सीएम खट्टर ने प्रदर्शनकारियों के 'सिर फोड़ने' के आदेश को ठहराया जायज, किसानों को फिर दी चेतावनी, कहा- यदि मैं कह देता...
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर दो दिन पहले करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर खेद तक जताने को तैयार नहीं हैं। बल्कि उन्होंने लाठीचार्ज को जायज ठहराते हुए किसानों को फिर चेतावनी दे दी है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर दो दिन पहले करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर खेद तक जताने को तैयार नहीं हैं। बल्कि उन्होंने लाठीचार्ज को जायज ठहराते हुए किसानों को फिर चेतावनी दे दी है। उन्होंने एक तरीके से कहा कि वह तो संयम बरत रहे हैं नहीं तो पहले ही पता नहीं क्या हो गया होता। वह लोकतंत्र की दुहाई देने के साथ किसानों को ही बार-बार उनकी हद बताते रहे हैं। चंडीगढ़ प्रेस क्लब में सोमवार को मीडिया से मुखातिब मुख्यमंत्री मनोहर लाल एक सवाल का जवाब में बनाई गई लंबी-चौड़ी भूमिका में सरकार को जायज और किसानों को गलत ठहराते रहे। मुख्यमंत्री से सवाल सीधा किया गया था कि दो दिन पहले करनाल में हुआ लाठीचार्ज सरकार ने करवाया है। सवाल सीधा था, लेकिन सीएम ने जवाब घुमाकर दिया। लोग अपेक्षा कर रहे थे कि सीएम कम से कम खेद तो जता ही देंगे। क्योंकि एक दिन पहले उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला घटना को गलत ठहरा चुके थे और वायरल हुए वीडियो में दिख रहे आईएएस अधिकारी के खिलाफ एक्शन की बात कह चुके थे। लेकिन सीएम ने खेद नहीं जताया। बल्कि लाठीचार्ज को तर्कों से जायज ठहराते रहे।
मुख्यमंत्री ने भूमिका बनाते हुए कहना शुरू किया कि करनाल में हमारी पहले से मीटिंग तय थी। विरोध करने वालों ने एक दिन पहले योजना बनाई कि यह मीटिंग हम नहीं होने देंगे। हम इस मीटिंग का विरोध करेंगे। पहली बात तो इसी में है कि हमारे देश में संवैधानिक तरीके से जो लोकतंत्र की व्यवस्था है उसका सभी को पालन करना चाहिए। प्रशासन को उस लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन करना जिम्मेदारी होती है।
सीएम ने कहा कि महीने भर पहले प्रशासन और आंदोलनकारियों के बीच में एक लिखित समझौता हुआ कि हम जो भी प्रदर्शन करेंगे वह लोकतांत्रित तरीके से करेंगे। इसमें नारे बोलने की उन्हें छूट है। काला झंडी दिखाने की छूट है। लेकिन किसी का रास्ता रोकना या किसी के काम में व्यवधान डालना यह उसमें कहीं भी नहीं है। यह समझौता होने के बाद वह प्रदर्शन कर ही रहे हैं। इसके बाद यह घटना होना कि हम किसी को वहां जाने नहीं देंगे। हमारे प्रदेश अध्यक्ष को रोका गया। काले झंडे कोई बात नहीं है, लेकिन गाड़ी रोकना...फिर बीच में सिरसा में घटना हुई, जब डिप्टी स्पीकर की गाड़ी को रोका गया। यह लोकतंत्र के विरोध में है। लोकतंत्र की सुरक्षा करना शासन-प्रशासन सभी का काम है। वहां आदेश दिए जाते हैं कि यहां कोई आदमी आ न जाए। उसे हर तरीके से रोकना है। अब जो वीडिया-आडियो सुनी है उसमें शब्दों का चयन उस अधिकारी का सही नहीं है। इसे मानने में हमें कोई गुरेज नहीं है कि सख्ती करना तो उनका काम है। जब लॉ एंड आर्डर को मेनेटेन करने के लिए फोर्सेस काम करती हैं तो क्या-क्या नहीं होता है। सारी सख्ती की जाती है। उस अधिकारी पर कार्रवाई होगी या नहीं यह एडमिनिस्ट्रेशन पहले देखेगा, हम बाद में देखेंगे। उसमें कितना करना चाहिए कितना नहीं करना चाहिए यह डीजीपी रिपोर्ट देंगे उस हिसाब से हम करेंगे।
