Budget 2022: 'किसानों को 2.3 लाख करोड़ MSP भुगतान के जरिए देने का लक्ष्य' जानें अन्नदाता को बजट में और क्या मिला?
वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट में किसानों को MSP के जरिए 2.3 लाख करोड़ देने का लक्ष्य रखा गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि 44,605 करोड़ रुपये के केन-बेतवा लिंक का कार्यान्वयन किया जाएगा।
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट 2022 को पेश कर रही हैं। इस बजट के समाज के हर वर्ग को काफी उम्मीदें हैं। सरकार ने दावा किया है कि इस बजट में सभी के लिए कुछ ना कुछ रखा गया है। बता दें कि इससे पहले सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 को लोकसभा के पटल पर रखा था।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट में किसानों को MSP के जरिए 2.3 लाख करोड़ देने का लक्ष्य रखा गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि 44,605 करोड़ रुपये के केन-बेतवा लिंक का कार्यान्वयन किया जाएगा। इससे किसानों और स्थानीय आबादी को सिंचाई, खेती और आजीविका की सुविधा मिलेगी और 9 लाख हेक्टेयर से अधिक किसानों की भूमि को सिंचाई करने की सुविधा मिलेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीदारी की जाएगी। ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। किसानों को 2.37 लाख करोड़ रुपये डीबीटी के जरिए दिए जाएंगे। कीटनाशकों का छिड़काव करने और पोषक तत्वों के लिए 'किसान ड्रोन्स' को सरकार बढ़ावा देगी।
वित्त मंत्री ने किसानों को डिजिटल और हाईटेक सेवाएं देने के लिए PPP मॉडल की शुरुआत करने की घोषणा की। हलांकि पीएम किसान योजना की राशि को लेकर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा।। वहीं ऑर्गेनिक खेती पर सरकार का जोर है, केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने साथ ही कहा कि किसानों को डिजिटल सर्विस मिलेगी।
साल 2023 को सरकार ने मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। सरकार मोटे अनाज उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग पर जोर देगी। वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 44605 करोड़ रुपये की लागत से केन-बेतवा लिंक परियोजना को शुरू करने का ऐलान किया है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि पहले चरण में गंगा नदी के किनारे 5 किमी चौड़े गलियारों में किसानों की जमीन पर फोकस के साथ पूरे देश में रासायनिक मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। किसानों को फल और सब्जियों की सही वैराएटी इस्तेमाल करने के लिए सरकार कंप्रेहेंसिव पैकेज देगी, जिसमें राज्यों की भी भागीदारी होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक, शून्य-बजट और जैविक खेती, आधुनिक कृषि की जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्यों को कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। नाबार्ड के जरिए एग्रिकल्चर से जुड़े स्टार्टअप और रूरल एंटरप्राइज को फाइनेंस किया जाएगा, जो खेती से जुड़े होंगे।
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