कोरोना की दूसरी लहर में केजरीवाल सरकार ने छिपाए थे मौतों के असली आंकड़े, तीन गुना ज्यादा लोगों की गई थी जान
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मौतों के असली आंकड़े छिपाए थे। नगर निगमों से मिले आंकड़ों से सामने आया है कि सरकार ने जितनी मौतें बताई थीं, उससे तीन गुना ज्यादा लोगों की जान उस दौरान गई थी।
दिल्ली सरकार ने कोविड की दूसरी लहर के दौरान राजधानी में हुई मौतों की असली संख्या छिपाई थी। दिल्ली के नगरीय निकायों से जुटाए गए आंकड़ों को जोड़ने के बाद सामने आया है कि दिल्ली में जनवरी 2021 से जून 2021 के दौरान दिल्ली सरकार ने जितनी मौतों का आंकड़ा दिया था, असली संख्या उससे तीन गुना ज्यादा है। इस तरह दिल्ली सरकार ने मौतों की दो तिहाई संख्या को कम करके सामने रखा।
दिल्ली के नगरीय निकायों से मिले आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2021 से जून 2021 के बीच दिल्ली में कुल मौतों की संख्या 1,14,872 रिकॉर्ड की गई। हालांकि इससे पहले के तीन साल यानी 2018, 2019 और 2020 में हर साल होने वाली मौतों की संख्या औसतन 72,567 रही थी। इस तरह देखें तो 2021 को जनवरी से जून के बीच हुई मौतों की संख्या 42,305 अधिक थी।
दिल्ली सरकार ने इस अवधि में कोविड हेल्थ बुलेटिन में बताया था कि इस दौरान दिल्ली में 14.441 मौतें कोविड से हुईं। इस तरह दिल्ली सरकार ने 27,864 लोगों की मौत की संख्या कम करके बताई। ध्यान रहे कि यह वह समय था जब दिल्ली बुरी तरह कोविड की दूसरी लहर से जूझ रही थी और हर दिन मौतों की संख्या बढ़ रही थी।
असल में आरटीआई एक्ट के तहत मांगी सूचना के आधार पर राइट्स एक्टिविस्ट कन्हैया कुमार ने यह आंकड़े जुटाए गैं। उन्होंने नगरीय निकायों से मिली माहवार मौतों की संख्या की तुलना दिल्ली सरकार के आंकड़ों से की।
ये आंकड़े ऐसे समय में सामने आए हैं जब दिल्ली एक बार फिर कोविड-19 के केसों में तेजी से बढ़ोत्तरी देख रही है। इसके अलावा दिल्ली में ओमिक्रॉन के केस भी रिकॉर्ड 142 पहुंच चुके हैं। दिल्ली में बीते 24 घंटों के दौरान कोरोना का विस्फोट हुआ है और करीब 500 नए केस सामने आए हैं। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हुई है और 172 लोग ठीक भी हुए हैं। दिल्ली में इस समय 1,612 एक्टिव केस हैं।
कोरोना की दूसरी लहर का सर्वाधिक प्रकोप दिल्ली मं अप्रैल-मई 2021 में रहा था जब एक दिन में हजारों की संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे थे। पहली अप्रैल को दिल्ली में एक ही दिन में 2.720 केस सामने आए थे जबकि पहली मई को यह संख्या 27,421 पहुंच गई थी। इसी दौरान दिल्ली ऑक्सीजन के लिए हांफ रही थी और राजधानी में दिल्ली सरकार के और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन, अस्पताल बेड और दवाओं की की भारी किल्लत थी। अस्पताल सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से ऑक्सीजन के लिए गुहार लगा रहे थे। ऐसी खबरें आई थीं कि दिल्ली के कम से कम 6 अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो गई थी और कई दिनों तक उन्हें गंभीर रूप से बीमार मरीजों की अस्पताल से छुट्टी करना पड़ी थी।
दिल्ली में हुई अधिक मौतों के बारे में सेंटर फॉर कम्यूनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ आनंद कृष्णन का कहना है कि इसते तीन हिस्से हैं। एक ऐसी मौतें जो सीधे कोविड से जुड़ी थीं, दूसरी वह मौतें जो अप्रत्यक्ष रूप से कोविड से जुड़ी थीं, क्योंकि इन लोगों की मौत भले ही सीधे कोविड से नहीं हुई, लेकिन मौत का कारण संक्रमण से पैदा हुई मेडिकल समस्याएं थीं। इसके अलावा बहुत सी मौते महामारी से जुड़ी जो कोविड से नहीं हुई थीं। यह वह लोग थे जो संक्रमित तो नहीं थे, लेकिन अन्य रोगों से बीमार थे और उन्हें समय पर मेडिकल सेवाएं नहीं मिल पाई थीं।
