मोदी सरकार के ‘खेलो इंडिया’ में खिलाड़ियों के साथ ‘खेल’
ऐसा लगता है कि मोदी सरकार की ‘खेलो इंडिया’ परियोजना में उम्मीदवारों के चयन में पक्षपात किया गया है। बैडमिंटन में वाइल्ड कार्ड एंट्री से जगह पाने वाले ज्यादातर खिलाड़ी पूर्वोत्तर राज्यों से हैं।
मोदी सरकार की बहुचर्चित परियोजना खेलो इंडिया के पहले संस्करण का समापन 8 फरवरी को हो गया। लेकिन इससे पहले ही इसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे। केंद्र सरकार ने ‘खेलो इंडिया’ के नाम से एक योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत 1,000 चयनित एथलीटों में से प्रत्येक को 8 साल के लिए 5 लाख रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। छात्रवृत्ति का प्रावधान इसलिए किया गया है, ताकि पढ़ाई करने वाले बच्चे पेशेवर खेलों को भी कैरियर विकल्प के तौर पर चुन सकें।
लेकिन क्या ऐसा वास्तव में हो रहा है? क्या वास्तव में होनहार उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है? बैडमिंटन वर्ग से खिलाड़ियों के चयन को लेकर शिकायतें सामने आ रही हैं। केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर और खेल मंत्रालय के सचिवों को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें बैडमिंटन के उम्मीदवारों के चयन में अनियमितताओं का जिक्र किया गया है। भारतीय बैडमिंटन संघ (बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष हेमंत बिस्वा सरमा हैं, जो बीजेपी के नेतृत्व वाली वर्तमान असम सरकार में मंत्री हैं। हेमंत बिस्व सरमा ने बीजेपी में शामिल होने के लिए 2015 में कांग्रेस छोड़ा था।
पत्र लिखने वाले कुमार कुंदन के अनुसार, "बैडमिंटन वर्ग में 32 खिलाड़ियों का चयन किया गया। लेकिन, लड़कियों की एकल श्रेणी की 32 खिलाडियों में से सिर्फ 11 खिलाड़ी ही ऑल इंडिया रैंकिंग (बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया रैंकिंग) की शीर्ष 20 खिलाड़ियों में से हैं। शेष 21 खिलाड़ियों में से 16 किसी रैंकिंग में नहीं हैं, जबकि शेष 5 खिलाड़ी 42 और 44वें स्थान पर हैं। बीएआई द्वारा विशेष रूप से अनुशंसित 9 में से 7 खिलाड़ी अपनी अधिक उम्र की वजह से इस साल कोई भी बीएआई टूर्नामेंट खेलने की पात्र नहीं हैं। "
खेलो इंडिया के नियमों के मुताबिक, 17 वर्ष से कम उम्र के 32 खिलाड़ियों को देश भर से चुना जाना होता है। इनमें से 8 खिलाड़ी वे होंगे, जो बीएआई रैंकिंग में शीर्ष 8 में होंगे, इसके बाद 16 खिलाड़ियों का चुनाव स्कूल खेल महासंघ (एसजीएफआई) द्वारा किया जाएगा, जो देश भर में टूर्नामेंट आयोजित कराता है। इन टूर्नामेंट के विजेता ही उन 16 में जगह बना पाएंगे। अंतिम 8 में से 6 खिलाड़ी वाइल्ड कार्ड एंट्री से आएंगे, मेजबान राज्य की सिफारिश से एक और आखिर में एक खिलाड़ी का चयन एक सीबीएसई स्कूल से किया जाएगा।
कुछ खिलाड़ियों और माता-पिता की शिकायतें और ज्यादा हैं। बीएआई सूची में लड़कियों के वर्ग की 8 खिलाड़ियों में से 5 (करसी कश्यप, अमोलिका सिंह, उन्नीती बिष्ट, त्रिशा हेगड़े और मालवीका बनसोड) बीएआई की अपनी नियम पुस्तिका के अनुसार, बीएआई के किसी भी अंडर 17 टूर्नामेंट में खेलने की पात्र नहीं हैं, क्योंकि वे सभी 17 वर्ष पूरे कर चुकी हैं। दो अन्य (ड्रिथी यतीश, वर्षा वेंकटेश), जो शीर्ष 8 में से नहीं हैं, इन्हीं कारणों से खेलने के योग्य नहीं हैं। लड़कों के वर्ग में फाइनल खेलने वाले आकाश यादव के खिलाफ उम्र में हेरफेर करने के आरोप में सीबीआई जांच चल रही है।
