कर्नाटक उपचुनाव: 14 साल बाद बेल्लारी लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा, बीजेपी और रेड्डी बंधुओं को बड़ा झटका

कांग्रेस ने 14 साल बाद एक बार फिर कर्नाटक की बेल्‍लारी सीट पर जीत हासिल की है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभालने के बाद 1999 में बेल्लारी से सुषमा स्‍वराज को हराया था। बाद में 2004 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हो गया था।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

इसी साल विधानसभा चुनाव के बाद कर्नाटक की सत्ता में आई कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने राज्य की 3 लोकसभा और 2 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका दिया है। कुल 5 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने 4-1 से बीजेपी को शिकस्त दी है। शिमोगा, बेल्‍लारी और मांड्या लोकसभा सीट के साथ ही जामखंडी और रामनगर विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में 3 नवंबर को वोट डाले गए थे। आज आए नतीजों में कांग्रेस ने बेल्लारी लोकसभा और जामखंडी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है, वहीं मांड्या लोकसभा और रामनगर विधानसभा सीट पर जेडीएस ने जीत दर्ज की है। जबकि बीजेपी को सिर्फ शिमोगा लोकसभा सीट पर जीत मिली है।

लेकिन इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में बेल्लारी लोकसभा सीट थी। राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव के बाद उभरे नये राजनीतिक समीकरण के बाद इस उपचुनाव में सभी पार्टियों के अलावा राजनीतिक विश्‍लेषकों की भी नजरें बेल्‍लारी सीट पर ही टिकी थीं। चुनाव नतीजों में इस सीट से कांग्रेस प्रत्‍याशी वीएस. उगरप्‍पा ने बीजेपी उम्‍मीदवार जे. शांता को मात दी है। पिछले 14 वर्षों से बीजेपी के कब्‍जे में रही इस सीट पर रेड्डी बंधुओं का प्रभाव माना जाता है। साथ ही इस सीट पर कर्नाटक के पूर्व मुख्‍यमंत्री और राज्य में बीजेपी के कद्दावर नेता बीएस येद्दियुरप्‍पा और पूर्व बीजेपी सांसद बी.श्रीरामुलू की नेतृत्‍व क्षमता भी दांव पर लगी थी। इसके बावजूद कांग्रेस ने लगभग डेढ़ दशक के बाद एक बार फिर यहां वापसी की है।

बेल्‍लारी लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी ने 1999 में अमेठी के साथ ही कांग्रेस की परंपरागत मानी जाने वाली बेल्‍लारी सीट से भी लोकसभा का चुनाव लड़ा था और यहां से उन्होंने बीजेपी की सुषमा स्‍वराज को हराया था। लेकिन 2004 में हुए चुनाव से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हो गया।

इस सीट को बीजेपी से छीनने में कांग्रेस के कुशल चुनाव प्रबंधन की बड़ी भूमिका रही। कांग्रेस की ओर से बेल्‍लारी सीट के लिए चुनाव प्रबंधन की जिम्‍मेदारी वरिष्‍ठ नेता और मंत्री डी. शिवकुमार को दी गई थी। बताया जाता है कि शिवकुमार ने इस सीट पर कांग्रेस के अलावा जेडीएस के कार्यकर्ताओं के साथ भी बेहतर तालमेल बिठाया। कांग्रेस-जेडीएस के मिलकर बीजेपी को टक्‍कर देने से पार्टी को वोट न बंटने का फायदा हुआ और पार्टी प्रत्‍याशी ने बड़े अंतर से जीत दर्ज कर ली।

बता दें कि बेल्‍लारी लोकसभा क्षेत्र खनिज-संसाधनों से भरपूर है। यहां की कई खानें बीजेपी नेताओं के करीबी रेड्डी बंधुओं- करुणाकर रेड्डी, जनार्दन रेड्डी और सोमशेखर रेड्डी के पास हैं। येद्दियुरप्‍पा सरकार के दौरान रेड्डी बंदुओं पर खनन घोटाले के आरोप लगे थे, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा था। ऐसे में बेल्‍लारी इलाके में रेड्डी बंधुओं का व्‍यापक प्रभाव माना जाता है। रेड्डी बंधुओं के करीबी बीजेपी नेता श्रीरामुलु ने 2014 के लोकसभा चुनावों में यहां से जीत हासिल की थी। लेकिन, इस साल हुए विधानसभा चुनाव में मोलाकलमुरु से जीतने के बाद उन्‍होंने यह सीट छोड़ दी थी। उपचुनाव में श्रीरामुलु ने यहां से अपनी बहन जे. शांता को टिकट दिलाया था। शांता का चुनाव प्रबंधन श्रीरामुलु ही देख रहे थे। वह प्रचार से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक का काम खुद ही देख रहे थे। ऐसे में उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्‍याशी के हाथों बीजेपी उम्‍मीदवार की बड़ी हार श्रीरामुलु के साथ ही इलाके में रसूख रखने वाले रेड्डी बंधुओं के प्रभाव में कमी को दिखाता है।

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