'मेहुल भाई' चोकसी इंटरपोल की रेड कॉर्नर नोटिस की सूची से बाहर, भारतीय एजेंट पर लगाया अपहरण की कोशिश का आरोप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी ‘भगोड़े’ मेहुल चोकसी के इतने नजदीक होते थे कि उन्हें ‘मेहुल भाई’ के नाम से बुलाते थे। लेकिन अब मेहुल चोकसी अब एक कैरेबियाई अदालत में अर्जी देकर अब इस दावे पर मुहर लगवाना चाहते हैं कि भारत सरकार ने उनका अपहरण करने की कोशिश की।
भारतीय मूल के हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी ने कैरेबियाई हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र देकर दावा किया है कि भारत सरकार के एजेंटों ने उनका मई 2021 में अपहरण कर उन्हें टॉर्चर (प्रताड़ना देना) किया था। मेहुल चोकसी 2017 से कैरेबियाई द्वीप एंटिगा और बार्बुडा के नागरिक हैं।
इस दावे को एंटिगा और बार्बुडा पुलिस के साथ ही डॉमिनिक न्यायपालिका ने स्वीकार कर लिया है कि चोकसी का वास्तव में उनकी इच्छा के विरुद्ध अपहरण कर उन्हें डॉमिनिका ले जाया गया था।
संभवत: भारत की आजादी के बाद यह पहला मौका है जब भारत सरकार पर सीधे या परोक्ष रूप से आरोप लगा है कि उसने विदेश की धरती पर कुछ ऐसी हरकत की है। वैसे इस मामले में भारत सरकार को वादी नहीं बनाया गया है।
इस मामले की सुनवाई कर रही जज मेरिसा रॉबर्टसन ने आदेश दिया है कि सरकार और एंटिगा-बार्बुडा की पुलिस को इस बात का जवाब देना होगा कि उन्होंने चोकसी की शिकायत पर पूरी और समग्र जांच की या नहीं।
चोकसी पर भारत में पंजाब नेशनल बैंक को करीब 13,000 करोड़ रुपए का चूना लगाने का आरोप है और वे भारतीय एजेंसियों के लिए एक वांछित अपराधी हैं। हालांकि चोकसी इस आरोप से इनकार करते रहे हैं।
चोकसी के शपथ पत्र के लंदन स्थित एक बैरिस्टर (वकील) एडवर्ड फिट्जजेराल्ड ने पेश किया है। उनका कहना है कि चोकसी को एक नाव द्वारा जबरदस्ती एंटिगा से डॉमिनिका ले जाया गया था और उस समय इस नौका में दो भारतीय मूल के दो लोग भी थे। इस शपथ पत्र में आगे कहा गया है कि ये दोनों व्यक्ति भारतीय एजेंसी रॉ (RAW) के एजेंट थे। रॉ भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है।
शपथ पत्र में आगे कहा गया है कि, “प्रार्थी को किसी से मोबाइल फोन पर बात करने को मजबूर किया गया जिसने अपना नाम नरेंद्र सिंह बताया था और कहा था कि वह इस केस का इंचार्ज है। साथ ही यह भी कहा गया है कि जिस समय चोकसी को ‘अगवा’ किया गया उस समय वह व्यक्ति एंटिगा में मौजूद था। इस व्यक्ति ने वादा किया था कि डॉमिनिका पहुंचने के बाद चोकसी को भारत वापस ले जाया जाएगा अन्यथा उसे और उसके परिवार को गंभीर नुकसान हो सकता है।” उसने कहा था कि, “मैं तुम्हें उलटा लटका दूंगा और तुम्हारे शरीर की खाल खींच लूंगा, इसके बाद तुम्हारे परिवार का नंबर आएगा। मैंने पहले भी बहुत बार ऐसा किया है।”
दावे में आगे कहा गया है कि, “पूरी यात्रा के दौरान प्रार्थी (चोकसी) को कई बार पीटा गया और कई अन्य तरीके से प्रताड़ना दी गई। इस प्रताड़ना की वजह से प्रार्थी (चोकसी) कई बार बेहोश भी हुआ।” कहा गया है कि, “ऐसे सबूत हैं कि इस पूरे मामले में (प्रार्थी के अपहरण में) भारत सरकार का हाथ है...सबूत है कि एक विमान डॉमिनिका आया था जिसे चोकसी को भारत ले जाना था और इसके पीछे भारत सरकार का एक मकसद था और उसके पास इस अपहरण को अंजाम देने के साधन थे।”