इसके जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ के डॉ ऊमेन जॉन का कहना है कि मौतों की असली संख्या और कोविड से हुई मौतों की संख्या में अंतर से साफ है कि उस दौरान मेडिकल सर्टिफिकेशन किस तरह काम कर रहा था, यानी मौत के असली कारण का मेडिकल तौर पर प्रमाणीकरण सही तरह से नहीं हुआ।
उन्होंने एक मिसाल देते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति कोविड पॉजिटिव पाया गया, लेकिन सांस लेने में तकलीप के चलते पहली बार हुए टेस्ट के तीन सप्ताह के अंदर उसकी मौत हुई तो उसकी मौत का कारण कोविड न बताकर सांस से जुड़ी तकलीफ लिखा जाएगा। उन्होंने कहा, “स्टैंडर्ड इलेक्ट्रोनिक हेल्थ रिकॉर्ड मौजूद न होने के कारण मौत से पहले की मरीज की क्लीनिकल कंडीशन के बारे में बताना मुश्किल है। इसी कारण बहुत सी कोविड मौतों को रिकॉर्ड में नहीं रखा गया।”
आंकड़ों में जो अंतर सामने आया है वह मार्च से जून के बीच बहुत ज्यादा है जो दिल्ली के पांचों नगर निगमों से मिला है। दिल्ली में पांच नगर निगम हैं, नई दिल्ली नगर निगम, दिल्ली कैंट बोर्ड, उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिण दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम।
दिल्ली सरकार ने मार्च 2021 में सिर्फ 117, अप्रैल 2021 में 5120, मई 2021 में 8090 और जून 2021 में 740 कोविड मौतों के आंकड़े जारी किए थे। लेकिन नगर निगमों से मिले आंकड़ों से दिल्ली सरकार की संख्या मेल नहीं खाती। प्रोफेसर जॉन कहते हैं, “अगर किसी मरीज के बीमारी के लक्षण, उसकी मेडिकल हिस्ट्री और बीमारी से पहले का इतिहास देखें तो महामारी न होने वाले समय भी में मौत का कारण कई बार बहुत अलग होता है।”
कृष्णन भी यही बात कहते हैं कि कोविड केस और उससे हुई मौतें रिकॉर्ड में नहीं गईं कयोंकि जिन लोगों में लक्षण भी थे तब भी हम सिस्टम पर प्रेशर के चलते सभी का टेस्ट नहीं कर पाए। कुछ मामलों में तो लोग खुद ही सामने नहीं आए।
दिल्ली कैंट बोर्ड ने मई 2021 में 1,619 मौतें रिकॉर्ड की थी, जबकि 2018, 2019 और 2020 का इस माह का औसत आंकड़ा 128 मौतें है। कैंट बोर्ड के इलाके में अधिकतर फौजी रहते हैं और इसी इलाके में आर्मी हेडक्वार्टर, एयर फोर्स पब्लिक स्कूल और रक्षा विभाग से जुड़े कई संस्थान हैं। कोविड की दूसरी लहर की शुरुआत में भारतीय सेना ने अपने बेस अस्पताल को कोविड फेसिलिटी में बदलने का ऐलान किया था। यह सुविधा खासतौर से सशस्त्र सेनाओं और पूर्व सैनिकों के लिए थी।
इसी तरह दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने भी बीते तीन साल के मुकाबले जनवरी से जून के बीच कहीं अधिक संख्या में मौते रिकॉर्ड कीं। एसडीएमसी ने जनवरी 2021 में 9042 मौते रिकॉर्ड की जबकि तीन साल का औसत 3,592 है। यह संख्या ढाई गुना ज्यादा है।
इसी तरह उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने भी मई और जून में 9,594 और 7,469 मौतें रिकॉर्ड कीं। जबकि पिछले सालों में इन महीनों का औसत 3.616 और 4,293 है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम में भी मई 2021 में 6416 मौतें रिकॉर्ड हुईं जबकि यहां का तीन साल का औसत 1605 है। नई दिल्ली नगर निगम में भी मई 2021 में 3,493 मौतें रिकॉर्ड में आईँ जबकि यहां कि औसत भी 2,227 है।
इन आंकड़ों को लेकर नेशनल हेरल्ड ने दिल्ली सरकार के हेल्थ सर्विसेस के डायरेक्टर जनरल डॉ नूतन मुंडेजा से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसी तरह दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी किसी फोन कॉल या मैसेज का जवाब नहीं दिया। ये लोग जैसे ही इस बारे में प्रतिक्रिया देंगे हम इस खबर को अपडेट कर देंगे।
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