कम खर्चीली हो न्याय व्यवस्था, आम आदमी की समझ में आने वाली भाषा में मिले फैसला: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में आयोजित भव्य समारोह में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और अधिवक्ता चैंबर का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों का मूलभूत अधिकार है कि न्याय उनकी पहुंच में हो।

फोटोः @rashtrapatibhvn
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नवजीवन डेस्क

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को एक समारोह में कहा कि देश में न्याय व्यवस्था कम खर्चीली हो, सामान्य आदमी की समझ में आने वाली भाषा में निर्णय देने की व्यवस्था हो, और खासकर महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों को न्यायिक प्रक्रिया में भी न्याय मिले, यह हम सबकी जि़म्मेदारी है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में आयोजित भव्य समारोह में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और अधिवक्ता चैंबर का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनसाधारण में न्यायपालिका के प्रति विश्वास और उत्साह बढ़ाने के लिए लंबित मामलों के निस्तारण में तेजी लाने से लेकर नीचली आदलत की दक्षता बढ़ाने तक कई पहलुओं पर अनवरत प्रयासरत रहना समय की मांग है। साथ ही उन्होंने आम आदमी की समझ आने वाली भाषा में निर्णय पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि महिलाओं और दबे कुचले लोगों को भी न्याय मिले। सभी नागरिकों का मूलभूत अधिकार है कि न्याय उनकी पकड़ में हो। जनसाधारण में न्यायपालिका के प्रति उत्साह बढ़ाना चाहिए। लंबित मामलों का निस्तारण किया जाना चाहिए। जजों की संख्या बढ़ाई जाए। पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। राज्य सरकार के सहयोग से हाईकोर्ट आगे बढ़ेगा।

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जजों की नियुक्ति का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपूर्ण समाज की स्थापना महिलाओं की भागीदारी से ही सुनिश्चित होगी। अभी न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी 12 फीसद ही है। उन्होंने कहा कि हमें यह विश्वास बढ़ाना होगा कि न्याय सभी की पहुंच में है।


राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि झलवा में बनने वाला उत्तर प्रदेश नेशनल ला यूनिवर्सिटी विश्व स्तरीय विधि शिक्षा का केंद्र बनेगा। यहां से निकले विद्यार्थी न्यायपूर्ण सामाजिक आर्थिक विकास के वाहक बनेंगे। नॉलेज सुपर पावर बनने की दिशा में भी यह विश्वविद्यालय सहायक होगा। प्रयागराज से उत्तम जगह इस विश्वविद्यालय के लिए नहीं हो सकती थी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने अपने संबोधन की शुरूआत हिंदी में की, लेकिन फिर अंग्रेजी में बोले। कुंभ नगरी में आगमन को अपने लिए गौरव का विषय बताते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने इसी धरती से ब्रिटिश राज के खिलाफ शांतिपूर्ण युद्ध की शुरूआत की थी। हम जनसामान्य तक सस्ता और सहज न्याय पहुंचाने के प्रति कटिबद्ध हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट का इतिहास डेढ़ सौ साल पुराना है। यहां के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द करने का फैसला दिया था। सच्चिदानंद सिन्हा, मोतीलाल नेहरू, महामना मदन मोहन मालवीय और जगमोहन लाल सिन्हा का उल्लेख सीजेआई ने अपने संबोधन में किया।

वहीं इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन कार्यों का शिलान्यास हो रहा है वह अर्से से लंबित थे। कुंभ में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की मुहिम हुई तो हाईकोर्ट से सहयोग मिला। लोग बाधा नहीं डाल पाए। उन्होंने लॉ यूनिवर्सिटी का नाम देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखने का सुझाव दिया। कहा कि उनका संगमनगरी से आत्मीय नाता था। अपने जीवन काल में वह हर कुंभ में आए।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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