कैंब्रिज एनालिटिका मामले में मार्क जकरबर्ग ने तोड़ी चुप्पी, कहा हमारी गलती, हम ही सुधारेंगे
कैंब्रिज एनालिटिका मामले के तूल पकड़ने के बाद फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा है कि इस मामले में गलती उनकी है और वे ही इसे दुरुस्त भी करेंगे।
पूरी दुनिया में आलोचना होने के बाद आखिरकार फेसबुक के संस्थापक ने केंब्रिज एनालिटिका मामले में चुप्पी तोड़ते हुए अपनी गलती मानी है। उन्होंने कहा कि फेसबुक इस्तेमाल करने वालों के डाटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हमारी है। अगर हम ऐसा नहीं कर पाते हैं तो हमें आपके लिए काम करने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा कि यह विश्वास में सेंध लगाने जैसा है। यूजर्स किसी भी सोशल साइट के साथ जानकारी साझा करते हुए यह विश्वास रखते हैं कि उनकी जानकारी की सुरक्षा हम करेंगे।
जकरबर्ग ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर कहा कि, ‘मैं यह समझने की कोशिश कर रहा हूं कि आखिर ऐसा कैसे हुआ। हम यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसा न हो।‘ जकरबर्ग ने डाटा सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाए जाने की बात भी कही है।
उन्होंने कहा कि अभी और पहले सामने आई समस्याओं के समाधान के लिए फ़ेसबुक की तरफ़ से ये क़दम उठाए जाएंगे। उन सभी ऐप्स की जांच की जाएगी, जिन्होंने 2014 में डेटा ऐक्सेस को सीमित किए जाने से पहले ही बड़ी मात्रा में जानकारियां हासिल कर ली थी।
- संदिग्ध गतिविधियों वाले सभी ऐप्स की पड़ताल की जाएगी
- पड़ताल के लिए सहमत न होने वाले डिवलेपर को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा
- निजी जानकारियों का दुरुपयोग करने वाले डिवलेपर्स को बैन कर दिया जाएगा और प्रभावित हुए लोगों को इसकी सूचना दी जाएगी
उन्होंने समझाया कि साल 2013 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एलेक्जेंडर कोगन ने क्विज एप बनाया था। इसे ऐप को करीब 3 लाख लोगों ने डाउनलोड किया था। इसी ऐप से यूजर्स के पर्सनल डाटा का इस्तेमाल गया। इससे न सिर्फ उन 3 लाख लोगों की जानकारियों को शेयर किया गया बल्कि उनकी दोस्तों की जानकारी में भी सेंध लगाई गई।
दरअसल अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स और ब्रिटेन के ऑब्जर्वर की पड़ताल में सामने आया है कि ब्रिटेन की कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी ने फेसबुक के पांच करोड़ से ज्यादा यूजर के बारे में जानकारियां का बिना उनकी अनुमति के इस्तेमाल कीं। यह सब 2016 में डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति पद का चुनाव जितवाने के लिए किया गया। कंपनी ने इन जानकारियों के आधार पर वोटरों के व्यवहार की जानकारी इकट्ठा की। यह खुलासा कैंब्रिज एनालिटिका के ही एक कर्मचारी क्रिस्टोफर वाइली ने किया।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के प्रोफेसर अलेक्जेंद्र कोगन की कंपनी ग्लोबल साइंस रिसर्च ने लोगों के व्यक्तित्व पर शोध करने के लिए 2014 में ‘दिस इज योर डिजिटल लाइफ’ नाम का एक ऐप बनाया था। फेसबुक के करीब 3 लाख यूजर ने इस ऐप को डाउनलोड किया, लेकिन कंपनी ने उनके दोस्तों की जानकारियों को भी हासिल कर लिया। इस तरह उसके पास करीब 50 करोड़ लोगों के व्यक्तित्व की जानकारी इकट्ठा हो गई।
यह जानकारी इकट्ठा कर ग्लोबल साइंस रिसर्च ने इसे कैंब्रिज एनालिटिका को दे दिया, जिसने इसका इस्तेमाल न सिर्फ अमेरिकी चुनाव में वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया बल्कि यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने के जनमत संग्रह पर भी असर डाला।
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Published: 22 Mar 2018, 11:03 AM