मराठा आरक्षणः मनोज जरांगे ने फडणवीस पर फिर साधा निशाना, आंदोलन के दौरान अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर खेद जताया
जरांगे ने आरोप लगाया कि फडणवीस ने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में विरोध स्थल पर तंबू हटाने का आदेश दिया है। जरांगे ने छत्रपति संभाजीनगर से वहां जाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें बताया कि मंच या तंबू हटाने का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने आंदोलन के दौरान अभद्र भाषा के इस्तेमाल को लेकर मंगलवार को खेद व्यक्त किया। हालांकि एक बार फिर उन्होंने उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए कई गंभीर आरोप लगाए, जिससे राज्य की सियासत एक बार फिर गर्मा गई।
जरांगे ने फडणवीस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में विरोध स्थल पर तंबू हटाने का आदेश दिया है। जरांगे ने छत्रपति संभाजीनगर से अंतरवाली सराटी गांव जाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें बताया कि मंच या तंबू हटाने का ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। जालना पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जहां जरांगे का आंदोलन चल रहा था, वहां से तंबू या मंच को हटाने के लिए उन्होंने कोई टीम नहीं भेजी गई है।
इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती जरांगे ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अंतरवाली सराटी में तंबू और मंच को हटाने का आदेश दिया है। अगर मेरा समुदाय किसी समस्या में है, तो मैं यहां (छत्रपति संभाजीनगर) कैसे उपचार करा सकता हूं? यह किस प्रकार की धौंसपट्टी है? क्या हमारे पास आंदोलन करने का अधिकार नहीं है?''
जरांगे ने बाद में दावा किया कि पुलिस से उनकी फोन पर बातचीत हुई और उन्होंने (पुलिस ने) उन्हें बताया है कि मंच और तंबू नहीं हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ''विधानसभा को आज (मंगलवार को) बताया गया कि मैंने अपने आंदोलन के दौरान अपशब्दों का इस्तेमाल किया। मैंने जानबूझकर ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। यह गलती से हुआ। मैं अपने शब्द वापस लेता हूं और माफी मांगता हूं।''
फडणवीस के खिलाफ असंयमित भाषा का इस्तेमाल करने के लिए मनोज जरांगे को रविवार को बीजेपी नेताओं की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ा था। इससे पहले जरांगे ने राज्य सरकार द्वारा कुनबी मराठों के रक्त संबंधियों से जुड़ी अधिसूचना को लागू नहीं करने के खिलाफ उपवास करते हुए कथित तौर पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया था।
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