आरक्षण छीनकर संविधान बदलने का भाजपाई चक्रव्यूह है लेटरल एंट्री: खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार ने यह प्रावधान दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों का अधिकार छीनने के लिए किया है। एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस के पद अब आरएसएस के लोगों को मिलेंगे। यह आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का भाजपाई चक्रव्यूह है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये केंद्रीय मंत्रालयों में अहम पदों पर भर्ती को लेकर सोमवार को केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा और इस विवादित पहल की परत दर परत खोलते हुए कहा कि यह आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का ‘‘भाजपाई चक्रव्यूह’’ है।
खड़गे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मोदी सरकार का, लेटरल एंट्री का प्रावधान संविधान पर हमला क्यों है? सरकारी महकमों में रिक्तियां भरने के बजाय, पिछले 10 वर्षों में अकेले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में ही भारत सरकार के हिस्सों को बेच-बेच कर, 5.1 लाख पद बीजेपी ने ख़त्म कर दिए हैं। अनुबंधित भर्ती में 91 प्रतिशत इजाफा हुआ है। एससी, एसटी, ओबीसी के 2022-23 तक 1.3 लाख पद कम हुए हैं।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘हम लेटरल एंट्री गिने-चुने विशेषज्ञों को कुछ विशेष पदों में उनकी उपयोगिता के अनुसार नियुक्त करने के लिए लाए थे। पर मोदी सरकार ने लेटरल एंट्री का प्रावधान सरकार में विशेषज्ञ नियुक्त करने के लिए नहीं, बल्कि दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों का अधिकार छीनने के लिए किया है।’’ खड़गे ने आरोप लगाया कि ‘‘एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस के पद अब आरएसएस के लोगों को मिलेंगे। यह आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का भाजपाई चक्रव्यूह है।’’
यहां बता दें कि केंद्र सरकार ने ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे प्रमुख पदों पर नियुक्ति करने की घोषणा करते हुए इसके लिए विज्ञापन निकाला है। आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं-भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) और अन्य ‘ग्रुप ए’ सेवाओं के अधिकारी तैनात किए जाते हैं।
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