एससी/एसटी एक्ट को कमजोर करने के खिलाफ दलितों का भारत बंद आज, पंजाब में 10वीं-12वीं की परीक्षाएं टलीं
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट में बदलाव किए जाने के खिलाफ दलितों ने सोमवार को देशव्यापी बंद का आव्हान किया है। इसे देखते हुए कड़े इंतजाम किए गए हैं। पंजाब में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
अनुसूचित जाति, जनजाति कानून में बदलाव किए जाने के खिलाफ देशभर के दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को देशव्यापी बंद का आव्हान किया है। इसे देखते हुए कई राज्यों में कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। पंजाब में स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी कर दी गई है। वहीं केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी।
अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवावरण अधिनियम यानी एससी/एसटी एक्ट को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों के देशव्यापी बंद के फैसले से केंद्र सरकार समेत कई राज्यों की नींद उड़ी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर फैसला सुनाते हुए तुरंत गिरफ्तारी के बजाए अब शुरुआती जांच का आदेश दिया है। जस्टिस ए के गोयल और यू यू ललित की पीठ ने एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर पर चिंता जताई थी। इस मामले में पीठ ने सात दिनों के भीतर शुरुआती जांच जरूर पूरी करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद दलित और आदिवासी संगठनों में नाराजगी है। उनका कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश दलितों के खिलाफ है, इससे अब दलितों को निशाना बनाना और आसान हो जाएगा। एसएसी/एसटी एक्ट कानून दलितों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले जातिसूचक शब्दों और हजारों सालों से चले आ रहे अत्याचार को रोकने में मददगार रहा है। इन संगठनों का कहना है कि ‘हम कानून में बदलाव नहीं चाहते इसका हम विरोध करेंगे।’ इस बंद को पंजाब के लुधियाना में लोक इंसाफ पार्टी ने भी समर्थन किया है।
दलित और आदिवासी संगठनों के भारत बंद के एलान के बाद पंजाब सरकार अलर्ट
हो गई है। भारत बंद को देखते हुए पंजाब में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई है। वहीं राज्य सरकार ने सोमवार को सरकारी परिवहन सेवा पर भी रोक लगा दी है। पंजाब सरकार ने किसी अनहोनी के डर से राज्य में मौजूद सभी आर्मी बेस कैंप की यूनिट को अलर्ट पर रहने की दरख्वास्त भी भेज दी है।
पंजाब पुलिस ने एहतियातन लुधियाना में 4000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। इसके अलावा वहां रैपिड एक्शन फोर्स ने भी मोर्चा संभाल लिया है।
वहीं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बंद समर्थकों से अपील की है कि वे उन वाहनों को न रोकें जिनसे इराक में मारे गए 39 भारतीयों के आखिरी अवशेषों को उनके गांव भेजा जाएगा। ये अवशेष सोमवार को आने की उम्मीद है। उन्होंने पुलिस को ऐसे वाहनों को कड़ी सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश भी दिए हैं।
इस बीच लोक इंसाफ पार्टी के नेता सिमरजीत सिंह बैंस लोगों से हंगामा नहीं करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाने की अपील की है। गौरतलब है कि लुधियाना में दलितों की अच्छी आबादी है और इसी वजह से प्रशासन काफी सतर्क है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेशके बाद देशभर के दलित संगठनों ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अनुरोध किया था। दलित संगठनों की मांग है कि संशोधन को वापस लेकर पहले की ही तरह एससी-एसटी कानून को लागू किया जाए। इस मामले पर केंद्रीय मंत्री और दलित नेता राम विलास पासवान ने कहा है कि इस मसले पर भारत बंद का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि जब सरकार पुनर्विचार याचिका दायर कर रही है तो इसे तूल नहीं दिया जाना चाहिए। पासवान पिछले दिनों इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री से भी मिले थे।
इस बीच केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार निश्चित तौर पर इस मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।
उधर, पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी दलितों के बंद को लेकर सरकार सतर्क हो गई है। इस बंद को कई दलित नेताओं का समर्थन हासिल है। गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने भी लोगों से भारत बंद में शामिल होने का आह्वान किया है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विरोध जताया था।
दरअसल 2015 में इस कानून में महत्वपूर्ण संशोधन लाकर इस कानून को सख्त बनाया गया था। इसके तहत विशेष कोर्ट बनाने और तय समय सीमा के अंदर सुनवाई पूरी करने जैसे प्रावधान जोड़े गए थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अलग ही रुख अपनाते हुए इस कानून को कमजोर कर दिया है।
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