दूसरी बात, एसजीएफआई टूर्नामेंट के जरिये आने वाले खिलाड़ी, बीएआई की शीर्ष 40 की सूची में भी नहीं हैं। सवाल खड़ा होता है कि ये गंभीर खिलाड़ी हैं भी या नहीं। और इन सभी 16 ने काफी निराशाजनक तरीके से खेला, जिसकी वजह से ये बहुत बड़े अंतर से बाहर हुए। तीसरी बात, लड़कियों के वर्ग में सभी वाइल्ड कार्ड एंट्री पूर्वोत्तर राज्यों से हुई है। जिसमें शेजल जोशी, शीतल जोशी, सोनल जोशी (मेघालय), ताकु नेहा, नापी तायम (अरुणाचल प्रदेश) और सबीना खड़गा (सिक्किम) थीं। लड़कों के मामले में भी 6 वाइल्ड कार्ड एंट्री में से पांच पूर्वोत्तर राज्यों से हुईं- शुभांशु तिवारी, ला टाकुम, सूरज चेत्री (अरुणाचल प्रदेश), जॉर्ज खेरबानी (मेघालय) और एंड्रयू लॉटजेन (मणिपुर) से थे।
कुंदन ने बताया, “शीर्ष क्रम वाले खिलाड़ियों में से ज्यादातर को खेलने से रोका गया। उन्हें सहयोग की जरूरत है। उन्होंने वादा किया है। 17 वर्ष से अधिक उम्र के खिलाड़ियों के नाम आगे बढ़ाने के लिए बीएआई जो कमजोर सा बहाना बनाएगा, वह यह होगा कि ये टूर्नामेंट 2017 में निर्धारित था। लेकिन, बीएआई की ताजा रैंकिंग 6 जनवरी को जारी की गई थी और खेलो इंडिया के लिए नामों को 15 जनवरी को अंतिम रूप दिया गया था। तो, फिर ताजा रैंकिंग पर विचार क्यों नहीं किया गया। वाइल्ड कार्ड एंट्री के लिए शीर्ष श्रेणी के अन्य खिलाड़ियों पर विचार क्यों नहीं किया गया, जो टूर्नामेंट की प्रतिस्पर्धात्मकता के स्तर में सुधार लाते।"
कुंदन आगे कहते हैं, शीर्ष क्रम के वर्तमान में 10 खिलाड़ियों में से 7 भाग लेने के पात्र नहीं हैं। इससे भी बीएआई की सिफारिश वाले खिलाड़ियों का आगे बढ़ना संभव हुआ है। इसलिए, बैडमिंटन वर्ग का चयन आंखों में धूल झोंकने वाला है, क्योंकि परिणाम हर उस आदमी को पता था, जिसके पास इस समय देश में उपलब्ध बैडमिंटन प्रतिभाओं के बारे में थोड़ा-बहुत ज्ञान है।"
क्या वास्तव में होनहार उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है? खिलाड़ियों के चयन को लेकर बैडमिंटन संवर्ग से कई शिकायतें आ रही हैं। केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर और खेल मंत्रालय के सचिवों को एक पत्र लिखा गया है जिसमें बैडमिंटन के उम्मीदवारों की चयन में अनियमितताओं पर प्रकाश डाला गया है।
अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाह रहे एक अन्य अभिभावक ने समस्या को समझाते हुए कहा, "खेलो और इस योजना को खेल श्रेणी में शीर्ष प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए पेश किया गया था, ताकि वे भविष्य में भारत के लिए अच्छा प्रदर्शन कर सकें। लेकिन, यदि यह चयन ही पक्षपात और निम्न प्रतिभाओं के चयन से ग्रस्त हो जाएगा तो कोई कैसे देश के अच्छा प्रधर्शन करने की उम्मीद कर सकता है। अगर वाइल्ड-कार्ड प्रविष्टियों या एसजीएफआई खिलाड़ियों ने बहुत अच्छी तरह से खेला होता, तो ऐसे सवाल उठाए नहीं जाते।"
खेल मंत्रालय के अधिकारियों, बीएआई और खेलो इंडिया के कार्यालय में संपर्क करने पर नवजीवन को कई जवाब नहीं मिला। नवजीवन ने हेमंत बिस्व सरमा (बीएआई प्रमुख); देवेंद्र सिंह (सीनियर वीपी- बीएआई); अरविंद सिंघल, अशोक सिंह (वीपी); राहुल भटनागर (खेल सचिव); इंदर धामिजा (संयुक्त सचिव-खेल); पंकज राग (सचिव-खेल विकास) से भी संपर्क करने की कोशिश की। इनमें से ज्यादातर ने यह कहते हुए, किसी अन्य को फोन करने के लिए कहा कि खेलो इंडिया के लिए वे जिम्मेदार नहीं थे।
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