नीति आयोग के सदस्य बोले- कश्मीर में इंटरनेट पर रोक से नहीं पड़ता कोई फर्क, गंदी फिल्में देखते हैं वहां के लोग
नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने कहा कि यह जितने नेता कश्मीर में जाना चाहते हैं, वो किस लिए जाना चाहते हैं? वो जैसे आंदोलन दिल्ली की सड़कों पर हो रहा है, वो कश्मीर में सड़कों पर लाना चाहते हैं, और जो सोशल मीडिया है, वो उसको आग की तरह इस्तेमाल करता है।
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगाने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार कई बार सफाई दे चुकी है। सरकार की ओर से अलग-अलग बयान सामने आते रहते हैं। अब नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाने का बचाव करते हुए विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि घाटी में इंटरनेट पर लगी पाबंदी का अर्थव्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि वहां पर इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ गंदी फिल्में देखने के लिए किया जाता था।
एक कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह जितने नेता वहां जाना चाहते हैं, वो किस लिए जाना चाहते हैं? वो जैसे आंदोलन दिल्ली की सड़कों पर हो रहा है, वो कश्मीर में सड़कों पर लाना चाहते हैं, और जो सोशल मीडिया है, वो उसको आग की तरह इस्तेमाल करता है। वहां (कश्मीर) इंटरनेट ना हो तो क्या फर्क पड़ता है? और वैसे भी आप इंटरनेट में वहां क्या देखते हैं? क्या ई-टेलिंग हो रहा है वहां पे? वहां गंदी फिल्में देखने के अलावा कुछ नहीं करते आप लोग।”
जब पत्रकारों ने वीके सारस्वत से उनके बयान का मतलब पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मैं यह कह रहा हूं कि अगर कश्मीर में इंटरनेट नहीं है तो उससे अर्थव्यवस्था पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है।”
सारस्वत ने आगे कहा, “कश्मीर में इंटरनेट बंद है, लेकिन क्या गुजरात में इंटरनेट उपलब्ध नहीं है? कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी लगाने की अलग वजह है। अगर धारा 370 को हटाया जाना था और कश्मीर को आगे ले जाना था तो हम जानते हैं कि वहां ऐसे तत्व हैं जो इस तरह की जानकारी का गलत तरीके से इस्तेमाल करेंगे, जो कानून और व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करेगा।”
बीते साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद घाटी में इंटरनेट, लैंडलाइन और एसएमएस सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी। रोक लगाने के बाद कश्मीर के लोगों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इंटरनेट बंद होने की वजह से युवा पढ़ाई और नौकरी से जुड़े फॉर्म नहीं भर पा रहे थे। वहीं अस्पतालों में इंटरनेट सेवा बंद होने से लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा।
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