अयोध्या में अभूतपूर्व प्रतिबंध, सोशल मीडिया पोस्ट और टीवी चैनलों के डिबेट पर रोक, सभी फोन कॉल की होगी रिकॉर्डिंग

अयोध्या विवाद पर आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनज़र अयोध्या में अभूतपूर्व पाबंदियां लागू की गई हैं। इनमें धार्मिक मामलों पर सोशल मीडिया पोस्ट और बैनरों पर पाबंदी है। साथ ही अयोध्या से होने वाले सभी फोन कॉल की रिकॉर्डिंग की जाएगी।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले में फैसला आने से पहले अयोध्या प्रशासन ने तमाम एहतियाती कदम उठाए हैं। उत्तर प्रदेस सरकार ने निर्देश जारी कर देवी-देवाताओं पर किसी भी किस्म की टिप्पणी करने वाली सोशल मीडिया पोस्ट पर पाबंदी लगा दी है। इतना ही नहीं अयोध्या में किसी भी किस्म के टीवी डिबेट या सार्वजनिक कार्यक्रम करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। निर्देश में कहा गया है कि इस दौरान अयोध्या से की जाने वाली फोन कॉल पर भी नजर रखी जाएगी और उन्हें रिकॉर्ड किया जाएगा।

सरकार ने 31 अक्टूबर को जारी चार पन्ने के निर्देश में कहा है कि यह प्रतिबंध 28 दिसंबर तक लागू रहेंगे। निर्देश है कि इस दौरान कोई भी व्यक्ति फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर या अन्य किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देवी-देवताओं के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करेगा। अयोध्या जिलाधिकारी की तरफ से जारी निर्देशों में फैसले वाले दिन किसी भी देवी-देवता की मूर्ति प्रतिष्ठापना करने या किसी भी किस्म का कोई हर्ष प्रदर्शन करने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है।

इतना ही नहीं ईंट-पत्थरों को जमा करने और मिट्टी के तेल और एसिड की बिक्री पर भी तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी गई है। साथ ही अयोध्या में किसी भी आयोजन, रैली या सांस्कृतिक कार्यक्रम करने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। जिलाधिकारी द्वारा जारी सर्कुलर में लोगों से इन निर्देशों को अपने मित्रों, रिश्तेदारों और ग्रुप में प्रसारित करने की अपील भी की गई है।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या प्रशासन ने नगर में अर्ध सैनिक बलों की तैनाती किए जाने की मांग की है। मुस्लिम समुदाय का कहना है कि अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी से उन्हें सुरक्षा का एहसास होगा।


इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की छुट्टियां 30 नवंबर तक रद्द कर दी है। साथ ही सभी जिला पुलिस प्रमुखों को सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के मंत्रियों को भी निर्देश दिया है कि फैसले के बाद वे किसी भी किस्म की टिप्पण करने से परहेज करें। वहीं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कहा है कि अयोध्या मामले का फैसला आने के बाद किसी भी किस्म का कोई जश्न नहीं मनाया जाएगा क्योंकि यह एक बेहद संवेदनशील मामला है।

इससे पहले 13 अक्टूबर को अयोध्या में धारा 144 लगा दी गई थी। जिलाधिकारी अनुज झा के आदेश पर शहर में धारा 144 लगाई गई थी। अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट में पिछले महीने सुनवाई पूरी हुई थी। इस महीने यानी 17 नवंबर से पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। एसे में 17 नवंबर तक इस मामले में फैसला आने की संभावना है।


इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साल 2010 में दिए अपने फैसले में अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ जमीन को राम लला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के बीच बराबर-बराबर बांटने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट के फैसले को एक पक्ष ने मानने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था। 1858 से देश के सामाजिक-धार्मिक मामलों का अहम बिंदु रहा यह मुकदमा देश की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक दशा और दिशा तय कर सकता है।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia