महाराष्ट्र में महायुति ने वन अधिकार कानून के क्रियान्वयन में अवरोध पैदा किया, लाभ से वंचित हुए आदिवासीः कांग्रेस
जयराम रमेश ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम का निष्पक्ष और ईमानदारीपूर्वक क्रियान्वयन कांग्रेस के छह सूत्री आदिवासी संकल्प की प्रमुख प्राथमिकता है, जिसकी घोषणा राहुल गांधी ने 12 मार्च, 2024 को ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान नंदुरबार में की थी।
कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन राज्य में वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में अवरोध पैदा कर रहा है जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभ से वंचित हो गए हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पहले भारतीय जनता पार्टी और महायुति सरकार पर निशाना साधा। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान है और मतगणना 23 नवंबर को होगी।
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में बीजेपी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं। रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘वर्ष 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) पारित किया था। इस कानून ने आदिवासियों और वनों में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक लाभ उठाने का कानूनी अधिकार दिया था।’’
उन्होंने कहा कि एफआरए व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों अधिकार प्रदान करता है तथा अप्रैल 2011 में, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में मेंडा लेखा वन अधिकार विशेषाधिकार सुरक्षित करने वाला पहला समुदाय बना, जिसमें ग्राम सभा को बांस के उपयोग पर नियंत्रण मिल गया।रमेश ने आरोप लगाया कि बीजेपी और महायुति एफआरए के क्रियान्वयन में लगातार बाधा डाल रहे हैं, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो गए हैं।
कांग्रेस नेता के मुताबिक, इस कानून के तहत दायर 4,01,046 व्यक्तिगत दावों में से केवल 52 प्रतिशत (2,06,620) ही मंजूर किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वन अधिकार अधिनियम का निष्पक्ष और ईमानदारीपूर्वक क्रियान्वयन कांग्रेस के छह सूत्री आदिवासी संकल्प की प्रमुख प्राथमिकता है, जिसकी घोषणा राहुल गांधी ने 12 मार्च, 2024 को ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान नंदुरबार में की थी।’’
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