हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र कल से, खट्टर सरकार को महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार पर घेरने को विपक्ष तैयार
नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि विधानसभा में जनता के मुद्दों पर चर्चा के लिए कम से कम 15 दिनों का सत्र बुलाया जाना चाहिए। लेकिन इस सरकार का रवैया हमेशा जवाबदेही से पल्ला झाड़ने वाला रहा है। मुद्दों को हाथ लगाकर भागना सरकार की आदत बन चुकी है।
हरियाणा विधानसभा के 8 अगस्त से आरंभ हो रहे मानसून सत्र में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार को मुश्किल सवालों का सामना करना होगा। यह सभी सवाल वही हैं, जिनका सामना करने से सरकार हर वक्त बचने की कोशिश करती है। सबसे कठिन सवाल तो बेरोजगारी का रहने वाला है। देश में बेरोजगारी में नंबर एक (सीएमआईई के मुताबिक) बना हरियाणा खट्टर सरकार के तकरीबन 8 साल के शासन की जीवंत दास्तान है। इसके अलावा भी विधानसभा में सरकार के लिए मुश्किल सवालों की एक लंबी फेहरिस्त है। भ्रष्टाचार से लेकर केंद्र की अग्निपथ भर्ती योजना, अवैध खनन, जर्जर कानून व्यवस्था, महंगाई और ड्रग्स का राज्य में फैलता जाल जैसे दर्जन भर से अधिक मुद्दे हैं, जो बीजेपी सरकार को परेशान करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने पुष्टि की है कि 29 ध्यानाकर्षण, 1 लघु अवधि का और 3 कार्य स्थगन प्रस्ताव उन्हें मिले हैं, जो ज्वलंत विषयों पर हैं।
विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। यदि सवालों के जवाब नहीं मिले तो हंगामा होना भी तय है। राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति और भ्रष्टाचार पर स्थगन प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा सशस्त्र बलों में अग्निपथ भर्ती नीति के विरुद्ध छोटी अवधि की चर्चा का प्रस्ताव दिया है। पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में हरियाणा राज्य का हिस्सा, राज्य में बढ़ती बेरोजगारी, अवैध खनन, नशीली दवाओं के खतरे, पंचायत निधि का उपयोग न करने और सामान्य भूमि ग्राम शामलात पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष को कांग्रेस ने सौंपे हैं।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विरोधी दल भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि प्रदेश की जनता के सामने समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। विधानसभा में जनता के तमाम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा के लिए कम से कम 15 दिनों का सत्र बुलाया जाना चाहिए। लेकिन इस सरकार का रवैया हमेशा जवाबदेही से पल्ला झाड़ने वाला रहा है। मुद्दों को हाथ लगाकर भागना सरकार की आदत बन चुकी है।
वहीं, इंडियन नेशनल लोकदल ने प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 73 के तहत नूंह में अवैध खनन रोकने गए डीएसपी की हत्या, बढ़ती बेरोजगारी, कपास की फसल को हुए नुकसान का मुआवजा देने, बुजुर्गों की पेंशन काटे जाने, भ्रष्टाचार और घोटालों आदि पर दस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव देने की बात कही है। गौरतलब है कि इनेलो के सदन में अभी एकमात्र विधायक अभय चौटाला हैं।
जनसेवक मंच संयोजक और महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने भी सवालों की लंबी फेहरिस्त बताई है। खेती-किसानी से लेकर फसलों को हुए नुकसान और जलभराव से प्रतिवर्ष होने वाली किसानों की दुर्दशा समेत फसल बीमा योजना की खामियों और बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों को लेकर वह सरकार से सवाल पूछने वाले हैं। साथ ही बार-बार भर्तियां रद्द होने से बेघर होकर सड़क पर आए कर्मचारियों और अग्निपथ योजना का मुद्दा भी वह उठाने वाले हैं। बलराज कुंडू का कहना है कि उन्होंने 2 दर्जन से अधिक सवाल विधानसभा में दिए हैं, जिनपर सरकार से जवाब मांगेंगे। उन्होंने 6 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी दिए हैं। इनमें प्रदेश की लगातार बिगड़ती जा रही कानून-व्यवस्था के अलावा सरकारी नियुक्तियों में खामियों की बदौलत रद्द की जाने वाली भर्तियों के चलते दोबारा से बेरोजगारी की कतार में शामिल होने वाले कर्मचारियों, फौज की भर्ती को लेकर सरकार द्वारा हाल ही में लाई गई अग्निपथ योजना से उपजे जनाक्रोश, सीईटी के 'सी श्रेणी' के एग्जाम के लिए बनाई गई सरकारी योजना में छोड़ी गई खामियों, नियम 134 ए की जगह प्रदेश में लागू की गई 'चिराग योजना' के बहाने सरकारी स्कूलों को बंद करने की मंशा समेत किसानों के लिए लगातार घाटे का सौदा साबित हो रही 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' जैसे बेहद अहम मुद्दे शामिल हैं।
मानसून सत्र के तीन दिनों के लिए निकाले गए ड्रा में 60 विधायकों के नामों की पर्चियां निकाली गई हैं। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की देखरेख में हुए ड्रा की पर्चियां बीजेपी विधायक लक्ष्मण नापा, कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी, निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन और विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों ने निकाली। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि मानसून सत्र के लिए अभी 250 तारांकित और 197 अतारांकित प्रश्नों की सूचनाएं विधानसभा सचिवालय को प्राप्त हुई हैं। 2 गैर सरकारी संकल्पों की सूचनाएं भी मिली हैं। उन्होंने बताया कि 29 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, 3 कार्य स्थगन प्रस्ताव, 1 लघु अवधि प्रस्ताव की सूचनाएं भी प्राप्त हुई हैं। कुल मिलाकर बीजेपी-जेजेपी सरकार को छोटे से मानसून सत्र में भी विपक्ष के तीखे और सीधे हमलों का सामना करना ही होगा।
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