झारखंडः पिछली बीजेपी सरकार के पांच मंत्रियों की संपत्ति की होगी जांच, सीएम हेमंत सोरेन ने दिया आदेश
साल 2020 में पांच तत्कालीन मंत्रियों की संपत्ति की जांच की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में प्रार्थी पंकज कुमार यादव ने आरोप लगाया था कि बहुत कम समय में मंत्रियों की आय में अप्रत्याशित तौर पर वृद्धि हुई है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्ववर्ती बीजेपी की रघुवर दास सरकार के पांच मंत्रियों नीरा यादव, रणधीर कुमार सिंह, अमर कुमार बाउरी, नीलकंठ सिंह मुंडा और लुईस मरांडी की संपत्ति में अप्रत्याशित वृद्धि के मामले में मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग को मामला दर्ज कर जांच शुरू करने का निर्देश दिया है। वर्ष 2020 में इन पांच तत्कालीन मंत्रियों की संपत्ति की जांच की मांग को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की गयी थी।
इस याचिका में प्रार्थी पंकज कुमार यादव ने आरोप लगाया था कि बहुत कम समय में मंत्रियों की आय में अप्रत्याशित तौर पर वृद्धि हुई है। इसके प्रमाण में निर्वाचन आयोग के समक्ष उनकी संपत्ति के विवरण से संबंधित दाखिल शपथपत्र का हवाला दिया गया था। इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर पूर्व में निगरानी विभाग ने एंटी करप्शन ब्यूरो को इसकी जांच कराने का आदेश दिया था।
बताया गया है कि एसीबी ने प्रारंभिक जांच में सत्यापन किया है कि इन पांचों पूर्व मंत्रियों के पास उनकी आय से अधिक संपत्ति है। एसीबी की रिपोर्ट के आधार पर अब मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल एवं निगरानी विभाग को पी.ई. दर्ज कर आगे जांच करने का निर्देश दिया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इन सभी के खिलाफ अलग-अलग पीई दर्ज की जाएगी।
जिस पीआईएल के दस्तावेजों के आधार पर एसीबी ने इन पूर्व मंत्रियों से जुड़े मामले की प्रारंभिक जांच की थी, उसमें यह कहा गया है कि वर्ष 2014 में अमर बाउरी की संपत्ति 7.33 लाख थी, जो 2019 में 89.41 लाख हो गई। इसी तरह रणधीर कुमार सिंह की ओर से 2014 में घोषित 78.92 लाख की संपत्ति साल 2019 में बढ़कर 5.06 करोड़ हो गई।
इन्हीं पांच वर्षों के दौरान नीरा यादव की संपत्ति 80.59 लाख से बढ़कर 3.65 करोड़, लुईस मरांडी की संपत्ति 2.25 करोड़ से बढ़कर 9.06 करोड़, नीलकंठ सिंह मुंडा की संपत्ति 1.46 करोड़ से बढ़कर 4.35 करोड़ हो गई। आंकड़ों के मुताबिक इन पूर्व मंत्रियों की संपत्ति में सिर्फ पांच वर्षों में 200 से लेकर 1100 फीसदी तक की वृद्धि हुई थी।
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