दिल्ली दंगे के लिए कपिल मिश्रा जिम्मेदार, पुलिस की आंतरिक रिपोर्ट में आया नाम, भीम आर्मी के आजाद पर भी शक

दिल्ली पुलिस की आंतरिक जांच रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि कैसे कपिल मिश्रा ने अपने समर्थकों को संदेश भेजा और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अल्पसंख्यक बहुल इलाकों के लोगों को दंगों का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया, जो 53 लोगों की मौत की वजह बना।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

दिल्ली के कई इलाकों में हुए दंगों के दौरान 'मूक दर्शक' बने रहने का खामियाजा भुगतने के बाद अब दिल्ली पुलिस एक्शन मोड में आ गई है। पुलिस अब राजधानी में हुई हिंसा की पूरी क्रोनोलॉजी की जांच कर रही है। पुलिस जांच कर रही है कि कैसे कपिल मिश्रा ने अपने समर्थकों को संदेश भेजा और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अल्पसंख्यक बहुल इलाकों के लोगों को दंगों का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया, जो कि 53 लोगों की मौत का कारण बना।

आईएएनएस के अनुसार उसके पास मौजूद दिल्ली पुलिस की आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है कि उस दिन भीम आर्मी की एक गाड़ी पर नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय लोगों को जुटाया और जबावी कार्रवाई की। इसके बाद दोनों तरफ की जवाबी कार्रवाई में तीन दिन तक दिल्ली जलती रही।

दिल्ली दंगों पर इस आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है, "22 फरवरी, 2020 को रात करीब 10:30 बजे 500 महिलाओं ने नागरिक संशोधन कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास प्रदर्शन शुरू किया। उन्हें देखकर करीब 2000 स्थानीय युवा भी उसमें शामिल हो गए।" रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए मौलाना शमीम और मौलाना दाऊद को भी इसमें शामिल किया।

पुलिस की रिपोर्ट कहती है, "23 फरवरी की सुबह कपिल मिश्रा और दीपक सिंह ने सोशल मीडिया के जरिए अपने समर्थकों को संदेश भेजा और सीएए तथा एनआरसी के समर्थन में मौजपुर चौक पर अपराह्न् 2:30 बजे आने को कहा।" इसके बाद कपिल मिश्रा और दीपक सिंह एक साथ ढाई बजे मौके पर पहुंचे और करीब तीन घंटे वहां रुके। उसी दिन भीम आर्मी ने चंद्रशेखर के नेतृत्व में भारत बंद का आह्वान किया था।


इसके बाद पुलिस ने विस्तार से बताया है कि किस तरह शाम पांच बजे दंगे शुरू हुए। आगे रिपोर्ट में कहा गया है, "मौजपुर चौक पर भीम आर्मी के एक वाहन पर सीएए समर्थकों द्वारा हमला कर दिया गया। इस पर भीम आर्मी ने कर्दमपुरी और कबीर नगर से लोगों को बुलाया और जबावी कार्रवाई की। इसके बाद दोनों तरफ से पत्थर फेंके जाने लगे।"

पुलिस का कहना है कि उस समय उपद्रवियों की संख्या अपर्याप्त थी, इसलिए एक अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस की दो कंपनियां भेजी गईं। लेकिन रात 8 बजे तक कर्दमपुरी फ्लैश पॉइंट बन चुका था। इसको देखते हुए देर रात संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार और पुलिस उपायुक्त उत्तर-पूर्व वेद प्रकाश सूर्या हालात को नियंत्रित करने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे। इसके बाद हालात कुछ सामान्य हो गए।

इसके बाद फिर 24 फरवरी को सुबह 10 बजे दंगे शुरू हो गए। कर्दमपुरी, चांदबाग, भजनपुरा, यमुना विहार, बृजपुरी टी पॉइंट पर दोनों तरफ से आक्रामकता बढ़ गई थी। इसके बाद हालात को नियंत्रित करने के लिए पांच पुलिस उपायुक्तों और एक संयुक्त पुलिस आयुक्त को तैनात किया गया। हालांकि, तब तक कर्दमपुरी और शेरपुर चौक पर भारी पत्थरबाजी शुरू हो गई थी। इसी हिंसा में दो पुलिसकर्मियों- डीसीपी शाहदरा अमित शर्मा और एसीपी गोकुलपुरी अनुज कुमार को चोटें आईं और हेड कांस्टेबल रतन लाल को दंगाइयों की चपेट में आने के बाद अपनी जान गंवानी पड़ी।

इसके बाद झड़पों का सिलसिला पूरे दिन जारी रहा और कई दुकानों में आग लगाई गई। एक पेट्रोल पंप जल गया और लूटपाट हुई। कई घर भी जला दिए गए और कई क्षतिग्रस्त हो गए। बहुत सारे लोग मारे गए और कई घायल हुए। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है, "घोंडा, नूर-ए-इलाही, ब्रह्मपुरी लेन नंबर 1 और 3, चांद बाग और शेरपुर बाजार जैसी जगहें भी नए फ्लैश पॉइंट बन गईं थीं।" इसके बाद 25 फरवरी को फ्लैश पॉइंट की संख्या और बढ़ गई। दंगाइयों और पुलिस के बीच काफी झड़प हुई।

हालांकि, इस आंतरिक रिपोर्ट के बारे में जब दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी एम एस रंधावा से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मुझे ऐसी किसी रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है। दिल्ली पुलिस दंगों की घटनाओं पर हर एंगल से जांच कर रही है। हमने 600 से अधिक मामले दर्ज किए हैं और अब तक 1,800 गिरफ्तारियां की हैं।

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