कृषि बिल लाने वाली मोदी सरकार को नहीं पता किसानों की आमदनी, 2015 से नहीं आया औसत आय का डाटा
मोदी सरकार ने हाल में कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों को संसद से पारित करा लिया है, जिसका देश भर में किसान बड़े पैमाने पर विरोध कर रहे हैं। सरकार इन विधेयकों को किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला बता रही है, जबकि किसान इसे उन्हें तबाह करने वाला बता रहे हैं।
अपने तीन नए कृषि विधेयकों को किसानों के हित में बताने वाली मोदी सरकार को देश के किसानों की आमदनी की जानकारी ही नहीं है। देश में किसानों की औसत आय क्या है, इसका कोई नया डेटा सरकार के पास नहीं है। इसकी वह है कि किसानों की आय से संबंधित डेटा मोदी सरकार के आने के बाद 2015-2016 से ही आना बंद है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015-16 के बाद से देश में किसानों की औसत आय को लेकर डेटा आना बंद हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने राज्यसभा में केवल इतना बताया था कि हरियाणा के किसानों की कमाई सबसे अधिक है। उनकी एक महीने की कमाई 14,434 रुपए है। हालांकि इसका स्रोत नहीं बताया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार ताजा आर्थिक सर्वे में खेती-किसानी के बारे में जो बात कही गई है उसके मुताबिक साल 2014-15 में भारत में राष्ट्रीय आमदनी में कृषि का योगदान 18.2 फीसदी था, जो 2019-20 में गिरकर 16.5 फीसदी पर पहुंच गया है। वहीं 2014-15 से आज तक के आंकड़े देखें तो खेती का विकास दर पहले की तरह अब नहीं है। साल 2016-17 में कृषि की अधिकतम विकास दर 6.3 फीसदी थी, जो साल 2019-20 में गिरकर मात्र 2.8 फीसदी रह गई है।
इस बीच मोदी सरकार ने हाल में कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों को संसद से पारित करा लिया है, जिसका देश भर में किसान बड़े पैमाने पर विरोध कर रहे हैं। सरकार इन विधेयकों को किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला बता रही है, जबकि किसान इसे उन्हें तबाह करने वाला बता रहे हैं। किसानों का आरोप है कि इन विधेयकों के जरिये सरकार उनसे फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य का अधिकार छीन लेगी।
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Published: 25 Sep 2020, 5:19 PM