हरियाणा विधानसभा के शीत सत्र के पहले ही दिन सड़क से सदन तक गूंजा नौकरी घोटाला, आगाज के साथ ही हमलावर हुआ विपक्ष
हरियाणा विधानसभा के शीत सत्र के पहले ही दिन सड़क से लेकर सदन तक खट्टर सरकार को नौकरी घोटाले को लेकर विपक्ष के सवालों का सामना करना पड़ा। कई बार सदन में झड़प की नौबत तक आती दिखी।
हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सड़क से लेकर सदन तक नौकरी घोटाले की गूंज सुनाई दी। विपक्ष ने पहले दिन ही सरकार को मुश्किल सवालों के घेरे में ले लिया, जिसका माकूल जवाब उसके पास नहीं था। नौकरी घोटाले के साथ किसान आंदोलन सरकार की कमजोर नस है और विपक्ष ने सरकार पर इन्हीं मुद्दों पर हमले बोले। कई बार विधान सभा में टकराव के हालात बने। स्पीकर के साथ विपक्ष के विधायकों की जमकर बहस भी हुई।
विधानसभा सत्र का आगाज इसके समापन तक सदन में सरकार को पेश होने वाली मुश्किलों की एक झांकी के रूप में सामने आयाा। सत्र के आरंभ में शोक प्रस्ताव के वक्त ही सरकार को इसका अहसास हो गया। मुख्यमंत्री ने जैसे ही शोक प्रस्ताव पढ़ना शुरू किया विपक्ष ने किसान आंदोलन में शहीद होने वाले किसानों के नाम भी इसमें शामिल करने की मांग की। इस पर हक्का-बक्का मुख्यमंत्री प्रस्ताव पढ़ने देने की गुजारिश करते नजर आए। इस पर भी हंगामे की स्थिति बनती दिखी।
इसके बाद स्पीकर ने कार्य सलाहकार समिति की रिपोर्ट पढ़ना शुरू किया तो नेता विरोधी दल भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसमें दखल देते हुए कहा कि आवश्यकता होने पर सदन की अवधि बढ़ाने की बात भी प्रसीडिंग में शामिल की जाए। स्पीकर के इस आश्वासन के बाद ही कि हां 22 को सदन की अवधि बढ़ाने पर फिर विचार किया जाएगा प्रक्रिया आगे बढ़ी।
ज्वलंत मसलों पर विपक्ष के अधिकतर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव अस्वीकार कर दिए जाने के बाद भी विपक्षी विधायकों में खासी नाराजगी दिखी। अभय चौटाला ने कहा कि अहम मसलों पर सारे कॉल अटेंशन रिजेक्ट कर दिए। क्या बेरोजगारी पर चर्चा नहीं कराई जाएगी। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को एक साल तक बैठा कर रखा। पीएम ने अब माफी मांग ली। हरियाणा विधान सभा में केंद्र के इन तीनों कानूनों पर मुहर लगाई गई थी। उस प्रस्ताव को अब वापस लेना चाहिए। मुख्यमंत्री भी इस पर अब माफी मांगें। 715 शहीदों के लिए स्मारक बने।
कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने सवाल उठाया कि रूल 171 के तहत हमने एमएसपी पर कानून बनाने के लिए विस से एक प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। इस बिल का क्या हुआ। इस पर अजीबोगरीब स्थिति बन गई। स्पीकर ने जवाब दिया कि इसे रिजेक्ट कर दिया गया है। इस पर किरण चौधरी ने कहा कि हमारा मकसद केंद्र को एमएसपी पर एक प्रस्ताव पास कर भेजने का है। जब तीनों काले कानून वापस हो गए हैं तो केंद्र को यह पता तो चले कि हमारे प्रदेश की मंशा है। हुड्डा ने भी इसका समर्थन किया।
इस पर पहले रिजेक्ट करने की बात कहने वाले स्पीकर ने विचार करने की बात कही। हरियाणा निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विपक्ष के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सदन में जमकर हंगामा बरपा। हुड्डा ने यूनिवर्सिटी अमेंडमेंट बिल पर कड़ी आपत्ति दर्ज करवाते हुए इसे वापस लेने की मांग की।
नेता विरोधी दल ने कहा कि इस बिल का सभी यूनिवर्सिटी, छात्र और टीचर विरोध कर रहे हैं। इसलिए अभी भी वक्त है सरकार संभल जाए। ऐसा ना हो कि कृषि कानूनों की तरह इस बिल को लेकर भी सरकार को मुंह की खानी पड़े। हुड्डा ने कहा कि सरकार प्रदेश में अलग से एक और लूट की दुकान खोलने जा रही है। वह विद्यार्थियों का भविष्य ऐसी संस्था के हवाले करने जा रही है, जिन्होंने पहले ही लूट मचा रखी है। पहले सरकार एचपीएससी की जांच तो होने दे, जिससे पता चल सके कि इसमें भर्तियों के नाम पर क्या चल रहा है।
इससे पहले विधान सभा के बाहर यूथ कांग्रेस ने नौकरी घोटाले पर प्रदर्शन किया। सरकार पर हमला बोला गया कि इस सरकार में नौकरियों के रेट फिक्स हैं। मटका चौक पर आम आदमी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नवीन जयहिंद ने नौकरी घोटाले पर प्रदर्शन किया। पुलिस ने उन पर वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया। यह हंगामा सत्र के पहले दिन तब बरपा है जब नौकरी घोटाले पर पेश कामरोको प्रस्ताव पर चर्चा के लिए स्पीकर ने सोमवार का दिन तय किया है। जाहिर है कि आज का दिन तो शायद झांकी है।
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