ममता सरकार ने बुलाया विधानसभा का विशेष सत्र, मंगलवार को पेश करेगी 'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक'

इससे पहले ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को दो पत्र लिखे थे, जिसमें रेप की घटनाओं पर सख्त केंद्रीय कानून बनाने की मांग की थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि ऐसे अपराधों के दोषियों को 15 दिन के भीतर कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

ममता सरकार मंगलवार को पेश करेगी अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक
ममता सरकार मंगलवार को पेश करेगी अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक
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आसिफ एस खान

पश्चिम बंगाल विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र सोमवार और मंगलवार को चलेगा इसके दौरान ममता सरकार एक नया विधेयक पेश करने जा रही है। सत्र में बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषियों को मौत की सजा देने से संबंधित 'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक' पेश किया जाएगा। पिछले महीने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। पिछले कुछ दिनों से इसके खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

इस बीच राज्य सरकार ने 'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक' लाने का प्रस्ताव रखा है और इसे मंगलवार को विधानसभा में पेश किया जाएगा। ममता बनर्जी की पार्टी के सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में विधेयक पेश किए जाने के समय मुख्यमंत्री के मौजूद रहने की संभावना है। साथ ही प्रस्तावित विधेयक पर चर्चा के लिए कुल दो घंटे का समय आवंटित किया जाएगा।


इस विधेयक को विधानसभा में लाने की घोषणा पिछले महीने ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की छात्र शाखा के स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए की थी। उन्होंने कहा था कि इसे विधानसभा के विशेष सत्र में पारित कराया जाएगा। इस मामले में ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी को दो पत्र लिखे थे। पत्र के जरिए उन्होंने बलात्कार की घटनाओं पर सख्त केंद्रीय कानून बनाने की मांग की थी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि ऐसे अपराधों के दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पत्र में उन्होंने ऐसे मामलों में अपराधियों की सुनवाई की प्रक्रिया 15 दिन के भीतर शुरू करने की मांग की।

हालांकि, राज्य सरकार की ओर से इस तरह के कदम के विरोध में विपक्षी दलों और कानूनी विशेषज्ञों ने कहा है कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए केंद्रीय स्तर पर मजबूत कानूनी प्रावधान मौजूद हैं। हाल ही में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में राज्य प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली की समाज के कई वर्गों द्वारा आलोचना की जा रही है। लोगों का आरोप है कि राज्य प्रशासन इस घटना के पीछे के सबूतों को छिपाने की कोशिश कर रहा है।

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