कैराना उपचुनाव: बीजेपी से मृगांका सिंह के मैदान में आते ही मुकाबला बन गया ‘ननद-भावज’ का

उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव में संयुक्त विपक्ष की तबस्सुम हसन जीतें या बीजेपी की मृगांका सिंह, लेकिन सीट जाएगी एक ही परिवार में। क्योंकि, तबस्सुम और मृगांका में रिश्ता ननद-भावज का है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया
user

आस मोहम्मद कैफ

उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट का उपचुनाव रोचक हो गया है। इस सीट पर बीजेपी ने पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया है, वहीं साझा विपक्ष ने पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की पत्नी तबस्सुम हसन को मैदान में उतारा है। यूं तो इसमें कोई खास बात नजर नहीं आती, लेकिन कैराना के जातिगत इतिहास को देखें तो अब यह चुनाव ननद-भावज के बीच का मुकाबला बन गया है।

कैराना लोकसभा सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी, और यहां 28 मई को मतदान होना है। मंगलवार को बीजेपी ने कैराना सीट से अपने उम्मीदवार के तौर पर हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह के नाम का ऐलान किया। इससे पहले संयुक्त विपक्ष पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की पत्नी तबस्सुम हसन को अपना उम्मीदवार घोषित कर चुका है। यूं तो एक करार के तहत तबस्सुम हसन आरएलडी की उम्मीदवार हैं, लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी और बीएसपी का समर्थन हासिल है। तबस्सुम हसन के पुत्र नाहिद हसन इलाके से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं।

कैराना में उम्मीदवारों के ऐलान के साथ अब तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई है और लड़ाई अब पार्टियों से ज्यादा उम्मीदवारों के बीच आकर सिमट गई है।

लेकिन, राजनितिक दांवपेंच से इतर इस नई तस्वीर के बाद एक रोचक तथ्य सामने आ गया है। और, वह यह है कि यहां अब लड़ाई ‘ननद-भावज’ के बीच होगी। दरअसल हुकुम सिंह और मुन्न्वर हसन दोनों गूर्जर हैं और एक ही परिवार से आते हैं। दोनों का रिश्ता कल्सयान खाप से है। कभी हसन परिवार ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था, जबकि हुकुम सिंह परिवार हिन्दू धर्म में ही रहा।

कैराना एक गुर्जर बहुल सीट है, यहां लगभग 4 लाख गुर्जर हैं जिनमें से आधे मुस्लिम हैं। स्थानीय गुर्जरों में धर्म से अधिक जाति का प्रभाव रहा है और अब भी है। यहां अकसर यह नारा भी दिया जाता है कि “गुर्जर –गुर्जर एक समान हिन्दू हो या मुसलमान”

उम्मीदवारों के नाम का ऐलान होने से पहले ही इस बात की चर्चा थी कि बीजेपी हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारेगी। और संभावना यही बन रही थी कि अगर मृगांका सिंह मैदान में उतरीं तो मुस्लिम गुर्जर उनके साथ होंगे। इसी को ताड़ते हुए संयुक्त विपक्ष ने गुर्जर की बेटी के मुकाबले के लिए गुर्जर की बहु को मैदान में उतार दिया।

कैराना निवासी मोहम्मद अली बताते हैं कि, “अगर मृगांका बहन के सामने तबस्सुम भाभी को न लाया जाता, तो आधे से ज्यादा मुसलमान गुर्जर मृगांका को वोट करता। कैराना में गुर्जरों के लिए धर्म से ऊपर जाति है।” गौरतलब यह भी है कि इससे पहले भी बीजेपी में होने के बावजूद हुकुम सिंह को मुसलमानों का एक हिस्सा वोट करता रहा है।

कैराना के ही मेहरबान मंसूरी ने बताया कि, “मुजफ्फरनगर दंगो और पलायन जैसे मामलों में गैर जिम्मेदाराना बयानों के लिए हुकुम सिंह मुसलमानों के दिल से उतर गये, वरना मुसलमान भी उन्हें बाबूजी कहकर ही सम्मान देते थे। अब भी कुछ मुसलमान उनकी बेटी के साथ हैं। हाल ही में हुए नगर पालिका चुनाव में मुन्न्वर हसन के भाई अनवर हसन को चुनाव जितवाने में हुकुम सिंह ने मदद की थी, जिससे वो कैराना के चेयरमैन बन गये। अब अनवर हसन अपनी सगी भाभी तबस्सुम के साथ नहीं है। वो अपनी चचेरी बहन मृगांका के साथ हैं।”


उधर तबस्सुम हसन आरएलडी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं, जिन्हें एसपी-बीएस और कांग्रेस का समर्थन हासिल है। कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने शुरु में उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया था, लेकिन अब वह भी उनके समर्थन में साथ हैं। तबस्सुम हसन इससे पहले 2009 में कैराना से सांसद रह चुकी हैं। उन्होंने हुकुम सिंह को ही हराया था। अगर इस चुनाव में वो हार जाती हैं, तो मृगांका सिंह अपने पिता की हार का बदला भी चुकता कर लेंगी।

फिलहाल इस चुनावी लड़ाई में टक्कर बराबरी की दिखती है। 2014 में कैराना लोकसभा सीट से हुकुम सिंह ने नाहिद हसन को हरा दिया था। उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में नाहिद हसन ने मृगांका सिंह को हराकर हिसाब बराबर कर लिया था। पहले इस लोकसभा सीट से जयंत चौधरी को भी संयुक्त प्रत्याशी बनाये जाने की चर्चा थी, मगर गुर्जरों के मृगंका सिंह के पक्ष में लामबंद होने के खतरे ने तब्बसुम हसन को प्रत्याशी बनवा दिया।

थानाभवन के पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता राव वारिस के अनुसार नये समीकरण से तबस्सुम हसन की स्थिति मजबूत हो गई है। मृगांका सिंह के साथ लोगो को हमदर्दी है कि उन्होंने अपना पिता खोया है तो तबस्सुम हसन ने भी अपने पति को खोया है। पिछले दिनों तब्बसुम हसन के ससुर अख्तर हसन का भी इंतेकाल हो गया। वो भी कैराना से सांसद रह चुके थे। ऐसे में मृगांका अगर आंसू बहाती हैं, तो आंसू तबस्सुम हसन के पास भी है। मृगांका सिंह के टिकट की घोषणा भले ही मंगलवार को की गई है, मगर चुनाव प्रचार वो एक महीने से कर रही हैं।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia