खट्टर सरकार ने माना हरियाणा में है 9 फीसदी बेरोजगारी, 2 लाख से अधिक पद खाली, लेकिन क्या यही सच है?
हरियाणा सरकार ने माना कि राज्य में 8.8 फीसदी बेरोजगारी दर और रोजगार कार्यालयों में 31 जुलाई तक दर्ज बेरोजगारों की संख्या तकरीबन साढ़े पांच लाख है।
देश में सर्वाधिक 37 फीसदी (सीएमआईई के मुताबिक) तक हरियाणा में पहुंचे बेरोजगारी के आंकड़ों को हर वक्त नकारने वाली बीजेपी और जेजेपी की सरकार ने विस में कुछ तथ्य स्वीकार किए हैं, जिन पर भी गंभीर सवाल हैं। सरकार मान रही है कि हरियाणा में 8.8 फीसदी बेरोजगारी दर और रोजगार कार्यालयों में 31 जुलाई तक दर्ज बेरोजगारों की संख्या तकरीबन साढ़े पांच लाख है, जबकि ग्रुप सी और डी की नौकरियों के लिए सीईटी (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) देने वाले युवाओं की तादाद ही तकरीबन साढ़े ग्यारह लाख है। सरकार ने यह भी माना है कि बेरोजगारी से तंग होकर राज्य में 12 युवाओं ने आत्महत्या की है, जबकि सरकारी विभागों में 2 लाख से अधिक पद खाली हैं। सरकार के आंकड़ों में ही सवाल छिपे हैं, जो और गंभीर हैं।
हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल के रखे गए आंकड़ों को ही मान लें तो भी राज्य में रोजगार के हालात गंभीर हैं। सरकार ने माना है कि 2014 से 2022 के दौरान 12 युवाओं ने रोजगार न मिलने के कारण आत्महत्या की है। लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है। अपनी जान देने वाले यह सभी युवा 30 वर्ष से कम उम्र के हैं। यह कोई ऐसी उम्र नहीं थी कि वह ओवरएज हो गए थे। फिर सवाल यह है कि क्या भयावह बेरोजगारी से पैदा हुई हताशा से इन युवाओं को अपना भविष्य इतना अंधकारमय लगने लगा कि अपनी जान देने के सिवाय इन्हें कोई और रास्ता नहीं दिखा? इन युवाओं की उम्र तो कुछ यही संकेत दे रही है।
अपनी जान देने वाले इन युवाओं में गुरुग्राम का 21 वर्षीय विकास, 25 वर्ष का कृष्ण कुमार, 24 वर्षीय धनंजय मिश्रा, 24 साल का ही रवि, 20 वर्षीय मनीष गुप्ता, 29 वर्ष का अजय, 24 साल का अमित, 28 वर्षीय पवन, 20 वर्षीय आकाश, 23 वर्षीय रोहतक का सचिन, 21 वर्षीय भिवानी का पवन और 19 साल का कैथल निवासी वीरेंद्र शामिल है। इसमें सबसे अधिक 6 युवाओं ने 2022 में अपनी जान दी है।
सरकार ने यह भी माना है कि भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के त्रैमासिक बुलटेन (जनवरी-मार्च 2023) के आधार पर हरियाणा की बेरोजगारी दर 8.8 फीसदी है। इससे पहले सरकार ने राज्य में बेरोजगारी के गंभीर हालातों पर हमेशा नाकारात्मक रवैया अख्तियार किया है। यहां तक कि जब राज्य में बेरोजगारी का आंकड़ा 37 फीसदी (सीएमआईई के मुताबिक) पहुंच गया था उस वक्त सरकार तकरीबन 6 फीसदी के आसपास बेरोजगारी का दावा करती थी। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने सर्वे करने वाली एजेंसी सीएमआईई को ही एक बार लीगल एक्शन की धमकी दे दी थी।
सरकार अपने दावे का आधार परिवार पहचान पत्र में एकत्रित आंकड़ों को बताती रही है, जो अपने आप में सवालों के घेरे में थे। सरकार ने विधानसभा में माना है कि राज्य में 31 जुलाई तक कुल पंजीकृत बेरोजगार आवेदकों की संख्या 5,43,874 है, जबकि ग्रुप सी और डी के लिए आयोजित सीईटी (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) में बैठने वाले युवाओं की तादाद ही 11,22,200 है।
सरकार के बेरोजगारी के आंकड़ों और सीईटी में बैठने वाले युवाओं की संख्या में दोगुने से भी अधिक का अंतर होना इस बात की तस्दीक है कि सरकार के बहीखाते में गंभीर गड़बड़ है। इसमें सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाले जिलों में 5 प्रमुख हैं कैथल, करनाल, रोहतक, जींद और हिसार। कैथल में 47,593 युवा बेरोजगार हैं, जबकि मुख्यमंत्री के जिले करनाल में 42,446, रोहतक में 39,786, हिसार में 46,453 और जींद जिले में सर्वाधिक 52,089 युवा बेरोजगार हैं।
पिछले 8 वर्ष के आंकड़े देते हुए सरकार ने बताया है कि 2015 में 124026, 2016 में 132596, 2017 में 101577, 2018 में 310372, 2019 में 218502, 2020 में 201482, 2021 में 135702, 2022 में 128004 और 2023 में 31 जुलाई तक 46527 युवाओं ने राज्य के रोजगार कार्यालयों में रजिस्ट्रेशन करवाया है। इसमें वर्ष 2019 और 2020 में 2 लाख से अधिक और 2018 में सर्वाधिक 3 लाख से अधिक युवाओं ने रोजगार कार्यालयों में दस्तक दी है। 8 में से 5 वर्षों में 1 लाख से कुछ अधिक युवाओं का ही सरकार के रोजगार कार्यालयों तक पहुंचना हैरान कर रहा है।
आंकड़ों में इतना अंतर खुद में गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है, जबकि इसी दौर में कोरोना की भयावह त्रासदी से प्रदेश गुजरा है। उस दौर में बेरोजगारी के भयावह हालात लोगों ने देखे हैं, जो सरकार के आंकड़ों में कहीं से भी रिफ्लेक्ट नहीं हो रहा है। प्रदेश में सबसे अधिक आबादी और रोजगार देने वाले जिले फरीदाबाद और गुरुग्राम के आंकड़े भी सवाल खड़े कर रहे हैं। गुरुग्राम में 2020 में 1248 और 2021 में 1145, जबकि फरीदाबाद में 2020 में 3163 व 2021 में महज 1095 बेरोजगार युवा दर्ज थे। यह वह वक्त था जब कोरोना की त्रासदी से प्रदेश गुजर रहा था और हर तरफ बेरोजगारी से हाहाकार था।
प्रदेश के इन दो प्रमुख जिलों के रोजगार कार्यालयों में दर्ज बेरोजगार युवाओं के आंकड़े कह रहे हैं कि बेरोजगार युवा सरकार के रोजगार कार्यालयों में खुद का नाम दर्ज करवाने के लिए आए ही नहीं। सरकार के आंकड़े कह रहे हैं कि हरियाणा में स्नातक पास 1,03,265 बेरोजगार हैं, जबकि स्नातकोत्तर किए हुए 29,988 व पेशेवर डिग्री धारी बेरोजगार युवाओं की तादाद महज 25,033 है। सरकार का कहना है कि 1 अप्रैल 2015 से अगस्त 2023 तक हरियाणा लोक सेवा आयोग ने ग्रुप ए और ग्रुप बी के पदों के लिए 4595 उम्मीदवारों की रिफारिश की है। इसमें 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक सिर्फ 53, 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक 55 और 2023 में जुलाई तक 61 नौकरियां दी गई हैं।
वहीं, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 2014 से 2023 के दौरान 97,751 उम्मीदवारों की सिफारिश की है। इसमें से 2014-15 में 2,780, 2016 में 2,229 और 2021 में सिर्फ 4,751 नौकरियां देने का दावा है। सरकार ने एक और बड़ी बात बताई है कि राज्य के विभिन्न विभागों में 2,02,576 स्थायी पद खाली हैं। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से विधानसभा के पटल पर रखे गए यह आंकड़े हरियाणा में बेरोजगारी की पूरी कहानी नहीं है। हरियाणा ने वह वक्त भी देखा है जब सेना में भर्ती की अग्निवीर योजना के खिलाफ युवा सड़क पर उतर गए थे। लिहाजा, जनता को सरकार के इन आंकड़ों में जवाब की जगह पेंच ज्यादा नजर आ रहा है।
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