ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत, अब 6 फरवरी को होगी सुनवाई
हाईकोर्ट ने कहा कि मस्जिद पक्ष पहले 17 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती दे, जिसमें वाराणसी डीएम को रिसीवर नियुक्त किया गया और डीएम ने 23 जनवरी को ज्ञानवापी परिसर को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद जिला कोर्ट ने 31 जनवरी को तलगृह में पूजा करने की अनुमति दी।
ज्ञानवापी मस्जिद के एक तहखाना में पूजा-अर्चना की अनुमति देने संबंधी वाराणसी जिला जज के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को आज कोई राहत नहीं मिली। अब मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। आदलत ने अपने आदेश में कहा है कि अगली तारीख छह फरवरी को सुनवाई होने तक ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा होती रहेगी। सरकार को यह निर्देश दिया गया है कि यहां पर कोई अतिरिक्त निर्माण कार्य न कराया जाए।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने कहा कि मस्जिद पक्ष पहले 17 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती दे। इस आदेश से जिलाधिकारी वाराणसी को रिसीवर नियुक्त किया गया है, जिस पर जिलाधिकारी ने 23 जनवरी को ज्ञानवापी परिसर को अपने कब्जे में ले लिया है। इसके बाद जिला न्यायालय ने 31 जनवरी के अंतरिम आदेश से काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पुजारी के जरिए तलगृह में पूजा करने की अनुमति दी है।
महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र का कहना था कि सरकार की जिम्मेदारी कानून व्यवस्था कायम रखने की है। डीएम सुरक्षा व्यवस्था देख रहे हैं। अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के वकील एसएफए नकवी से कोर्ट ने पूछा कि बेसिक आदेश 17 जनवरी 2024 का है। उसको क्यों चुनौती नहीं दी।कमेटी के वकील ने कहा कि 31 जनवरी का आदेश आने के कारण तुरंत आना पड़ा। बेसिक आदेश को भी चुनौती देंगे, क्योंकि, आदेश होते ही जिलाधिकारी ने रात में तैयारी कर ली और 9 घंटे में पूजा शुरू करा दी।
उन्होंने कहा कि जिला जज ने अपने ही आदेश के विपरीत अंतरिम आदेश देकर वस्तुत: वाद स्वीकार कर लिया। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मूल आदेश को चुनौती नहीं दी गई है। अधीनस्थ अदालत ने वादी को राहत नहीं दी है। मंदिर ट्रस्ट को अधिकार दिया है। अंजुमन इंतेजामिया कमेटी गुरुवार तड़के सुप्रीम कोर्ट भी गई थी, लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने का सुझाव दिया था।
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