‘देश में मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर’, बताने वाले जस्टिस राजेंद्र सच्चर नहीं रहे
जस्टिस राजेंद्र सच्चर को देश में मुसलमानों की हालत पर पेश सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के लिए जाना जाता है, जिसमें बताया गया कि देश में मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति दलितों से भी बदतर है।
दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र सच्चर का 20 अप्रैल की सुबह दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार से मिली जानकारी के अनुसार जस्टिस सच्चर पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें दो सप्ताह पहले फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन लगातार डॉक्टरों की निगरानी के बावजूद शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के लोदी रोड विद्युत शवदाह गृह में किया जाएगा।
देश में मानवाधिकार आंदोलनों से जुड़े रहे जस्टिस राजेंद्र सच्चर को भारत में मुसलमानों की स्थिति पर पेश सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है। उन्होंने 2005 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा गठित सच्चर समिति की अध्यक्षता की थी। देश में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक स्थिति के अध्ययन के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में दिल्ली हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया था। इस कमेटी ने देश के मुसलमानों से जुड़े कई मुद्दों का अधययन कर 403 पेज की रिपोर्ट पेश की थी, जिसे 30 नवंबर, 2006 को लोकसभा में पेश किया गया था। इसी रिपोर्ट में पहली बार बताया गया था कि देश में मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति दलितों से भी बदतर है।
94 वर्ष की आयु में अंतिम सांस लेने वाले जस्टिस सच्चर का जन्म 22 दिसंबर 1923 को हुआ था। उनकी पढ़ाई लाहौर से हुई थी। उन्होंने लाहौर के डीएवी हाईस्कूल, गवर्नमेंट कॉलेज और लॉ कॉलेज से पढ़ाई की। उसके बाद 22 अप्रैल 1962 को उन्होंने शिमला से वकालत की शुरुआत की। उन्होंने 8 दिसंबर 1960 से सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की।
राजेंद्र सच्चर को 12 फरवरी 1970 को दो साल के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त का गया था। उसके बाद 5 जुलाई 1972 को दिल्ली हाईकोर्ट का स्थाई जज बनाया गया। सच्चर 16 मई 1975 से 10 मई 1976 तक सिक्किम हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे। इसके बाद उन्हें राजस्थान हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। दिल्ली हाईकोर्ट के अलावा जस्टिस सच्चर सिक्किम, राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस भी रहे। इमरजेंसी के दौरान सच्चर का तबादला राजस्थान हाई कोर्ट कर दिया गया था। इमरजेंसी के बाद 9 जुलाई 1977 को सच्चर का तबादला फिर से दिल्ली हाई कोर्ट हो गया। इस दौरान उन्होंने कई अहम मामलों की सुनवाई की और कई समितियों के सदस्य भी रहे। 22 दिसंबर 1985 से 22 अगस्त 1985 को सेवानिवृत्त होने तक जस्टिस सच्चर दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे।
जस्टिस सच्चर देश में मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के साथ लंबे समय से जुड़े थे। इसके अलावा वह मानवाधिकारों के प्रसार पर संयुक्त राष्ट्र के उपायोग के सदस्य भी रहे। इस देश को उनका सबसे बडा योगदान मुसलमानों के सामाजिक, शैक्षणिक आर्थिक हालात पर पेश उनकी रिपोर्ट थी, जिसमें उन्होंने इस समुदाय की वास्तविक स्थिति से दुनिया को अवगत कराया था।
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