मोदी के संसदीय क्षेत्र का हाल! काशी में अंतिम क्रिया का भी व्यापार, कंधा देने के लिए 4 से 5 हजार रुपये की डिमांड
जीते जी लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं और मरने के बाद श्मशान में भी अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं है। आलम ये है कि अंतिम यात्रा में चार कंधों के इंतजाम के लिए भी अब लोगों को पैसे देने पड़ रहे हैं। ऐसा हाल पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का भी है।
पूरे देश में कोरोन से त्राहिमाम है। भारत में इस समय कोरोना वायरस की भयानक लहर चल रही है। जिसकी चपटे में आकर ना सिर्फ बुजुर्ग बल्कि जवान और बच्चे भी जिंदगी की जंग हार रहे हैं। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि ये देश धीरे धीरे काल के गाल में समा रहा है। देश की इतनी बद्दतर स्थिति के बाद भी सत्ता में आसीन लोग जागने को तैयार नहीं है। ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी इस संकट के दौरान मोदी सरकार की चुप्पी को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं।
जीते जी लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं और मरने के बाद श्मशान में भी अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं है। आलम ये है कि अंतिम यात्रा में चार कंधों के इंतजाम के लिए भी अब लोगों को पैसे देने पड़ रहे हैं। महामारी काल में इस तरह की बेहद शर्मिंदा करने वाली खबर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सामने आई है। जहां अब शवों को कंधा देने के लिए भी पैसे की डिमांड की जा रही है। अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी स्थित हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम यात्रा के दौरान चार कंधे भी अब चार से पांच हजार में उपलब्ध हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण के कारण मौत होने पर परिजन भी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। स्थितियां ऐसी बन रही है कि शव के साथ एक या दो आदमी ही घाट पर पहुंच रहे हैं। ऐसे में शव को सड़क से लेकर चिता तक पहुंचाने के लिए चार कंधों की बोली चार से पांच हजार रुपये में लग रही है। कुछ युवाओं की टोली पैसों के लिए जान हथेली पर रखकर इस काम को अंजाम दे रही है। एक तरफ जरूरत है तो दूसरी तरफ विवशता।
अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक नरिया के दीपक कोरोना संक्रमित परिजन का शव लेकर हरिश्चंद्र घाट पर वाहन से पहुंचे। उनके साथ उनका भाई राजेश भी था। शव को कंधा देने के लिए चार कंधे नहीं होने से वह बेचारगी से इधर-उधर देख रहे थे। तभी एक युवक उनके पास पहुंचा और उसने कहा कि परेशान न हों हम कंधा दे देंगे। आश्चर्य से देखने के बाद दीपक ने कहा कि कोरोना संक्रमण से मौत हुई तो युवक ने कहा कि कोई बात नहीं है आप बस पांच हजार रुपये दे दीजिएगा, चिता तक शव को हम पहुंचा देंगे। राजेश ने असमर्थता जताई तो युवक ने कहा कि थोड़ा कम कर देंगे आप एक बार हां बोल दीजिए। इसके बाद 3500 सौ रुपये पर बात पक्की हो गई।
ऐस सिर्फ नरिया के दीपक के साथ नहीं हुआ बल्कि चेतगंज पान दरीबा के प्रभानंद के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनके परिजन की कोरोना संक्रमण से अस्पताल में मौत हो गई। वह अस्पताल से सीधे हरिश्चंद्र घाट पहुंचे। अकेले होने के कारण शव को घाट तक ले जाने की समस्या थी। दो युवक उनको परेशान देखकर उनके पास पहुंचे और कंधा देने की बात कही। ऐसे में मोलभाव भी हुआ और बात चार हजार में पक्की हो गई। इसके बाद चार युवकों ने शव को टिकठी पर बांधने, घाट तक पहुंचाने, कफन देने और चिता तक पहुंचाने का काम पूरा किया। काम होने के बाद पैसे लेकर युवक चले गए।
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