निर्मला सीतारमण के डिनर का पत्रकारों ने किया बहिष्कार, मंत्रालय में प्रवेश पर रोक लगाने के विरोध में फैसला
राजधानी दिल्ली के ताज होटल में वित मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पत्रकारों के लिए आयोजित पोस्ट बजट डिनर का ज्यादातर पत्रकारो ने बहिष्कार कर दिया। पत्रकारों ने ये फैसला सरकार द्ववारा मंत्रालय में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगाने के आदेश के विरोध में लिया।
‘पत्रकारिता की स्वतंत्रता’ की रक्षा के लिए अभूतपूर्व एकता का प्रदर्शन करते हुए वित्त मंत्रालय कवर करने वाले 100 से ज्यादा पत्रकारों ने शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पत्रकारों के लिए आयोजित ‘पोस्ट बजट डिनर’ का बहिष्कार कर दिया। देश के एक प्रमुख बिजनेस न्यूज चैनल से जुड़े एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया, “इस ‘पोस्ट-बजट डिनर’ में केवल 4-6 पत्रकारों और 16 संपादकों ने भाग लिया।”
जानकारी के अनुसार, पत्रकारों ने सर्वसम्मति से पोस्ट बजट डिनर का बहिष्कार करने का फैसला वित्त मंत्रालय द्वारा मीडियाकर्मियों के नॉर्थ ब्लॉक में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के उस फैसले के विरोध में लिया, जो मंत्रालय में केवल उन मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति देता है, जिनके पास किसी आधिकारी से मिलने की पूर्व अनुमति होगी।
एक दशक से अधिक समय से वित्त मंत्रालय को कवर करने वाले और अर्थव्यवस्था और वित्त की अपनी गहन समझ के लिए प्रसिद्ध एक वरिष्ठ पत्रकार ने नवजीवन को बताया, “ये बहिष्कार हमारे हितों की रक्षा के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के हितों की हिफाजत के लिए उठाया गया कदम था।” उन्होंने कहा कि यह बहिष्कार एएनआई जैसे कुछ संस्थानों को छोड़कर सभी न्यूज चैनलों और अखबारों के पत्रकारों द्वारा समर्थित था।
नवजीवन से बातचीत में कई पत्रकारों ने बताया कि विचार-विमर्श के बाद एएनआई के रिपोर्टर को डिनर में शामिल होने दिया गया, क्योंकि उसके ऊपर एएनआई के प्रबंधन का भारी दबाव था। एक बिजनेस संपादक ने कहा, “लेकिन एएनआई के पत्रकार भी हमारे साथ एकजुट थे और उन्होंने अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान इस मुद्दे को उठाया भी।”
अलग-अलग स्त्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार, होटल के कर्मचारियों को छोड़कर वित्त मंत्रालय से जुड़े 34 अधिकारियों को ताजमहल होटल में पत्रकारों के स्वागत के लिए तैनात किया गया था। एक सीनियर रिपोर्टर ने तो मजाक उड़ाते हुए कहा, “वास्तव में मेजबानों की संख्या मेहमानों से कहीं ज्यादा थी।”
इस बहिष्कार के प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वित्त मंत्रालय को कवर करने वाले पत्रकारों के व्हाट्सएप्प ग्रुप के 180 सदस्यों में से केवल 4-6 पत्रकार ही डिनर में पहुंचे। वह भी अपने संस्थानों के मालिकों के दबाव की वजह से। एक अंग्रेजी पत्रिका के साथ काम करने वाले एक अनुभवी पत्रकार ने पूरे मामले पर कहा, “यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि पत्रकारों को इस सरकार में घुटन महसूस हो रही है। पत्रकारों और रिपोर्टरों के बीच असंतोष लगातचार बढ़ रहा है और यह लोकतंत्र के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है।"
प्रवेश पर प्रतिबंध से हैरान और अपमानित महसूस कर रहे पत्रकारों को लग रहा है कि मीडिया के बैन के आदेश का गहरा प्रभाव होगा। एक बिजनेस रिपोर्टर ने कहा, “अगर इस फैसले को रद्द नहीं किया गया, तो इससे मीडिया में छंटनी की शुरुआत हो सकती है, क्योंकि कोई भी न्यूज चैनल या समाचार पत्र उस मंत्रालय में रिपोर्टर को प्रतिनियुक्त नहीं करेगा, जहां किसी सनसनीखेज या एक खास खबर के लिए कोई गुंजाइश न हो।”
अपनी आगे की कार्य योजना के बारे में पूछने पर वित्त मंत्रालय कवर करने वाले पत्रकारों ने बताया कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए आने वाले समय में बड़े पैमाने पर नियुक्ति के अनुरोध के साथ-साथ भारी संख्या में आरटीआई आवेदन वित्त मंत्रालय को भेजे जाएंगे, ताकि सरकार अपने आदेश को वापस ले।
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