राफेल के दस्तावेज चुराए नहीं, हमें सूत्रों ने दिए, और हम उनका नाम नहीं बताएंगे: एन राम
वरिष्ठ पत्रकार एन राम ने राफेल सौदे के बारे में खबरों को तवज्जो न दिए जाने को लेकर समाचार पत्रों की आलोचना की है। उन्होंने कहा, “पहले रक्षा सौदों की जांच के दौरान अखबारों के बीच गंभीर प्रतियोगिता चला करती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होता।”
अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में प्रकाशित राफेल संबंधी आलेख के तथ्यों के बारे में द हिंदू ग्रुप ऑफ पब्लिकेशन के अध्यक्ष एन राम ने कहा कि उनके पास लड़ाकू विमान राफेल की खरीद से संबंधी दस्तावेज चोरी के नहीं हैं, उन्हें सूत्रों ने मुहैया कराया है और सूत्रों का खुलासा नहीं किया जाएगा।
बुधवार को अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राफेल सौदे के दस्तावेज सरकार के पास से चोरी हो गए हैं और उन्हें प्रकाशित करने वालों के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले में गुरुवार को आईएएनएस से बात करते हुए एन राम ने कहा कि चोरी दस्तावेजों का हौआ विकिलीक्स, पेंटागन पेपर और अन्य मुद्दों के दौरान भी उठा था।
वरिष्ठ पत्रकार एन राम ने राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेजों पर केंद्र सरकार के रुख के बारे में कहा, "हमारे पास चुराए गए दस्तावेज नहीं हैं। हम अपने सूत्रों को उजागर नहीं करेंगे, क्योंकि हमने उन्हें (सूत्रों को) जुबान दी है।" राम ने कहा, "खोजी पत्रकारिता के हिस्से के रूप में हमने जनहित में वह जानकारी प्रकाशित की है, क्योंकि इसे संसद के भीतर व बाहर लगातार मांग के बावजूद दबाकर रखा गया था।"
उनके मुताबिक, सरकार कह रही है कि दस्तावेज चोरी हो गए हैं और इसकी वास्तविकता को प्रमाणित किया गया। राम ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) ए, भाषण व अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार और सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) (आई) व 8(2) के अंतर्गत सुरक्षा उपलब्ध है, जो आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम से अधिक महत्वपूर्ण है।
यह पूछे जाने पर कि जो आंकड़ा उन्होंने आलेख में दिया है, क्या वह केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल दस्तावेजों का हिस्सा है? इस पर राम ने कहा, "हमें नहीं पता कि केंद्र सरकार ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में क्या दिया है। मुझे लगता है कि हमने जो भी प्रकाशित किया है वह केंद्र सरकार द्वारा अदालत के साथ साझा किए गए दस्तावेजों का हिस्सा नहीं है।"
राम ने कहा कि आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम ने अपनी जरूरत खो दी है और इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले राफेल सौदे पर उनकी पहली रिपोर्ट छपने के बाद केंद्र सरकार की ओर से कोई धमकी नहीं मिली थी।
राफेल सौदे के बारे में लिखना शुरू करने के बाद 'द हिंदू' को केंद्र सरकार से विज्ञापन मिलना क्या प्रभावित हुआ, इस पर उन्होंने कहा, "हमें विज्ञापन मिल रहे हैं। शुरुआत में कुछ रिपोर्ट के बाद डीएवीपी तक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया गया था।"
एन राम ने राफेल सौदे के बारे में खबरों को तवज्जो न दिए जाने को लेकर समाचार पत्रों की आलोचना की। उन्होंने कहा, "पहले रक्षा सौदों की जांच के दिनों में अखबारों के बीच गंभीर प्रतियोगिता चला करती थी। अरुण शौरी इंडियन एक्सप्रेस में लिखते थे और इंडिया टुडे भी रिपोर्ट चलाता था।"
राम ने कहा, "लेकिन अब बड़े अखबार राफेल सौदे पर वैसा काम नहीं कर रहे हैं, जैसी उनसे उम्मीद थी। टीवी चैनल भी सिर्फ सरकार के लिए प्रोपगेंडा चला रहा हैं।"
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