बिहार में कोरोना के दौरान ढाई लाख से ज्यादा मौतों का खुलासा, नीतीश सरकार के आंकड़ों पर बड़ा सवाल
सीआरएस प्रणाली में दर्ज मौत के आंकड़े, बिहार सरकार के आधिकारिक आंकड़े से 48.6 गुना ज्यादा है। बिहार में सीआरएस के आंकड़ों और कोरोना मौतों के सरकारी आंकड़ों के बीच का यह अंतर देश में अब तक किसी भी राज्य में मौत के आंकड़ों में पाया गया सबसे बड़ा अंतर है।
बिहार में मार्च 2020 से मई 2021 के बीच कोरोना महामारी के दौरान नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) में 2 लाख 51 हजार अतिरिक्त मौतें दर्ज हुई हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक देश में कोरोना के प्रकोप की शुरुआत के बाद बिहार में नागरिक पंजीकरण प्रणाली के तहत 2,51,000 से ज्यादा लोगों की मौत दर्ज की गई है। जबकि बिहार सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबित इस दौरान 5,163 लोगों की कोरोना से मोत हुई है।
ऐसे में सीआरएस प्रणाली में दर्ज मौतों के आंकड़ों और बिहार सरकार के आंकड़ों में बहुत अंतर है और ये सरकार की आधिकारिक मौतों (5,163) की संख्या का लगभग 48.6 गुना है। बिहार में सीआरएस के आंकड़ों और कोरोना मौतों के सरकारी आंकड़ों के बीच का यह अंतर देश में अब तक किसी भी राज्य में मौत के आंकड़ों में पाया गया सबसे बड़ा अंतर है।
यहां बता दें कि अतिरिक्त मौत या मृत्यु दर किसी संकट के दौरान सभी कारणों से होने वाली मौतों की कुल संख्या के बारे में बताता है। ये सामान्य हालात में होने वाली मौतों के मुक़ाबले बहुत ज्यादा है। ये सही है कि सभी अतिरिक्त मौतें केवल कोरोना के कारण नहीं हो सकतीं, लेकिन महामारी के दौरान मौत के आंकड़ों में पाए गए अंतर का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से महामारी से जुड़े होने की संभावना होती है और इससे क्षेत्रीय स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव पड़ता है।
दरअसल सीआरएस प्रणाली रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के कार्यालय के तहत सभी जन्म और मृत्यु को रिकॉर्ड करने की एक राष्ट्रीय प्रणाली है। इसका उपयोग उन मौतों की सही संख्या की गणना करने के लिए किया जा रहा है जो महामारी से नहीं होती हैं। कोरोना महामारी के दौरान राज्य सरकारों ने जमीनी आंकड़े एकत्र करने के लिए इस सीआरएस प्रणाली की शुरुआत की थी।
इस प्रणाली में आंकड़ों के विश्लेषण के लिए महामारी से पहले जनवरी 2015 से फरवरी 2020 के दौरान सीआरएस के तहत दर्ज सभी कारणों से हुई मौतों की एक बेसलाइन बनाई गई और इसकी तुलना मार्च 2020 के बाद दर्ज मौतों से की गई। इस तरह से एक निश्चित समय में अतिरिक्त मौतों की संख्या सामने आई है। इसी डेटा से पता चला कि बिहार में महामारी से पहले चार साल की अवधि की तुलना में कोरोना की शुरुआत के बाद 2,51,053 अधिक मौतें हुई हैं। हालांकि मई 2021 के अंत तक राज्य के आधिकारिक आकंड़ों के अनुसार कोरोना से मरने वालों की संख्या 5163 थी।
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