एसएससी परीक्षा में धांधली के विरोध में सड़कों पर उतरे छात्र, कांग्रेस ने की सीबीआई जांच की मांग
एसएसएसी की मुख्य परीक्षा में धांधली और पेपर लीक का आरोप लगाते हुए देश भर में लाखों छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। दिल्ली में एसएससी कार्यालय के बाहर हजारों छात्र 4 दिन से धरने पर डटे हुए हैं।
कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की हाल में हुई कम्बाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) टियर-II परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए देश के कई शहरों में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। पिछले 4 दिनों से जारी ये आंदोलन अब और तेज होता जा रहा है। दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से जुटे हजारों छात्र दिल्ली में एसएससी ऑफिस के बाहर 4 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों ने परीक्षा में पेपर लीक और धांधली का आरोप लगाते हुए इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रहे हैं। वहीं इस पूरे मामले पर आयोग के चेयरमैन ने कम्बाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) टियर-II परीक्षा में पेपर लीक और अन्य धांधली के आरोपों को लेकर छात्रों से सबूत की मांग की है। छात्रों और आयोग प्रशासन के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। 28 फरवरी को छात्रों के उग्र रूप को देखकर पुलिस को भारी बंदोबस्त करना पड़ा।
एसएससी द्वारा आयोजित सीजीएल 2017 की परीक्षा के प्रश्न पत्र और उत्तर लीक और अन्य धांधली के आरोपों पर कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष फैरोज खान ने नवजीवन से बात करते हुए कहा, “हम इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच की मांग करते हैं। हमारी मांग है कि सरकार में बैठे लोग आएं और छात्रों से मिलकर उनकी शिकायतों को सुनें और उन्हें समयबद्ध कार्रवाई का आश्वासन दें।”
फैरोज खान ने आगे कहा, “छात्रों के साथ इस तरह के अन्याय को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। अन्याय के खिलाफ और बेहतर भविष्य के संघर्ष में एनएसयूआई पूरी तरह से छात्रों के साथ खड़ी है।” इससे पहले एनएसयूआई अध्यक्ष फैरोज खान 28 फरवरी की रात आंदोलनकारी छात्रों के बीच भी पहुंचे और उन्हें संबोधित किया। उन्होंने छात्रों की मांग का समर्थन करते हुए एक ट्वीट भी किया।
इस मामले की गंभीरता और छात्रों के भविष्य को देखते हुए कांग्रेस ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। कांग्रेस के आईटी सेल के प्रमुख और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एसएससी परीक्षा में धांधली की तुलना मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले से करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। रणदीप सुरजेवाला ने 28 फरवरी को ट्वीट कर पीएम मोदी से सवाल पूछा, “मोदी जी भारत के युवाओं को सड़क पर सोने को क्यों मजबूर किया जा रहा है। तीन दिन से छात्र आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक मोदी जी और एसएससी चुप हैं। अगर इस मामले में कुछ भी गलत नहीं है तो फिर क्यों नहीं इसकी सीबीआई जांच कराई जा रही है। क्या प्रधानमंत्री के पास इन युवाओं के सवालों का जवाब है? और क्या देश की मीडिया इन युवाओं की आवाज को सुनेगी?”
कांग्रेस नेता और तुरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद शशि थरूर ने भी इस मुद्दे को लेकर छात्रों का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “देश भर में लाखों छात्रों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए 2018 की एसएसएसी सीजीएल मुख्य परीक्षा को रद्द किया जाना चाहिए और फिर से परीक्षा ली जानी चाहिए। इस मामले में सीबीआई जांच की जानी चाहिए। हमें देश के छात्रों का प्रतियोगी परीक्षाओं में भरोसा टूटने नहीं देना चाहिए।”
एसएससी के बाहर धरना दे रहे छात्रों के बीच 1 मार्च को स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव भी पहुंचे और उन्होंने वहां मौजूद छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने भी मांग की इस पूरे मामले की विस्तार से और समयबद्ध जांच कराई जानी चाहिए।
इस बीच छात्रों का आरोप है कि धांधली और पेपर लीक से संबंधित उनके द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों को एसएससी ने बगैर किसी जांच क ही नकार दिया। छात्रओं ने कहा कि जब तक इस धांधली में शामिल पूरे रैकेट की सीबीआई से जांच नहीं कराई जाती है तब तक छात्रों का प्रदर्शन जारी रहेगा। दिल्ली में रहकर प्रतिय़ोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे कानपुर के समर राज ने कहा, हमारी शिकायतों को सुनने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। पूरा सिस्टम भ्रष्ट हो गया है। अगर हमारी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हुई तो हम अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले जाएंगे और इस भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ेगे।’
वहीं पटना, लखनऊ, इलाहाबाद सहित कई राज्यों में भी छात्र सड़क पर उतर कर एसएससी परीक्षा में हुई धांधली का विरोध कर रहे हैं। पटना में छात्रों के विरोध के बारे में जानकारी देते हुए छात्र नेता आशिष पांडे ने कहा, “ऐसा एसएससी में हमेशा से होता आया है। लेकिन इस बार तो हद ही पार हो गया है। इस बार इस परीक्षा धांधली में 1,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का मामला है। कई सेंटर ऐसे हैं जहां के ज्यादातर छात्रों का परीक्षा में चयन हो गया है। जो साफ बताता है कि मामला गड़बड़ है। एक-एक सेंटर से एक लाइन से 20-20 छात्रों का चन हुआ है।”
छात्रों की मांग को कई राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित पत्रकारों की समर्थन मिल रहा है। सभी का कहना है कि इस मामले में फौरन छात्रों की शिकायत को सुना जाना चाहिए और उन्हें राहत देते हुए परीक्षा को कैंसिल कर देना चाहिए और इसमें शामिल दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन अबतक इस मामले को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकारी के किसी सदस्य का बयान नहीं आया है। और ना ही छात्रों से मिलने के लिए अभी तक कोई मंत्री या बीजेपी नेता ही पहुंचा है। ऐसे में छात्रों का गुस्सा सरकार की खिलाफ बढ़ता जा रहा है और अगर जल्द कोई कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले दिनों में छात्रों का ये आंदोलन और तेज होने की संभावना है।
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Published: 01 Mar 2018, 7:28 PM