'देश में वायु प्रदूषण से बिगड़ रहा मानसिक स्वास्‍थ्य', दिल्ली सरकार ने एनजीटी से कहा

पीठ ने उस रिपोर्ट पर गौर किया जिसमें इस बात के सबूत दिये गये थे कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से भारत में मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और उदासी, चीजों को याद रखने में कठिनाइयां और जीवन की चुनौतियों से निपटने की क्षमता कम होने जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भारत में वायु प्रदूषण के कारण लोगों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, जिससे उनमें उदासी, चीजों को याद रखने से जुड़ी कठिनाइयां आ रही हैं और जीवन की चुनौतियों से निपटने की क्षमता कम हो गई है। दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष यह बात रखी।

इससे पहले अधिकरण ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता में गिरावट के 'मनोवैज्ञानिक पहलू' के विश्लेषण की आवश्यकता पर जोर देते हुए दिल्ली सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) सहित विभिन्न प्राधिकारों से जवाब मांगा था।

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों को दर्शाने वाले विभिन्न अध्ययनों पर प्रकाश डालते हुए अपना जवाब दाखिल किया है।

पीठ ने उस रिपोर्ट पर गौर किया जिसमें इस बात के सबूत दिये गये थे कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से भारत में मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और उदासी, चीजों को याद रखने में कठिनाइयां और जीवन की चुनौतियों से निपटने की क्षमता कम होने जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।

अधिकरण ने दो अप्रैल के एक आदेश में कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वायु प्रदूषण ने लोगों, खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर आबादी में मनोवैज्ञानिक संकट को बढ़ा दिया है।

अधिकरण ने सीपीसीबी के जवाब को ध्यान में रखते हुए कहा कि अमोनिया, सीसा, निकल, आर्सेनिक और बेंजो (ए) पाइरीन सहित कुछ वायु प्रदूषकों की निगरानी नहीं की जा रही।

अधिकरण ने मामले पर अगली सुनवाई 10 जुलाई के लिए निर्धारित की।

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