ में राजीव कुमार ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले 4 साल के कामकाज पर गौर करना जरूरी है, क्योंकि यह सरकार पिछले मुद्दों से उबर चुकी है, इसलिए सरकार को अपनी खूबी के आधार पर निर्णय करना चाहिए।
राजीव कुमार ने कहा, "अर्थव्यवस्था विरासत में मिली उन समस्याओं से उबर चुकी है, इसलिए किसी प्रकार का बहाना बनाने के लिए उनका प्रयोग अब नहीं किया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, “सरकार ने उन समस्याओं से निजात पाने के लिए विमुद्रीकरण, जीएसटी, ऋणशोधन क्षमता और दिवाला संहिता, बेनामी कानून, रेरा और बैंकों का पुनर्पूजीकरण जैसे बड़े सुधार लाए हैं। मेरा मानना है कि हम आखिरकार उनसे उबर चुके हैं और इसलिए सरकार को अपनी खूबी के आधार पर निर्णय करना चाहिए।” नीति आयोग के उपाध्य ने मोदी सरकार द्वारा विमुद्रीकरण और जीएसटी लागू करने के फैसले को उपलब्धियों में शुमार किया, लेकिन देश में इसका क्या असर हुआ यह किसी से छिपा नहीं है।
राजीव कुमार ने कहा कि निर्यात क्षेत्र का प्रदर्शन चिंता का सबब है और पानी का भी संकट पैदा होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि पानी संकट और शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली समेत बीजेपी के वरिष्ठ नेता लगातार कांग्रेस पर अर्थव्यवस्था को बर्बाद करके छोड़ जाने का आरोप लगाते रहे हैं और कहते रहे हैं कि सरकार इसे पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है।
चाहे बैंकों के फंसे हुए कर्ज (एनपीए) का मसला हो या नीरव मोदी से जुड़ा पंजाब नेशनल बैंक फर्जीवाड़ा या फिर बैंकिंग क्षेत्र की खराब हालत, सुस्त जीडीपी वृद्धि दर, वित्तीय घाटे की स्थिति और तेल की कीमतों में इजाफा का, बीजेपी नेताओं ने हर मौके पर इसके लिए पूर्व की यूपीए सरकार से विरासत में मिली बताया है।
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