दिल्ली को गैस चैंबर बनाने की मोदी सरकार ने दी मंजूरी, काट दिए जाएंगे 16,500 हरे-भरे पेड़
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली को गैस चैंबर बनाने के परवाने पर दस्तखत कर दिए हैं। केंद्र के वन मंत्रालय ने दक्षिण दिल्ली में सरकारी आवास बनाने के लिए 16,500 पेड़ काटे जाने को मंजूरी दे दी। इन पेड़ों को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर कैंपेन शुरु हुए हैं।
क्या आप दिल्ली के प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं? अगर हां, तो यह खबर आपको और चिंता में डाल देगी। राजधानी दिल्ली के दक्षिणी इलाके से जल्द ही 16,500 पेड़ों को काट डाला जाएगा, क्योंकि केंद्र सरकार को इस जगह पर अपने अधिकारियों के लिए घर बनाने हैं।
जिन इलाकों से पेड़ काटे जाएंगे उनमें सरोजनी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नजर, मोहम्मदपुर, कस्तूरबा नगर और श्रीनिवासपुरी शामिल हैं।
पर्यावरण प्रभाव आंकलन रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार के इस प्रोजेक्ट के लिए दक्षिण दिल्ली सरोजनी नगर में 11,000 पेड़ काटे जाएंगे। इसी तरह नेताजी नगर में 3000 और 520 पेड़ कस्तूरबा नगर में काटे जाने हैं। ऐसा ही त्यागराज नगर में होगा जहां 108 पेड़ों को काटा जाना है। नौरोजी नगर में करीब 1500 पेड़ों को काटने काम शुरु भी हो चुका है।
पर्यावरण एक्टिविस्ट प्रशांत के मुताबिक, पूर्ण विकसित और हरे भरे पेड़ों को काटने से शहर पर बहुत खतरनाक असर पड़ेगा, और इसकी भरपाई पौधे लगाने से नहीं हो सकती।
इन पेड़ों को बचाने के लिए कई अभियान शुरु हुए हैं। दिल्ली के लोगों ने सेव डेल्ही ट्रीज़ नाम से फेसबुक पर भी कैंपेन शुरु किया है, इस पर डेल्ही ट्री एसओएस का पेज है। इसी तरह एक मोबाइल नंबर पर मिस्ड काल देने का अभियान भी शुरु किया गया है। मोबाइल नंबर है 8971222911
इस अभियान से जुड़ी जूही सकलानी ने नवजीवन से बातचीत में कहा कि, “इन पेड़ों को काटने से दिल्ली के ग्रीन कवर को भयंकर नुकसान होगा। वन विभाग कहता है कि हर पेड़ के बदले 10 पौधे दूसरी जगहों पर लगाए जाएंगे, लेकिन इन पौधों की देखभाल का जिम्मा लेने वाला कोई नहीं है। साथ ही यह भी नहीं पता है कि ये पौधे लगाए कहां जाएंगे।”
जूही का कहना है कि वे इस बारे में विशेषज्ञों से बात कर रही हैं ताकि कानूनी कदम उठाए जा सकें। उन्होंने कहा कि, “हम जल्दबाज़ी में कोर्ट नहीं जाना चाहते। दिल्ली के लोगों का इस मामले में आगे आना अहम है। उन्हें पता होना चाहिए कि उनके साथ और उनके बच्चों के साथ क्या होने वाला है। हम अपने अभियान के जरिए लोगों से वन मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और दूसरे संबंधित विभागों को पत्र लिखने, ईमेल भेजने, ट्वीट करने की अपील कर रहे हैं।”
इसी तरह के अन्य कैंपेन भी दूसरे समूहों ने भी शुरु किए हैं। इस सिलिसले में सरोजनी नगर के रहने वाले राकेश सिन्हा कहते हैं कि, “मैं सरोजनी नगर में रहता हूं और यहां के पेड़ काट दिए जाएंगे, बदले में अगर वजीराबाद में पेड़ लगेंगे तो उससे मुझे क्या मिलेगा। और दूसरा, इन पौधों को पूर्ण विकसित वृक्ष बनने में बरसों लग जाएंगे।”
त्यागराज नगर के रहने वाले सत्यम कुमार सिन्हा का भी कहना है कि, “दिल्ली में प्रदूषण उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, फिर भी यहां पेड़ों को काटने की इजाजत दी जा रही है। मैं नहीं जानता कि मेरा एक साल का बच्चा बड़ा होगा तो दिल्ली की हालत क्या होगी। जो पौधे वह लगा रहे हैं तो क्या उसका फायदा मेरे बेटे को मिलेगा जो तब तक अस्थमा का शिकार हो चुका होगा।”
हमने इस सबारे में नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल से बात करने की कोशिश की, लेकिन वह तो गर्मी की छुट्टी पर है और 2 जुलाई के बाद ही उसका दफ्तर खुलेगा।
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