पश्चिम बंगाल में फिर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल, काम बंद रखने के कारण स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रभावित, मरीज परेशान

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नौ अगस्त को साथी चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या के बाद कनिष्ठ चिकित्सक हड़ताल पर हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पश्चिम बंगाल में आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी चिकित्सक के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के बाद सरकारी अस्पतालों में उचित सुरक्षा समेत कई मांगों को लेकर जूनियर चिकित्सकों के बुधवार को भी काम पूरी तरह से बंद करने के कारण स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हैं।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नौ अगस्त को साथी चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या के बाद कनिष्ठ चिकित्सक हड़ताल पर हैं। कनिष्ठ चिकित्सक 42 दिन के विरोध प्रदर्शन के बाद 21 सितंबर को सरकारी अस्पतालों में आंशिक रूप से अपनी ड्यूटी पर लौटे थे। सरकार ने उनकी ज्यादातर मांगों को पूरा किए जाने का वादा किया था।

बहरहाल, सरकार पर अपने वादे पूरे न करने का आरोप लगाते हुए चिकित्सक मंगलवार को फिर से हड़ताल पर चले गए।

एक प्रदर्शनरत जूनियर चिकित्सक शुभेंदु मलिक ने कहा, ‘‘अभी तक काम बंद है। हालांकि, पूरी तरह से काम बंद करने पर पुनर्विचार की संभावना है क्योंकि वरिष्ठ चिकित्सकों की इस पर अलग-अलग राय है। हम आगे के कदम पर फैसला लेने के लिए सभी पक्षकारों के साथ बैठकें करेंगे क्योंकि हम भी तब तक काम बंद नहीं करना चाहते जब तक कि स्थिति हमें मजबूर न कर दे।’’

चिकित्सकों ने महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या की घटना की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की जा रही जांच की धीमी गति पर भी चिंता जतायी।


कनिष्ठ चिकित्सकों ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘सीबीआई की जांच निराशाजनक रूप से धीमी है। हमने कई मामले देखे हैं जहां देरी होने से दोषी छूट जाते हैं। हम निराश हैं।’’

मृतक चिकित्सक को तुरंत न्याय दिलाने की मांग के अलावा प्रदर्शनरत चिकित्सकों ने कई शिकायतें भी रखी हैं। उनकी नौ मागों में राज्य के स्वास्थ्य सचिव को हटाना, अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाना और स्थायी महिला पुलिस कर्मियों की भर्ती शामिल हैं।

चिकित्सकों ने चिकित्सक, नर्स और स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए सभी रिक्त पदों को तुरंत भरने की भी मांग की। साथ ही उन्होंने अस्पतालों में एक डिजिटल बिस्तर रिक्ति निगरानी प्रणाली स्थापित करने की भी मांग की है।

कनिष्ठ चिकित्सकों ने सभी मेडिकल कॉलेज में छात्र परिषद के चुनाव कराने और ‘रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (आरडीए) को मान्यता देने की भी मांग की। उन्होंने अनुरोध किया कि कॉलेज और अस्पतालों का प्रबंधन करने वाली सभी समितियों में निर्वाचित छात्रों और कनिष्ठ चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

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