सीएम खट्टर ने कहा कि मैं यह कह रहा हूं कि उनको यह शब्द नहीं बोलने चाहिए थे, लेकिन सख्ती नहीं बरतनी चाहिए थी यह तो नहीं है। सख्ती तो लोकतंत्र को मेनटेन करने के लिए करनी चाहिए थी। कोई यह कहे कि हम तो व्यवधान डालेंगे। मुख्यमंत्री को वहां नहीं जाने देंगे। यह तो ठीक बात नहीं है। यह तो उनको समझना पड़ेगा कि लोकतांत्रिक तरीके से चलें। कोई बहुत बड़ा लाभ उनको इस आंदोलन को इस तरीके से चलाने से नहीं हो रहा है। यह मैं उनको चेतावनी दे रहा हूं। उनको लाभ नहीं हो रहा है। उनको नुकसान हो रहा है। समाज उनके खिलाफ खड़ा हो रहा है। बहुत बड़ी संख्या नहीं है। कल से मुझे फोन आ रहे हैं कि इनसे सख्ती से निबटो। लेकिन हम चाहते हैं इन्हें मना लें। ये अपने लोग हैं।
सीएम एक तरह से घुड़की देते हुए कहते हैं कि अपने लोग भी जब बिगड़ जाएं...,घर में जो बालक होता है वह भी घर का होने के बावजूद कई बार बिगड़ जाता है। तब घर का जो बड़ा होता है, वह एक सीमा में उसके साथ व्यवहार करता है और वह सीमा बदलती रहती है। एक सीमा ऐसी थी कि बाप बेटे को थप्पड़ भी मारता था और लाठी भी मारता था और अच्छी सजा देकर अंदर कमरे में बंद कर देता था। आज तो कोई मां-बाप ऐसा नहीं कर सकता। कोई मां-बाप ऐसा कर दे तो बेटा जाकर मानवाधिकार पर खड़ा हो जाता है। समय-समय पर चीजें बदलती रहती हैं। राइट टू स्पीच सबका अधिकार है, लेकिन किसी के काम में व्यवधान पैदा करना यह किसी का अधिकार नहीं है।
सीएम अंग्रेजी की लाइन का भी इस्तेमाल करते हैं। वह कहते हैं कि हर स्वतंत्रता की सीमाएं हैं। संपूर्ण स्वतंत्रता किसी को नहीं है (there are no absolute freedom)। इस नाते से हमको एक वातावरण बनाना चाहिए। लोकतंत्र में हम बोलें, भाषण दें, अपना विरोध दर्ज कराएं, लेकिन हम किसी का काम...वर्ना इन्होंने क्या नहीं किया। उसी स्थान पर जहां यह घटना हुई है इन्होंने हमारा हेलीकॉप्टर नहीं उतरने दिया। मैंने उसको संभाला। यदि मैं कह देता कि उतारो और पुलिस के आदेश हो जाते कि सख्ती से निबटो तो क्या होता उस दिन। इसलिए हमारी सबकी जिम्मेदारी और जिम्मेदारी के नाते विरोध को आगे बढ़ाएं। हां, उनकी तकलीफें हैं, लेकिन यह तकलीफें कोई हरियाणा सरकार से नहीं हैं उनकी। केंद्रीय कानून हैं।
सीएम ने प्रदर्शनकारी किसानों पर आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा को उन्होंने बहुत गलत चुन लिया है। इसमें पंजाब सरकार के लोगों का हांथ है। लेकिन इसके बाद किए गए सवाल कि आप कहते हैं कि यह लोकतांत्रिक तरीका नहीं है, लेकिन सरकार महीनों से किसानों से बात नहीं कर रही है, क्या यह लोकतांत्रिक है। सीएम के पास इसका जवाब नहीं था।
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Published: 30 Aug 2021, 7:53 PM