CAA: प्रदर्शनकारी महिलाएं बोलीं- लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे को बचाने के लिए हमें सड़क पर होना पड़ रहा बेपर्दा
शाइस्ता जैसी तमाम औरतें अपना घर-बार छोड़ कर प्रदर्शनस्थल पर ही रोजे रखकर जमी हुई हैं।इनका कहना है कि तहजीब और पर्दे में रहने वाली हम मुस्लिम महिलाओं को सड़क पर लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे को बचाने के लिए बेपर्दा होना पड़ रहा है, इससे ज्यादा लोकतंत्र के लिए काला दिन क्या होगा।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर लखनऊ के घंटाघर में महिलाओं का प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन स्थल पर रामधुन और देशभक्ति के गीतों से आंदोलन को धार दी जा रही है। अपने चार साल के मासूम के साथ प्रदर्शन में शामिल शाइस्ता का कहना है, “देश के इतने सारे नागरिक बीते कई दिनों से सड़क पर हैं, हम सब देश के संविधान की मूल भावना पर इस चोट को बर्दाश्त नहीं करेंगे। तहजीब और पर्दे में रहने वाली हम मुस्लिम महिलाओं को सड़क पर लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे को बचाने के लिए बेपर्दा होना पड़ रहा है, इससे ज्यादा लोकतंत्र के लिए काला दिन क्या होगा।”
उन्होंने कहा, “अल्लाह ने हमें ताकत अता की है कि हम ऐसे फासीवादी कानून का विरोध कर सकें, हम यह विरोध आखिरी दम तक जारी रखेंगे। एक जान है-अल्लाह ले ले या बंदा ले ले।”
शाइस्ता जैसी तमाम औरतें अपना घर-बार छोड़ कर प्रदर्शनस्थल पर ही रोजे रखकर जमी हुई हैं। ये सिर्फ एक ही बात कह रही हैं, “यह कानून शत-प्रतिशत गलत है। हमारी सेवा का संकल्प लेकर सत्ता हासिल करने वाले हुक्मरानों को सोचना चाहिए कि जिस कानून को जनता बड़ी संख्या में नकार रही है, उसका संज्ञान लेकर उसे वापस ले लें। लेकिन वह तो प्रदर्शनकारियों पर पैसे लेकर प्रदर्शन में शामिल होने का आरोप लगाने से लेकर दमनकारी पुलिसिया डंडों का सहारा ले रहे हैं। हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम उनकी जुमलेबाजी से तंग आ गए हैं और अब अत्याचार नहीं सहेंगे।”
हर उम्र की महिलाओं और बच्चों ने 'कागज नहीं दिखाएंगे-संविधान बचाएंगे' और 'नो टू एनआरसी, सीएए' लिखी तख्तियां पकड़ रखी है। कोई तिरंगा पकड़े है तो कोई तिरंगे में ही लिपटा हुआ है।
एक अन्य महिला प्रदर्शनकारी शबाना ने कहा, “जब से हमने प्रदर्शन शुरू किया है, तभी से सियासी लोगों की आंखों में किरकिरी बने हुए हैं। बीते दिनों समाजसेवी संगठन द्वारा प्रदर्शनकारियों को उपलब्ध कराए गए कंबल और खाने के सामान को जब्त करने की कार्रवाई की गई। इस पर भी जब हम नहीं झुके तो घंटाघर के सार्वजनिक सुलभ शौचालय के कर्मचारी को पुलिस ने डरा धमका कर हमसे ज्यादा शुल्क वसूलने का दबाव बना दिया। चाहे जो भी परेशानी हो, हमारा संकल्प है कि हम इस विरोध प्रदर्शन से पीछे नहीं हटेंगे।”
गौरतलब है कि देश के कई हिस्सों में सीएए के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले एक महीने से महिलाएं 24 घंटे धरना प्रदर्शन कर रही हैं। यही हाल देश के बाकी हिस्सों में भी है। जैसे कोलकाता, लखनऊ, वाराणसी में भी महिलाएं धरने पर बैठी हुई है।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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