मोदी सरकार ने 10 साल में हर दिन 'संविधान हत्या' दिवस ही मनाया, गरीब-वंचित से हर पल उनका आत्मसम्मान छीनाः खड़गे

मोदी सरकार के विवादित फैसले पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि 30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ और ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी।

खड़गे बोले- मोदी सरकार ने 10 साल में हर दिन 'संविधान हत्या' दिवस ही मनाया
खड़गे बोले- मोदी सरकार ने 10 साल में हर दिन 'संविधान हत्या' दिवस ही मनाया
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने की मोदी सरकार की घोषणा को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि संविधान जैसे पवित्र शब्द के साथ ‘हत्या’ शब्द को जोड़ना बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में हर दिन ‘संविधान हत्या दिवस’ ही तो मनाया है और हर गरीब व वंचित तबके से उनका आत्मसम्मान छीना है।

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में लिखा, ‘‘नरेन्द्र मोदी जी, पिछले 10 वर्षों में आपकी सरकार ने हर दिन “संविधान हत्या दिवस” ही तो मनाया है। आपने देश के हर गरीब व वंचित तबके से हर पल उनका आत्मसम्मान छीना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब मध्य प्रदेश में बीजेपी नेता आदिवासियों पर पेशाब करता है, या जब यूपी के हाथरस की दलित बेटी का पुलिस जबरन अंतिम संस्कार कर देती है …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है? जब हर 15 मिनट में दलितों के खिलाफ एक बड़ा अपराध घटता है और हर दिन 6 दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है…तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?’’

खड़गे ने सवाल किया कि जब अल्पसंख्यकों पर ग़ैरक़ानूनी ‘‘बुलडोज़र न्याय’’ का प्रकोप होता है, जिसमें 2 वर्षों में ही 1.5 लाख घरों को तोड़कर 7.38 लाख लोगों को बेघर बनाया जाता है तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है? उन्होंने कहा, ‘‘जब मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा के चपेट में है और आप वहां कदम तक रखना नहीं पंसद करते…तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के मुंह से संविधान की बातें अच्छी नहीं लगती।

खड़गे ने दावा किया, ‘‘बीजेपी-आरएसएस-जनसंघ ने संविधान को कभी नहीं माना। क्या ये सच नहीं है कि आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ ने 30 नवंबर, 1949 के अंक में संपादकीय में लिखा था कि “भारत के इस नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमे भारतीय कुछ भी नहीं है”।’’ उन्होंने सवाल किया कि क्या यहां आरएसएस साफ तौर पर भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता बाबासाहेब डॉ अंबेडकर जी के विरोध में और मनुस्मृति के समर्थन में नहीं खड़ी हुई?


कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘जब आपने (मोदी) मनमाने तरीक़े से नोटबंदी लागू करके, रिजर्व बैंक जैसी संस्था को कुचला, बैंकों की लाइनों में खड़ा कर 120 लोगों की जान ली और ताली बजा-बजाकर “घर में शादी है, पर पैसे नहीं है” कहकर आम जनता का माखौल उड़ाया …तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है ?’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब आपने कोविड महामारी के दौरान लाखों मज़दूरों को उनके पैरों के छाले की परवाह किए बिना, बस-ट्रेन नहीं उपलब्ध कराई और सैंकड़ों किलोमीटर चलने को मजबूर किया, क्योंकि आपके मन में आया कि लॉकडाउन बिना तैयारी के लगाना ज़रूरी है…तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है ?’’

खड़गे ने कहा, ‘‘जब उच्चतम न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीशों ने सार्वजनिक रूप से संवाददाता सम्मेलन कर आपकी सरकार की कोर्ट में दख़लंदाज़ी पर सवाल उठाए…तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है? जब आपकी सरकार ने ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग का इस्तेमाल कर के 95 प्रतिशत मामले विपक्ष के नेताओं पर थोपे, कई चुनी हुई सरकारें गिराईं, राजनीतिक दलों को तोड़ा, चुनाव से दो हफ़्ते पहले देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के बैंक खाते फ़्रीज़ करवाए, दो-दो चुने मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला…तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है ?’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब अन्नदाता किसानों पर तीन काले क़ानून थोपे गए, उनको एक साल तक दिल्ली की दहलीज़ पर दर्दनाक तरीक़े से बैठने को मजबूर किया गया, उनपर लाठी-डंडे बरसाए जाए, ड्रोन से आँसू गैस व रबर बुलेट बरसाई घईं, जो 750 किसानों की जान ले लें…तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है ?’’ खड़गे ने कहा, ‘‘जब संसद को सत्तारूढ़ दल का मैदान बना दिया जाए, जिसमें एक साथ 146 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर एकतरफ़ा ढंग से, तानाशाह की तरह, महत्वपूर्ण क़ानून पारित करवाए जाएं…तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है ?’’

उन्होंने दावा किया कि बीजेपी और आरएसएस संविधान को मिटाकर, मनुस्मृति लागू करना चाहती है ताकि दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के अधिकारों पर कुठाराघात किया जा सके। खड़गे ने कहा, ‘‘तभी वो “संविधान” जैसे पवित्र शब्द के साथ “हत्या” जैसा शब्द जोड़कर बाबासाहेब डॉ आंबेडकर का अपमान कर रहे हैं।’’


मोदी सरकार के विवादित फैसले पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी पर हमला बोला है। उन्होंने एक्स पर कहा, 30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ और ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी।

अखिलेश यादव ने कहा, बीजेपी बताए कि: मणिपुर में नारी के मान-अपमान हत्या दिवस, ⁠हाथरस की बेटी हत्या दिवस, ⁠लखीमपुर में किसान हत्या दिवस, ⁠कानपुर देहात में मां-बेटी हत्या दिवस, ⁠तीन काले क़ानूनों से कृषि हत्या दिवस, ⁠पेपर लीक करके हुए परीक्षा प्रणाली हत्या दिवस, अग्निवीर से हुए सामान्य सैन्य भर्ती हत्या दिवस, ⁠बेरोज़गारी से हुए युवा सपनों के हत्या दिवस, ⁠बढ़ती महंगाई से हुए आम परिवारों के भविष्य के हत्या दिवस, ⁠नोटबंदी और जीएसटी लागू करने से हुए व्यापार हत्या दिवस, ⁠यश भारती जैसे पुरस्कार बंद करने से हुए हुनर-सम्मान हत्या दिवस, ⁠जनसंख्या में आनुपातिक प्रतिनिधित्व न देकर सामाजिक न्याय का हत्या दिवस, ⁠सरकारी नौकरी के अवसर ख़त्म करके आरक्षण के हत्या दिवस, ⁠पुरानी पेंशन के हत्या दिवस, ⁠संदेहास्पद हो गये ईवीएम न हटाकर बैलेट पेपर हत्या दिवस जैसे बीजेपी राज में आए अनेक काले दिनों के लिए कौन सी तिथि चुनी जाए?

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