दिल्ली: जेएनयू में ‘जय भीम’ का नारा लगाने के लिए छात्र पर 10 हजार का जुर्माना !
जेएनयू प्रशासन ने अपने पत्र में कहा है कि धीमान ने जो किया वह काफी गंभीर है और यह जेएनयू के छात्र को शोभा नहीं देता। यह उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी करता है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक पीएचडी छात्र पर पिछले साल अंबेडकर जयंती के मौके पर कथित रूप से ‘जय भीम’ जैसे नारे लगाने के लिए 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। प्रशासन के अनुसार, यह घटना 14 अप्रैल 2017 को घटी थी जब पुस्तकालय का नामकरण बीआर अंबेडकर के नाम पर करने का समारोह चल रहा था।
दंडित छात्र सन्नी धीमान जेएनयू के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल पॉलिसी से शोध कर रहे हैं।
जेएनयू प्रशासन ने अपने पत्र में कहा, “धीमान ने जो किया वह काफी गंभीर है और यह जेएनयू के छात्र को शोभा नहीं देता। यह उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी करता है।” प्रॉक्टर के हस्ताक्षर से जारी इस पत्र में यह भी कहा गया है कि “उनके करियर की संभावना को ध्यान में रखते हुए कुलपति ने इस मामले में लचीला रूख अपनाया है।”
सन्नी छात्र कार्यकर्ता हैं और छात्र संगठन एनएसयूआई के सदस्य हैं। उन्हें 10 दिन के भीतर दंड की राशि जमा करने को कहा गया है।
इस आरोप को नकारते हुए धीमान ने नवजीवन को बताया, “मैंने कुलपति के भाषण के बाद सीट कटौती पर एक सवाल पूछने की कोशिश की लेकिन मुझे इसकी इजाजत नहीं मिली। तब मैंने ‘बाबा साहेब अमर रहें’ और ‘जय भीम’ जैसे नारे लगाए। मैंने पुनर्नामकरण समारोह में बाधा नहीं पहुंचाई।”
धीमान ने जोड़ा, “मुझे कैम्पस में आरएसएस की विचारधारा का विरोध करने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। हाल में जब मैं पढ़ाई के काम से इंग्लैंड गया हुआ था तब प्रशासन ने सवाल-जवाब के लिए बुलाने को मुझे मेल किया। वे ऐसा कैसे कर सकते हैं जब वे जानते थे कि मैं इंग्लैंड में था।”
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक जेएनयू हाल में इसलिए खबरों में था क्योंकि कैम्पस में पकौड़ा बेचने की कोशिश कर रहे छात्र पर 20 हजार का जुर्माना लगाया गया था।
छात्र मनीष कुमार मीणा जो जेएनयू के भारतीय भाषा केंद्र से पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें 10 दिन के भीतर हॉस्टल बदलने के लिए कहा गया है। मीणा के साथ चार अन्य छात्रों ने प्रधानमंत्री के ‘पकौड़े’ वाली टिप्पणी का विरोध करने के लिए विश्वविद्यालय के भीतर पकौड़ा बेचने की कोशिश की थी।
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