शपथ पत्र में चोकसी ने निश्चित तारीख का दावा किया है जिसका संबंध एंटिगा एंड बार्बुडा के अटॉर्नी जनरल और पुलिस कमिश्नर से है। इसमें मांग की गई है कि इस मामले की तेज और प्रभावी जांच की जाए कि उसे किन परिस्थितियों में अगवा कर एंटिगा एंड बार्बुडा के न्यायिक क्षेत्र से 23 मई 2021 को बाहर ले जाया गया।
शपथ पत्र के दावों को लगभग पूरी तरह मानते हुए जज रॉबर्टसन ने कहा कि, “इस मामले में वादी को जवाब देना होगा।” जज ने आदेश दिया कि वादी को अपना पक्ष रखना होगा और यह काम 31 मार्च 2023 तक करना होगा। जज रॉबर्टसन ने यह भी आदेश दिया है कि वादी को प्रार्थी के खर्च का 75 फीसदी भी चुकाना होगा।
रॉबर्टसन ने माना है कि, ‘वादी के वकीलों को ध्यान रखना होगा कि शुरुआती नजर में लग रहा है कि प्रार्थी (चोकसी) को अगवा कर एंटिगा से बाहर ले जाया गया, पुलिस के पास संदिग्धों के नाम थे और जांच में भी इस बात के संकेत सामने आते हैं।’
एंटिगा एंड बार्बुडा पुलिस ने 19 जून 2021 को पुलिस ने एंटिगा एंड बार्बुडा अधिकारियों से अनुरोध किया था कि वे इस मामले में आरोपों के आधार पर दी गई लोकेशन का पता लगाने के लिए इंटरपोल की मदद लें, जिसमें पांच संदिग्ध व्यक्ति एंटिगा से बाहर गए थे, इनमें एक भारतीय नागरिक, दो भारतीय मूल के लोग, एक ब्रिटिश नागरिक और एक हंगरी की नागरिक शामिल थी। ये सभी यूके के निवासी थे।
पुलिस रिपोर्ट में कहा गया था कि एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास एक अन्य कैरेबियाई राज्य सेंट किट्स एंड नेविस का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट था और हंगरी की एक महिला इस मामले में प्रमुख संदिग्ध हैं। लेकिन पुलिस की सिफारिशों पर एंटिगा एंड बार्बुडा अधिकारियों ने 18 महीने तक कोई कार्यवाही नहीं की।
चोकसी के शपथ पत्र में बताया गया है, “चोकसी के अपहरण के तार एंटिगा एंड बार्बुडा सरकार से भी जुड़ते हैं, क्योंकि अगवा करने वालों में शामिल एक व्यक्ति ने कहा था कि वह एंटिगा एंड बार्बुडा पुलिस से है। आगे कहा गया है कि इस बात के सबूत हैं कि एंटिगा एंड बार्बुडा सरकार इस मामले की जांच में होने वाले खर्च को बंद कर दिया था और एंटिगा एंड बार्बुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउनी ने मीडिया में कहा था कि वह चोकसी को भारत प्रत्यर्पित करने के मामले में भारत सरकार और डॉमिनिका सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं जिसके बाद प्रार्थी (चोकसी) एंटिगा एंड बार्बुडा के नागरिक अधिकारों की मांग न कर सके।”
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गौरतलब है कि महेलु चोकसी ने एंटिगा एंड बार्बुडा हाईकोर्ट में भारत सरकार के प्रत्यर्ण आवेदन को भी चुनौती दे रखी है। वैसे तो इस प्रक्रिया में वक्त लगता है, लेकिन चूंकि एंटिगा एंड बार्बुडा अभी भी ब्रिटिश राजशाही यानी ब्रिटिश किंग को ही अपनी सरकार का मुखिया मानता है इसलिए इस मामले पर अंतिम फैसला ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय के नजदीकी वकील द्वारा लंदन में किया जा सकता है।
