लॉकडाउनः ब्लड कैंसर पीड़ित मासूम को पैदल तय करना पड़ा चार दिन का सफर, संकट में सामने आई सरकारों की संवेदनहीनता

इलाज के लिए बच्ची को भागलपुर लेकर आई मां ने तमाम अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन नतीजा सिफर रहा। ऐसे में कोई रास्ता न देख महिला ने अपनी बीमार बच्ची के साथ पैदल ही सफर शुरू कर दिया और चार दिन बाद एक सौ दस किलोमीटर का सफर कर झारखंड के देवघर पहुंची।

सांकेतिक फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

एक तरफ कातिल कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है, तो दूसरी तरफ इसके प्रसार को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को काफी तकलीफें झेलनी पड़ रही है। ऐसा ही एक दर्दनाक मामला उस समय सामने आया, जब बिहार के भागलपुर से एक महिला और उसकी आठ साल की ब्लड कैंसर पीड़ित बेटी पैदल चल कर झारखंड के देवघर में एक पुलिस थाने में पहुंची। दोनों मां-बेटी की तकलीफ देखकर थाने में मौजूद पुलिस वाले भी एकबारगी भावुक हो गए।

दरअसल झारखंड के जमशेदपुर की रहने वाली 8 साल की बच्ची सरस ब्लड कैंसर से पीड़ित है। बीते दिनों बच्ची के इलाज के सिलसिले में उसकी मां उसे लेकर भागलपुर आई थी, लेकिन अचानक पीएम मोदी द्वारा संपूर्ण देश को लॉकडाउन करने के आदेश ने इनके लिए वापसी के सारे रास्ते बंद कर दिए, ऐसे में अनजान शहर में अपनी बच्ची को लेकर महिला यहां-वहां परेशान होती रही।

इस दौरान बच्ची की मां ने भागलपुर में तैनात बिहार सरकार के तमाम अधिकारियों से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन नतीजा सिफर रहा। ऐसे हालात में और कोई रास्ता नजर आता न देख, इस महिला ने अपनी बीमार बच्ची के साथ पैदल ही सफर शुरू कर दिया और चार दिनों बाद एक सौ दस किलोमीटर की दूरी तय कर किसी तरह झारखंड के देवघर पहुंची।


लगातार पैदल चलने से बुरी तरह थकी-हारी और बेटी की तबीयत और खराब होने के डर से महिला ने यहां देवघर थाने जाने का फैसला किया। किसी तरह चलकर देवघर के थाने पहुंची मां-बेटी ने अपना दुखड़ा वहां मौजूद अधिकारियों को सुनाया। अधिकारियों ने फौरन इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों और स्थानीय प्रशासन को दी। इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने बच्ची और मां की हालत देखते हुए उनको जमशेदपुर उनके घर भेजने का इंतजाम किया।

ये सिर्फ एक मां और उसकी कैंसर पीड़ित बच्ची की कहानी है। ऐसे ना जाने कितने बीमार, बुजुर्ग परेशान हाल लोग लॉकडाउन के बाद पूरे देश में पलायन के लिए मजबूर हैं। अचानक किए गए लॉकडाउन से दूसरे शहरों में रहकर मजदूरी कर रहे लोगों के सामने अचानक जीवन-यापन का सवाल खड़ा हो गया, जिसके बाद हजारों लोग देश भर में बड़े शहरों से अपने घरों के लिए निकल गए। कोई साधन नहीं मिलने के कारण हजारों लोग महिलाओं और बच्चों तक को लेकर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े।

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