आरटीआई का इस्तेमाल कम करने की जुगाड़ में मोदी सरकार, अमित शाह ने इशारों-इशारों में बताया प्लान
मोदी सरकार के गृहमंत्री अमित शाह ने भविष्य में आरटीआई का उपयोग कम करने का इशारा करते हुए कहा है कि उनकी सरकार ऐसा तंत्र लाना चाहती है, जिससे लोगों को सूचना पाने के लिए आरटीआई आवेदन दाखिल करने की जरूरत ही न पड़े।
सूचना का अधिकार कानून को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर पहले ही कार्यकाल से सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब नई सरकार के गृह मंत्री अमित शाह के ताजा बयान से स्पष्ट संकेत मिल गया है कि मोदी सरकार भविष्य में आरटीआई आवेदनों को कम करने की योजना पर काम कर रही है। शनिवार को एक कार्यक्रम में अपने भाषण में अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार एक ऐसा तंत्र लाना चाहती है, जिससे लोगों को सूचना पाने के लिए आरटीआई आवेदन दाखिल करने की जरूरत ही महसूस न हो।
केंद्रीय सूचना आयोग के 14वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि उनकी सरकार पब्लिक डोमेन में अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध कराएगी, जिससे आरटीआई के तहत आवेदन देने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अमित शाह ने कहा कि आरटीआई आवेदनों की संख्या कम होने का अर्थ है कि सरकार का काम संतोषप्रद है। उन्होंने कहा कि आरटीआई आवेदन का अधिक होना किसी सरकार की सफलता को नहीं दर्शाता है।
इसके लिए मोदी सरकार के प्लान की तरफ इशारा करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की ‘डैशबोर्ड’ प्रणाली से यह सुनिश्चित हुआ है कि बिना आरटीआई दायर किए सराकरी योजनाओं की जानकारी ऑनलाइन सभी को मिल सके। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली के उपयोग के साथ ही उनकी सरकार ने एक नये पारदर्शी युग की शुरुआत की है।
हालांकि, अपने भाषण में अमित शाह ने आरटीआई की वकालत करते हुए ये भी कहा कि उनकी सरकार कामकाज में पारर्दिशता सुनिश्चित करने के लिए कानून से भी दो कदम आगे निकल गई है।
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