उत्तर प्रदेश में स्वच्छता अभियान की धज्जियां, कानपुर वेस्ट प्लांट के चलते नहीं हो रहीं युवाओं की शादी
केंद्र की मोदी सरकार देश भर में स्वच्छता अभियान जोर-शोर से चलाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के कुछ गांवों में गंदगी और कचरे का हाल ऐसा है कि कोई अपनी बेटी इस गांव में नहीं ब्याहना चाहता। नतीजतन गांव को कुंवारों का गांव कहा जाने लगा है।
देश में भले स्वच्छता का नारा बुलंद हो रहा हो, मगर उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के आस-पास के कई गांवों में कचरे ने बर्बादी ला दी है। एक तरफ जहां कचरे से बीमारियां बढ़ रही हैं तो वहीं दूसरी ओर 'कुंवारा रोग' बढ़ता जा रहा है। इन गांवों में कुंवारों की संख्या संक्रमण रोग की तरह बढ़ रही है।
कानपुर के पनकी पड़ाव, जमुई, बदुआपुर सरायमिता गांव में गंदगी का अंबार इतना है कि लोग अपनी बेटियों की शादी इन गांवों के लड़कों के साथ नहीं करना चाहते हैं। इन गांवों में कानपुर नगर निगम का सॉलिड वेस्टेज यहां से सटा हुआ है जिसकी वजह से गांव में गंदगी, दुर्गंध और बीमारियां फैली रहती हैं। इसके कारण कोई भी अपनी लड़की की शादी इन गांवों में नहीं करना चाहता है।
बदुआपुर के संतोष राजपूत ने बताया कि यहां तालाब पाटकर कूड़ा प्लांट बना दिए गए हैं। यहां पर कई टन कूड़ा डम्प है। यहां गर्मियों में कोई नहीं रुकता क्योंकि यहां पर आग अपने आप पकड़ लेती है। यहां के 70 प्रतिशत लोग टीबी और दमा से ग्रसित हैं। बीमारी के कारण लगभग पांच सालों से यहां पर कोई शादी नहीं हो पा रही है। इसी वजह से नौजवानों का पलायन हो रहा है। अगर शादी होती भी है तो टूट जाती है। इसके आस-पास के गांव बनपुरूवा, कलकपुरवा, सुन्दर नगर, स्पात नगर यह सब तीन किलोमीटर के दायरे में हैं। सब लोग प्रदूषण और गंदगी की जद में रहने को मजबूर हैं।
इसी गांव की सोमवती का कहना है, "दमा और दुर्गंध वाली बीमारियां बहुत ज्यादा फैली हैं। मेरे भतीजे की शादी तय हो गई थी, लेकिन यहां का वातारण देखकर शादी टूट गई। हमारे गांव में कई सालों से कोई शहनाई नहीं बजी है। रिश्ते वाले तो गांव के लड़के देखने के लिए खूब आते हैं, लेकिन जब कूड़ा प्लांट, हवा और बीमारी का पता चलता है तो वापस हो जाते हैं।"
पनकी पड़ाव के रवि राजपूत का कहना है कानपुर नगर निगम का सॉलिड वेस्टेज कूड़ा प्लांट यहां आने के बाद से एक नहीं सौ बीमारियां फैली हुई है। इसी कारण आधे लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं। उन्होंने बताया, "पूरे शहर की गंदगी हमारे मत्थे मढ़ दी गई। कूड़ा प्लांट हमारे गांवों से सटा हुआ है। दरुगध की वजह से हमारा जीना मुहाल हो गया है और हम गंदी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।"
इसी गांव की केतकी का कहना है, "हमारे गांव में न तो लड़के न ही लड़कियों की शादी हो पा रही है। हमारे गांव में अभी 60 लड़के ऐसे हैं जो शादी के उम्र के हैं, लेकिन उनकी शादी नहीं हो पा रही है। जब से कूड़ा प्लांट आया है यहां पर कोई शादी नहीं हुई है।"
जमुई गांव के रमेश ने कहा, "हमारे यहां ज्यादातर नौजवान दमे और सांस की बीमारियों से ग्रसित हैं। मैं खुद दमे से पीड़ित हूं। पहले मुझे यह बीमारी नहीं थी, लेकिन इस कूड़े के प्लांट की दरुगध से मुझे यह बीमारी हो गई। मेरे बेटे की उम्र शादी की हो गई है लेकिन कोई शादी के लिए नहीं आ रहा है।"
इस मामले में अपर नगर आयुक्त अमृत लाल बिनद ने गोल मोल जवाब देते हुए कहा कि कूड़ा वहां डंप होता है। उसे अन्य जगह पर शिफ्ट करने की तैयारी कर रहे। इस पर तेजी से काम हो रहा है। बीमारियों से निपटने के लिए कैम्प लगाए जाते हैं। कानपुर की महापौर प्रमिला पाण्डेय ने कहा कि यह कूड़ा कई वर्षो से वहां डम्प हो रहा है। इसे खत्म करने का प्लान बनाया जा रहा है। इसके लिए कुछ किया जाएगा।
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