ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट पर भड़की मोदी सरकार, जारी करने वाली एजेंसी के तरीके पर उठाया सवाल
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि यह जानकर हैरानी होती है कि ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 ने कुपोषित आबादी के अनुपात के एफएओ अनुमान के आधार पर भारत की रैंक कम कर दी है। रिपोर्ट जारी करने वाली एजेंसियों प्रकाशित करने से पहले उचित परिश्रम नहीं किया है।
ग्लोबल हंगर रिपोर्ट-2021 में भारत के पिछड़कर 101वें स्थान पर पहुंचने पर खासा विवाद खड़ा हो गया है। मोदी सरकार ने रिपोर्ट जारी करने वाली एजेंसियों पर ही सवाल उठा दिया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रिपोर्ट को चौंकाने वाला बताया है। मंत्रालय अनुसार ये रिपोर्ट जमीनी हकीकत और तथ्यों से परे है और जारी करने वाली एजेंसियों की कार्यप्रणाली को दिखाता है।
दरअसल एक दिन पहले 14 अक्टूबर को कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ एजेंसी द्वारा जारी की गई ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट-2021 के अनुसार भारत के हालात बेहद खराब हैं। भारत 116 देशों की लिस्ट में 101वें नंबर पर है। इससे भी चिंताजनक बात ये है कि इस लिस्ट में भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश और यहां तक कि नेपाल से भी नीचे पहुंच गया है।
इसी को लेकर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा कि ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 ने कुपोषित आबादी के अनुपात पर एफएओ अनुमान के आधार पर भारत के रैंक को नीचे कर दिया है। ग्लोबल हंगर रिपोर्ट का प्रकाशन करने वाली एजेंसियों- कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ ने रिपोर्ट जारी करने से पहले अपना होम वर्क नहीं किया है।
मंत्रालय ने कहा एफएओ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली अवैज्ञानिक है। उन्होंने अपना मूल्यांकन 'चार प्रश्न' जनमत सर्वेक्षण के परिणामों पर आधारित किया है, जो गैलप द्वारा टेलीफोन पर आयोजित किया गया था। ये प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की उपलब्धता जैसे अल्पपोषण को मापने के लिए कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है। अल्पपोषण के वैज्ञानिक माप के लिए वजन और ऊंचाई की माप की आवश्यकता होगी, जबकि यहां शामिल कार्यप्रणाली जनसंख्या के शुद्ध टेलीफोनिक अनुमान पर आधारित गैलप सर्वेक्षण पर आधारित है।
मंत्रालय के अनुसार रिपोर्ट पूरी तरह से कोविड अवधि के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के बड़े पैमाने पर प्रयास की अवहेलना करती है, जिस पर सत्यापन योग्य डेटा उपलब्ध है। जनमत सर्वेक्षण में एक भी सवाल नहीं है। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) और आत्मनिर्भर भारत योजना (एएनबीएस) जैसी अतिरिक्त राष्ट्रव्यापी योजनाओं को लागू किया है। रिपोर्ट में इसका जिक्र तक नहीं है। इस जनमत सर्वेक्षण की प्रतिनिधित्वशीलता भी भारत और अन्य देशों के लिए संदिग्ध है।
ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 और 'द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वल्र्ड 2021' पर एफएओ रिपोर्ट ने सार्वजनिक डोमेन में तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। मिसाल के तौर पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले परिवारों के तहत कवर किए गए 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 80 करोड़ यानी 800 मिलियन लाभार्थियों के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम की दर से खाद्यान्न का आवंटन मुफ्त किया है) इसका जिक्र तक नहीं है।
इसी तरह कोविड-19 को आर्थिक प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) और आत्म निर्भर भारत योजना (एएनबीएस) जैसी अतिरिक्त राष्ट्रव्यापी योजनाओं को लागू किया है। खाद्यान्न के अलावा, एनएफएसए के तहत 19.4 करोड़ (194 मिलियन) परिवारों को अप्रैल से नवंबर 2020 की अवधि के लिए प्रति माह 1 किलो प्रति परिवार दाल मुफ्त प्रदान की गई है। 100 से कम श्रमिकों वाले संगठित क्षेत्र के व्यवसायों में प्रति माह 15 हजार रुपये से कम वेतन पाने वालों के रोजगार में व्यवधान को रोकने के लिए, सरकार ने उनके मासिक वेतन का 24 प्रतिशत तीन महीने तक, अप्रैल से जून 2020 के लिए उनके पीएफ खातों में भुगतान किया।
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