शपथ पत्र में चोकसी के अपहरण में डॉमिनिका सरकार का हाथ होने की भी बात कह गयी है। कहा गया है कि जब प्रार्थी (चोकसी) डॉमिनिका तट पर पहुंचा तो वहां एक उच्च स्तरीय दल मौजूद था।
पूरे मामले में इंटरपोल ने तीन रेज कॉर्नर नोटिस जारी किए थे। जनवरी में एंटिगा एंड बार्बुडा पुलिस ने कहा था, ‘इन रेड कॉर्नर नोटिस को कॉनलिफ क्लार्क द्वीप के एक मजिस्ट्रेट ने मंजूर किया था।’ एंटिगा के अखबार ऑब्जर्वर ने पिछले महीने खबर दी थी कि चोकसी के कथित अपहरण में शामिल हंगरी की महिला को संयुक्त राज्य एमिरात में हिरासत में लिया गया था। लेकिन एंटिगा एंड बार्बुडा पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की थी।
बताया जाता है कि ब्रिटेन में नेशनल क्राइम एजेंसी भी इस मामले में सक्रिय है। जांच से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि लेकिन ब्रिटेन की धरती पर सिर्फ उन लोगों को ही गिरफ्तार किया जा सकता है जिनके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस है और एंटिगा एंड बार्बुडा सरकार ऐसा करने का अनुरोध करती है।
वैसे एनसीए ने इस मामले में सिर्फ इतना ही कहा कि, “हम इस बात की न तो पुष्टि करते हैं और न ही खंडन करते हैं कि हमें इस मामले में एंटिगा एंड बार्बुडा की तरफ से जांच करने का अनुरोध मिला है।” रोचक यह है कि इस मामले में एनसीए के प्रवक्ता ने पूरी बात न बताए जाने के लिए क्षमा याचना की है।
एजेंसी के सूत्र ने यह भी पुष्टि की कि एनसीए दरअसल पूरे मामले में पैसा लेनदेन के ओरछोर का पता लगाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि आरोप है कि अपहरणकर्ताओँ को लाखों डॉलर का भुगतान यूएई में हुआ है।
इस दौरान नरेंद्र मोदी सरकार को एक और झटका लगा है, क्योंकि इंटरपोल ने मेहुल चोकसी को पनी रेड कॉर्नर नोटिस वाली सूची से हटा दिया है। ऐसा लगता है कि शायद इंटरपोल मानता है कि न सिर्फ मेहुल चोकसी का अपहरण करने की कोशिश की गई बल्कि इसके पीछे भारतीय अधिकारियों का हाथ था।
इंटरपोल के बयान से संकेत मिलता है कि चोकसी ने ही इस लिस्ट से अपना नाम हटाने की अपील की थी। और इंटरपोल ने फैसला लेते हुए लिखा, “ऐसी विश्वसनीय संभावना है कि प्रार्थी (चोकसी) को एंटिगा से अपहृत कर डॉमिनिका ले जाने के पीछे एक खास मकसद था और उसे भारत ले जाया जाना था।”
इस बात इनकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय एजेंट कतर एयरवेज के एक एक्जीक्यूटिव विमान से डॉमिनिका पहुंचे थे और उनकी कोशिशि चोकसी को भारत लाने की थी, लेकिन ऐन मौके पर डॉमिनिका पुलिस ने इस नाकाम कर दिया। यह जानकारी एक पुलिस वाले ने ही डॉमिनिका रेडियो के एक प्रजेंटर को दी थी। प्रेजेंटर ने इस बात को अपने कार्यक्रम में प्रसारित किया था जिसके बाज वहां के अधिकारी हरकत में आ गए थे।
