मोदी सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदला, अब श्री विजयपुरम के नाम से जानी जाएगी अंडमान निकोबार की राजधानी

पोर्ट ब्लेयर दक्षिण अंडमान द्वीप के पूर्वी तट पर स्थित है। इसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक ब्रिटिश औपनिवेशिक सेलुलर जेल थी, जिसका नाम 'काला पानी की सजा' के तौर पर काफी प्रसिद्ध रहा।

मोदी सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदला, अब श्री विजयपुरम के नाम से जाना जाएगा
मोदी सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदला, अब श्री विजयपुरम के नाम से जाना जाएगा
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नवजीवन डेस्क

केंद्र की मोदी सरकार ने अब पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने का ऐलान किया है। केंद्रशासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर अब ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जानी जाएगी। इसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया के जरिए दी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है।''


अमित शाह ने आगे लिखा कि इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है। चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा मां भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी रहा है।

पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी है। यह दक्षिण अंडमान द्वीप के पूर्वी तट पर स्थित है। इसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक ब्रिटिश औपनिवेशिक सेलुलर जेल थी, जिसका नाम 'काला पानी की सजा' के तौर पर काफी प्रसिद्ध रहा। इस जेल का इस्तेमाल भारत की ब्रिटिश सरकार अपराधियों और राजनीतिक कैदियों को निर्वासित करने के उद्देश्य से करती थी। 1906 में अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह तीन मंजिला जेल स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक तीर्थ स्थल रही थी। इसे राष्ट्रीय स्मारक के रूप में बदल दिया गया है। यहां स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की गाथा लेजर एंड साउंड शो के जरिए दिखाई जाती है।

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