उत्तराखंड के जोशीमठ में नई आफत! सुनील वार्ड में जमीन में होने लगे बड़े-बड़े गड्ढे, पीड़ितों की बढ़ी चिंताएं
जोशीमठ का यह वही इलाका है, जहां मकानों में सबसे पहले दरारें पड़ी थीं। अब एक बार फिर इसी इलाके में गड्ढा होने से आपदा प्रभावित लोगों को इस बात का डर सताने लगा है कि कहीं फिर से गड्ढे होने का सिलसिला शुरू न हो जाए।
उत्तराखंड के जोशीमठ में लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भू-धंसाव के साथ लोगों के सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। बताया जा रहा है कि जनवरी के महीने में सुनील वार्ड में जिस जगह से भू-धंसाव शुरू हुआ था, अब वहां जमीन में बड़े-बड़े गड्ढे होने लगे हैं। ऐसे में आपदा प्रभावित लोगों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। लोगों को इस बात का डर है कि बरसात में मकानों की दरारें और बढ़ सकती हैं। सुनील वार्ड में विनोद सकलानी के मकान के पास के खेत में अचानक गड्ढा हो गया है। यह गड्ढा काफी बड़ा है। बरसात शुरू होते ही सुनील वार्ड में गड्ढा बनने की खबर से आपदा प्रभावित दहशत में हैं।
इससे पहले बाजार इलाके में जमीन में अचानक गड्ढा हो गया था। जोशीमठ का यह वही इलाका है, जहां मकानों में सबसे पहले दरारें पड़ी थीं। अब एक बार फिर इसी इलाके में गड्ढा होने से आपदा प्रभावित लोगों को इस बात का डर सताने लगा है कि कहीं फिर से गड्ढे होने का सिलसिला शुरू न हो जाए। हालांकि दूसरे इलाकों में फिलहाल गड्ढे होने की सूचना नहीं है।
इससे पहले के जनवरी के महीने में भू-धंसाव से 868 भवनों में दरार आ गई थीं। इसके बाद 181 मकानों को असुरक्षित घोषित किया गया था। अन्य मकानों में हल्की दरारें थीं। करीब 60 परिवार आज भी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। आपदा के 6 महीने बीतने के बावजूद वैज्ञानिकों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। ऐसे में आपदा प्रभावित यह सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिरकार राज्य की बीजेपी सरकार रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है? सवाल यह है कि आखिर रिपोर्ट में ऐसा क्या है जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही है?
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक अतुल सती ने कहा कि हम पिछले चार महीने से मांग करते आ रहे हैं कि वैज्ञानिक रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, जिससे लोगों को पता चलके कि वह जहां रह रहे हैं वह जगह सुरक्षित है या नहीं। उन्होंने पूछा कि सरकार आखिर क्यों अब तक वैज्ञानिकों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रही है?
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