जेडीयू नेता प्रशांत किशोर का शिवसेना को प्रस्ताव: एनडीए को नहीं मिलेगा साफ बहुमत तो नीतीश को बनाएंगे पीएम
लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनाए जा सकते हैं। यह प्रस्ताव जेडीयू नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शिवसेना के सामने रखा है।
लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं और संगठित विपक्ष की एकजुटता ने सत्तारूढ़ बीजेपी और एनडीए की नींद उड़ा रखी है। ऐसे में बिहार में बीजेपी के साथ सत्ता पर काबिज जेडीयू ने अपने दांव खेलने शुरु कर दिए हैं।
द इकोनॉमिक टाइम्स ने इस सिलसिले में एक बड़ी खबर प्रकाशित की है। खबर के मुताबिक पिछले दिनों शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात के दौरान जेडीयू के उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने प्रस्ताव रखा कि अगर एनडीए को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है।
अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा कि अपने इस प्रस्ताव के लिए प्रशांत किशोर ने बाकायदा ब्लू प्रिंट भी सामने रखा।
गौरतलब है कि बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू ने उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने 5 फरवरी को मुंबई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। इस दौरान वे शिवसेना के दूसरे नेताओं से भी मिले। इस मुलाकात के दौरान आने वाले लोकसभा चुनाव और उसके बाद बनने वाले हालात पर चर्चा की गई। अखबार ने शिवसेना सूत्रों के हवाले से कहा है कि प्रशांत किशोर ने शिवसेना को इस बात पर राजी करने की कोशिश की कि वे किसी भी हालात में एनडीए का साथ न छोड़ें। इसके अलावा प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनावों के लिए शिव सेना की चुनावी रणनीति संभालने पर भी राजी हो गए हैं।
अखबार ने कहा कि है कि अगर लोकसभा चुनाव-2019 में किसी दल को बहुमत नहीं मिलता है, और नतीजे त्रिशंकु लोकसभा वाले रहते हैं तब पीएम कौन बनेगा, ऐसी स्थिति के लिए प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार को पीएम बनाने का फार्मूला उद्धव ठाकरे से साझा किया।
अखबार के मुताबिक प्रशांत किशोर के इस प्रस्ताव पर शिवसेना नेता स्तब्ध रह गए। अखबार का दावा है कि प्रशांत किशोर ने कहा कि देश के लगभग सभी विपक्षी दल आगामी चुनाव में नहीं चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी दोबारा पीएम की कुर्सी पर बैठें। अब अगर बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तब नीतीश को आगे करके उन क्षेत्रीय दलों से समर्थन लिया जा सकता है, जो न तो एनडीए के सहयोगी हैं और न ही कांग्रेस के। ऐसे दलों के करीब 100 सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचने के आसार हैं। इनमें वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति, बीजू जनता दल और एआईएडीएमके जैसे दल प्रमुख हैं।
प्रशांत किशोर के साथ बैठक में उद्धव ठाकरे के अलावा आदित्य ठाकरे और पार्टी सांसद संजय राउत भी मौजूद थे।
अखबार के मुताबिक प्रशांत किशोर ने शिवसेना के चुनाव प्रचार अभियान को संभालने का भी प्रस्ताव रखा, लेकिन शिवसेना नेतृत्व इसे लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आया। सूत्रों के मुताबिक शिवसेना का मानना है कि उसके पास अपने कार्यकर्ता और काडर की ताकत है जो किसी भी चुनाव को जीतने में सक्षम है। वहीं कुछ शिवसेना नेताओं का मानना है कि 2014 के चुनाव में अगर प्रशांत किशोर नहीं भी होते, तो भी नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी चुनाव जीत जाती। शिवसेना सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जीत दिलाने में नाकाम रहे, वहीं पंजाब में कांग्रेस की जीत का श्रेय कैप्टन अमरिंदर सिंह की लोकप्रियता को जाता है।
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