यूपी के बाद अब मध्य प्रदेश में धर्मांतरण के खिलाफ कानून, कई कानूनी विशेषज्ञ उठा चुके हैं सवाल

सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में शनिवार को कैबिनेट बैठक में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 को मंजूरी दी गई। इस कानून में किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रलोभन या धमका कर धर्म परितर्वन कराने को गैर कानूनी माना गया है और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के बाद अब मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने भी अपने यहां कथित लव जिहाद को रोकने के नाम पर धर्मांतरण के खिलाफ कानून को मंजूरी दे दी है। शनिवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट की बैठक में मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 को मंजूरी मिल गई। अब इस विधेयक को 28 दिसंबर से शुरू हो रहे आगामी विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा।

इस कानून में धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं। इस कानून के मुताबिक किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रलोभन देकर, धमका कर, धर्म परितर्वन कराने को गैर कानूनी माना गया है। इस कानून के तहत जोर-जबरदस्ती से धर्म परिवर्तन कर शादी करने वालों को अधिकतम 10 साल की सजा और एक लाख रुपये के अर्थदंड का प्रावधान किया गया है।

इस अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि तय प्रावधानों का उल्लंघन कर धर्म परिवर्तन करवाने पर एक साल से पांच साल की सजा और 25 हजार रुपए का अर्थदंड दिया जाएगा। वहीं महिला, नाबालिग, अनुसूचित जाति और जनजाति के धर्म परिवर्तन किए जाने पर दो साल से 10 साल तक की सजा और 50 हजार रुपए का अर्थदंड हेागा। इसके साथ ही धर्म छिपाकर धर्म परिवर्तन कराने पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड और तीन से 10 साल तक की सजा होगी।

कैबिनेट में पारित किए गए विधेयक में तय किया गया है कि दो या अधिक लोगों का सामूहिक धर्म परितर्वन कराने पर पांच से 10 साल तक की सजा और एक लाख रुपये का अर्थदंड होगा। वहीं धर्म परितर्वन को लेकर दर्ज होने वाला अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा और इस मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय में ही हो सकेगी।

साथ ही विधेयक में तय किया गया है कि धर्म परिवर्तन के बाद दंपति का संतान पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी होगा और महिला व बच्चे को भरण पोषण का अधिकार हेागा। इसके साथ ही धर्म परितर्वन कराने वाली संस्था और संगठन से जुड़े लोगों के विरुद्ध कार्रवाई होगी और उसके खिलाफ व्यक्ति के समान ही कारावास और अर्थदंड का प्रावधान है। हालांकि विधेयक में लव जिहाद शब्द का उल्लेख नहीं है। फिर भी तय किया गया है कि स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाले को 60 दिन पहले जिला दंडाधिकारी को सूचना आवश्यक तौर पर देना होगा। सूचना न देने पर तीन से पांच साल की सजा और 50 हजार रुपए का जुमार्ना हेागा।

गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण रोधी कानून को लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं। इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट कानून पर प्रतिकूल टिप्पणी भी कर चुका हैै। वहीं हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी लोकुर ने एक कार्यक्रम में यूपी सरकार के इस कानून पर सवाल उठाते हुए इसे असंवैधानिक और गैर जरूरी बताया था। उन्होंने कहा कि ये कानून किसी हाल में अदालत में टिक नहीं पाएगा।

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Published: 26 Dec 2020, 4:13 PM