इंटरपोल को लगता है कि चोकसी ‘अगर भारत लौटता है तो उसे खतरा हो सकता है और उसे शायद निष्पक्ष सुनवाई न मिले।‘ 195 लोकतांत्रिक देशों की पुलिस के संयुक्त संगठन का ऐसा कहना मोदी सरकार के शासन और इस दौर की न्यायिक व्यवस्था पर यह तीखी टिप्पणी है।
प्रधानमंत्री मोदी के तो चोकसी के साथ अच्छे संबंध थे और वे तो सार्वजनिक तौर पर उन्हें ‘मेहुल भाई’ कहकर बुलाते थे। लेकिन चोकसी के मुताबिक इन रिश्तों में तब से धीरे धीरे कमी आ गई जब से मोदी 2014 में केंद्र की सत्ता में आए।
यह सार्वजनिक है कि 2016 या 2017 में चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स ने मोदी सरकार के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की बेटी और दामाद को अपने उत्तर भारतीय कारोबारों के लिए वकील नियुक्त किया था और इसके लिए उन्हें एडवांस भुगतान भी हुआ था। जब 2018 में पंजाब नेशनल बैंक ने चोकसी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया तो अरुण जेटली घबार उठे थे और उन्होंने एजेंसियों को जांच करने के लिए कहा था।
इस जांच के सिलसिले में जब एजेंसियों ने चोकसी के भारत में दफ्तरों और प्रतिष्ठानों पर छापे मारे तो चोकसी उस समय न्यूयॉर्क में दिल के ऑपेशन के लिए गया हुआ था। उसके बाद से ही चोकसी भारत नहीं लौटा है। इस दौरान अरुण जेटली के बेटी-दामाद ने या तो चोकसी से मिले एडवांस को वापस कर दिया है या फिर उन चेक को कैश ही नहीं कराया जो फीस के तौर पर मिले थे।
चोकसी ने कहा है कि 2018 की दिवाली के करीब जब आम चुनाव महज 6 महीने दूर थे तो एक उद्योगपति ने उन्हें फोन किया। कहा जाता है कि यह उद्योगपति मोदी के नजदीकियों में है। उद्योगपति ने सुझाव दिया कि वे भारत आ जाएं और उन्हें कुछ नहीं होगा।
कहा गया कि चोकसी को एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया जाएगा और उनकी सेहत को देखते हुए जेल के बजाए अस्पताल ले जाया जाएगा। आरोप है कि इस व्यक्ति ने चोकसी से कहा कि वह बीजेपी को चंदा दें और वादा किया कि कुछ समय बाद ही चोकसी को जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा।
बताया जाता है कि चोकसी ने इस बारे में अपने परिवार से सलाह-मशविरा किया और यह कहकर इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि डॉक्टरों ने उन्हें लंबी यात्रा करने से परहेज के लिए कहा है। जब चोकसी ने अपने इस फैसले को उद्योगपति को बताया तो उद्योगपति ने कहा कि अगर वह नहीं आएंगे तो उन्हें जबरदस्ती उखाड़ कर ले आया जाएगा। और 23 मई 2021 को बिल्कुल ऐसा ही हुआ।
चोकसी अब न्यायिक साधनों के माध्यम से उस अपराध का पर्दाफाश करने के लिए सामने आया है जिसे पर एक तरह से एंटीगा एंड बार्बुडा पुलिस और एक डोमिनिकन अदालत ने शुरुआती तौर पर प्रभावी बातें कही हैं। लंदन के एक वकील का कहना है कि, “ऐसा लगता है कि उनका (चोकसी का) मकसद कैरेबियन या ब्रिटिश अदालत या दोनों से यह प्रमाणित कराना है कि उनके अपहरणकर्ताओं ने मोदी सरकार के इशारे पर काम किया।
चोकसी के हलफनामे पर भारतीय विदेश मंत्रालय को शिष्टाचार के तौर पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया, लेकिन इसने कोई जवाब नहीं दिया है।
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