मध्य प्रदेशः भय्यू जी महाराज ने खुद को गोली मारकर की खुदकुशी, शिवराज ने बनाया था राज्य मंत्री
अध्यात्मिक गुरू भय्यूजी महाराज उस समय चर्चा में आए थे जब अन्ना आंदोलन के समय उन्होंने सरकार और आंदोलनकारियों के बीच मध्यस्थ की बड़ी भूमिका निभाई थी। उनके प्रशंसकों में पीएम मोदी से लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम भी शामिल है।
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में अध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली है। घटना के बाद उन्हें फौरन इंदौर के बॉम्बे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके इस कदम के पीछे पारिवारिक कारण को वजह बताया जा रहा है। हालांकि, घटना के पीछे की असल वजहों का अभी पता नहीं चल पाया है। उन्होंने हाल ही में शादी की थी।
जानकारी के मुताबिक भय्यू महाराज ने मंगलवार को इंदौर में अपने स्प्रिंग स्थित घर पर गोली मारकर खुदकुशी कर ली। बताया जा रहा है कि उनके परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद हुआ था। बहस के बाद उन्होंने खुद को कमरे बंद कर लिया और कनपटी पर गोली मार ली। वह जमींदार परिवार से थे। सूत्रों के मुताबिक भय्यू महाराज का अंतिम सस्कार बुधवार को किया जाएगा। अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को उनके बापट चौराहे स्थित सूर्यादय आश्रम में रखा जाएगा। बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉ. राहुल पाराशर के मुताबिक भय्यू महाराज को जब अस्पताल लाया गया, उससे आधा घंटे पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। उन्हें दाईं कनपटी पर गोली लगी थी।
पुलिस ने मौके से उस पिस्तौल को बरामद किया है जिससे कथित तौर पर भय्यू महाराजन ने खुद को गोली मारी। आईजी पुलिस मकरंड देवसकर ने बताया कि इस मामले में हर पहलू से जांच की जा रही है और परिवार वालों से भी पूछताछ होगी।
खुदकुशी करने से कुछ पहले ही भय्यू महाराज ने ट्वीट कर मासिक शिवरात्रि की शुभकामनाएं दी थीं। उन्होंने लिखा था कि, 'मासिक शिवरात्रि' को 'महाशिवरात्रि' कहते हैं। दोनों पंचांगों में यह चन्द्र मास की नामाकरण प्रथा है, जो इसे अलग-अलग करती है। मै सभी भक्तगणों को इस पवन दिवस की बधाई एवं शुभकामनाये देता हूं।’
भय्यूजी महाराज उस समय देश में चर्चा में आये थे जब दिल्ली में चल रहे अन्ना आंदोलन के समय उन्होंने सरकार और आंदोलकारियों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। 2011 में अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था। अन्ना हजारे ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था।
1968 में जन्में भय्यू महाराज का असली नाम उदय सिंह देखमुख है। उनका संबंध शुजालपुर के जमींदार परिवार से था। भय्यूजी महाराज पहले एक फैशन डिजाइनर थे, बाद में उनका अध्यात्म की ओर झुकाव हुआ। उन्होंने कपड़ों के एक ब्रांड के लिए मॉडलिंग भी की है। भय्यू जी महाराज का सदगुरु दत्त धामिर्क ट्रस्ट के नाम से एक ट्रस्ट भी चलता है। वे इस ट्रस्ट के जरिये स्कॉलरशिप बांटा करते थे और कैदियों के बच्चों को भी पढ़ाते थे।
पीएम बनने से पहले गुजरात के सीएम के रूप में नरेंद्र मोदी ने जब सद्भावना उपवास किया था, तो उस उपवास को तुड़वाने के लिए उन्होंने भय्यूजी महाराज को आमंत्रित किया था। भय्यू जी महाराज के अनुयायियों में कई नामचीन और चर्चित हस्तियां शामिल है।
हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। उनके प्रशंसकों में पीएम मोदी से लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम भी शामिल है।
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