ये है सरकार की सबसे बड़ी मुश्किल! उपाय ढूंढने में नाकाम हो रहे मोदी
केंद्र सरकार अपनी विफलता छुपाने के लिए नित्य नए बहाने बना रही है। लेकिन, आंकड़े आईना दिखाने के लिए काफी हैं। दरअसल, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में बेरोजगारी की दर 3 साल के उच्चतम स्तर पर है।
मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह से नाकाम दिख रही है। जीडीपी समेत सभी आंकड़े सरकार की विफलता को बयां कर रहे हैं। वहीं रोजगार जगत से भी राहत की खबर नहीं है। मोदी सरकार के सामने बेरोजगारी दर दैत्य की तरह मुंह बाए खड़ी है। केंद्र सरकार अपनी विफलता छुपाने के लिए नित्य नए बहाने बना रही है। लेकिन, आंकड़े आईना दिखाने के लिए काफी हैं। दरअसल, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में बेरोजगारी की दर 3 साल के उच्चतम स्तर पर है। रिपोर्ट के मुताबिक भारी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में हैं लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लग रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त में बेरोजगारी की दर 8.4 फीसदी रही, जो तीन साल का उच्चतम स्तर है। इससे पहले सितंबर 2016 में बेरोजगारी के आंकड़े इस स्तर पर पहुंचे थे। रिपोर्ट में अगस्त की साप्ताहिक बेरोजगारी दर के आंकड़े भी बताए गए हैं। इसके मुताबिक महीने के हर हफ्ते में बेरोजगारी की दर 8 से 9 फीसदी के बीच रही।
वहीं जुलाई में साप्ताहिक बेरोजगारी दर 7 से 8 फीसदी के बीच रही थी। ऐसे में अगस्त में हर हफ्ते बेरोजागीर दर में 1 फीसदी बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त महीने में शहरी बेरोजगारी दर में 9.6 फीसदी पर था जबकि ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी के आंकड़े 7.8 फीसदी पर पहुंच गए।
हालांकि ग्रामीण इलाकों में रोजगार में थोड़ी बहुत बढ़त देखने को जरूर मिली है। वहीं शहरी इलाकों में रोजगार में 0.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट कहती है कि नोटबंदी और जीएसटी के झटके से उबरने की वजह से श्रम भागीदारी दर बढ़ रही है लेकिन यह रोजगार दर के आंकड़ों से नहीं मिलती है। रिपोर्ट के मुताबिक लोग रोजगार की तलाश तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है। यह संकेत खतरे की घंटी है।
नए रोजगार तो दूर लोगों की नौकरियां जा रही हैं। लगभग हर सेक्टर में छंटनी की खबरें आ रही हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम कर रहे 2 लाख से ज्यादा लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। इस तरह कई दूसरे सेक्टर में भी छंटनी का दौर जारी है। वहीं टेक्सटाइल सेक्टर, एफएमसीजी सेक्टर और रियल एस्टेट सेक्टर में भी नौकरियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
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