14.98 करोड़ मनरेगा मजदूरों का अकाउंट आधार से लिंक नहीं, इनकी मजदूरी नहीं मिलेगी? इन्हें मजबूर मत समझिए मोदी जी: खड़गे
मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के इच्छुक लोगों को साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाती है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (नरेगा) नाम से 2006 में कांग्रेस के शासन काल में यह योजना शुरू हुई थी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मनरेगा मजदूरों का मुद्दा उठाते हुए केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “14.98 करोड़ मनरेगा मजदूरों का बैंक अकॉउंट अभी भी आधार से लिंक नहीं हुआ है। मोदी सरकार ने आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम को अनिवार्य किया है। इन मजदूरों को केवल 31 मार्च 2023 तक ही मोहलत दी है। क्या इसके बाद इनकी मजदूरी नहीं मिलेगी? मजदूरों को मजबूर मत समझिये, मोदी जी।”
मोदी सरकार ने घटाया मनरेगा का बजट
मनरेगा और मनरेगा मजूदरों को लेकर मोद सरकार की नियत जग जाहिर है। यह वही मोदी सरकार है जिसने कुछ दिन पहले पेश हुए केंद्रीय बजट में मनरेगा स्कीम के बजट में ऐतिहासिक कटौती की थी। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के सबसे अहम जरिया मनरेगा का बजट 73000 करोड़ रुपये से घटाकर 60,000 करोड़ रुपये कर दिया, जो अब तक का सबसे कम है।
हाल ही में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस कानून के तहत 100 दिनों का रोजगार देने के लिए मनरेगा में 2023-24 के लिए 2,71,862 करोड़ रुपये का बजट चाहिए था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इससे पहले कम बजट के आवंटन की वजह से 100 की जगह 40 दिनों का ही रोजगार ही मिल पा रहा था। अब इस बार मात्र 60,000 करोड़ रुपए के आवंटन से मनरेगा मजदूरों का क्या होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
पीएम मोदी ने उड़ाया था मनरेगा का मजाक
यह वही मनरेगा है, जिसने कोरोना काल में मजदूरों और बेरोजगारों को सहारा दिया था। कोरोना काल में यह स्कीम बेहाद काकर साबित हुई थी। इसके जरिए बेरोजगार और मजदूर अपनी रोजी-रोटी कमा सके थे। एक तल्ख हकीकत यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी 2015 को लोकसभा में मनरेगा का मखौल उड़ाते हुए इसे कांग्रेस की नाकामियों का स्मारक बताया था। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था, “मेरी राजनीतिक सूझ बूझ कहती है कि मनरेगा को कभी बंद मत करो। मैं ऐसी गलती नहीं कर सकता हूं। क्योंकि मनरेगा आपकी विफलताओं का जीता जागता स्मारक है। आजादी के 60 साल के बाद आपको लोगों को गड्ढे खोदने के लिए भेजना पड़ा। यह आपकी विफलताओं का स्मारक है और मैं गाजे-बाजे के साथ इस स्मारक का ढोल पीटता रहूंगा।”
मनरेगा से मिलता है ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिन का रोजगार
मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के इच्छुक लोगों को साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाती है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (नरेगा) नाम से 2006 में कांग्रेस के शासन काल में शुरू हुई इस योजना का नाम 2009 में बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया।
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Published: 17 Mar 2023, 10:19 AM