तीन साल में देश भर में बंद हुए 50 हजार से अधिक सरकारी स्कूल, निजी स्कूलों की संख्या में हुई भारी बढ़ोतरी
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 26,074 सरकारी स्कूल कम हुए हैं। वहीं मध्य प्रदेश में 22,904 स्कूल कम हुए। कुछ राज्यों में सरकारी स्कूलों की संख्या में इजाफा भी हुआ है। बंगाल में संख्या 82,876 से बढ़कर 83,379 और बिहार में 72,590 से बढ़कर 75,555 हो गई।
देश में साल 2018 से 2020 के दौरान हजारों सरकारी स्कूल बंद हो गए। जहां इन वर्षों में सरकारी स्कूल की संख्या में कमी देखी गई वहीं प्राइवेट स्कूलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। प्राइवेट स्कूलों की संख्या में 3.6 फीसदी वृद्धि हुई है। यह रिपोर्ट स्वयं केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा विभाग की एक इकाई 'यूनाइटेड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस' द्वारा तैयार की गई है।
शिक्षा मंत्रालय की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2018-19 में देश भर के सरकारी स्कूलों की संख्या 1,083,678 जो 2019-20 में घटकर 1,032,570 रह गई। इस हिसाब से एकत्र किए गए स्कूलों के रिकार्ड और रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 51,108 सरकारी स्कूल कम हुए हैं। 2020-21 के लिए जारी की गई यूडीआईएसई प्लस की रिपोर्ट में सरकारी स्कूलों की संख्या में फिर गिरावट देखी गई। इस बार करीब 521 सरकारी स्कूल फिर कम हुए हैं।
गौरतलब है कि यह सभी आंकड़े कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति से पहले के हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 26,074 सरकारी स्कूल कम हुए हैं। वहीं मध्य प्रदेश में 22,904 स्कूलों की कमी आई है। कुछ राज्यों में सरकारी स्कूलों की संख्या में इजाफा भी हुआ है। बंगाल में यह संख्या 82,876 से बढ़कर 83,379 और बिहार में 72,590 से बढ़कर 75,555 हो गई है।
देश में लगभग 17 करोड़ बच्चे अभी भी शिक्षा प्रणाली से बाहर हैं। हालांकि अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट में पाया गया है कि स्कूलों में दाखिला लेने की दर में वृद्धि हुई है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक , उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात बढ़कर 92.2 प्रतिशत हो गया। लेकिन स्कूलों में छात्रों के नामांकन का यह अनुपात उच्चतर माध्यमिक स्तर पर पहुंचते-पहुंचते 53.8 प्रतिशत ही रह जाता। हालांकि पिछले वर्षों के मुकाबले इसमें भी वृद्धि दर्ज की गई है।
गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में गैर-साक्षर लोगों की कुल संख्या 25.76 करोड़ (पुरुष 9.08 करोड़, महिला 16.68 करोड़) है। 2009-10 से 2017-18 के दौरान साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत साक्षर के रूप में प्रमाणित व्यक्तियों की 7.64 करोड़ की प्रगति को ध्यान में रखते हुए, यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में भारत में लगभग 18.12 करोड़ वयस्क अभी भी गैर-साक्षर हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले यूनिफाइड डिस्ट्रिक इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) की रिपोर्ट में स्कूल नामांकन में वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में प्राइमरी से हायर सेकेंडरी तक के कुल छात्रों की संख्या लगभग 25.38 करोड़ है जो कि 2019-20 की तुलना में 28.32 लाख अधिक है।
2018-19 और 2020-21 के बीच माध्यमिक में छात्रों के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में लगभग 3 प्रतिशत का सुधार हुआ है। 2018-19 के 76.9 प्रतिशत की तुलना में 2020-21 में माध्यमिक स्कूल के लिए जीईआर लगभग 79.8 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 2018-19 और 2020-21 के बीच उच्चतर माध्यमिक में जीईआर में 3.7 प्रतिशत का सुधार हुआ है। उच्च माध्यमिक स्कूलों में लड़कियों के नामांकन में 2018-19 की तुलना में 2020-21 में 3.8 प्रतिशत का सुधार हुआ है। उच्चतर माध्यमिक के लिए छात्रों की नामांकन दर 2020-21 में 53.78 फीसदी तक पहुंच गई है, जबकि 2018-19 में यह 50.1 प्रतिशत था।
यूडीआईएसई की 2020-21 की रिपोर्ट बताती है कि 2020-21 में प्राथमिक से उच्च माध्यमिक तक लड़कियों का नामांकन 12.2 करोड़ से अधिक है। यह 2019-20 की तुलना में 11.8 लाख की वृद्धि है। 2020-21 में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक में नामांकन में क्रमश 1.41 प्रतिशत और 3.76 प्रतिशत का सुधार हुआ है।
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