दिल्ली का जंतर-मंतर फिर बना असहमति की आवाज़ों का गवाह, छात्र-युवा शक्ति ने दिखाई अपनी ताकत

दिल्ली के छात्रों ने सरकार को साफ संदेश दे दिया है कि वह केंद्र सरकार की नीतियों से बेहद नाराज हैं। उनका मानना है कि संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के कारण देश के संविधान को जबरदस्त खतरा है।

फोटो : सैयद खुर्रम रज़ा
फोटो : सैयद खुर्रम रज़ा

युवाओं को देश का भविष्य कहा जाता है, इन्हें या तो कक्षाओं में होना था या लाइब्रेरी में, या फिर खेल के मैदान में। लेकिन यह सब के सब गुरुवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर मोदी सरकार द्वारा लाए गए संशोधित नागरिकता कानून को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे हैं। इन युवाओं नें नागरिकता संशोध कानून और मोदी सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है। युवाओं का मानना है कि देश का भविष्य और संविधान इस नए कानून के कारण खतरे में पड़ गया है। वाम मोर्चे के इस प्रदर्शन में सभी विश्वविद्यालयों को छात्रों ने जोश के साथ हिस्सा लिया।

वाम मोर्चे के इस प्रदर्शन को दिल्ली के मंडी हाऊस से शुरु होकर पार्लियामेंट स्ट्रीट तक जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसे रोकने की कोशिशें शुरु कर दी। दिल्ली पुलिस ने न्यूज एजेंसी को बयान दिया कि इस रैली और मार्च की कोई अनुमति नहीं है। इसके चलते शुरु में जो लोग मंडी हाऊस पहुंचे उन्हें पुलिस ने हिरासत में लेकर बसों में बिठाकर दिल्ली के अलग-अलग थानों में पहुंचा दिया। जिन लोगों को पुलिस ने मंदिर मार्ग थाने में हिरासत में रखा उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन की पत्नी और बेटा भी शामिल थे। शाम को इन लोगों को रिहा कर दिया गया।


लेकिन, पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी इस मार्च को जारी रखा गया। मंडी हाऊस पर लोगों को हिरासत में लिए जाने के बाद कुछ ही दूर बाराखंभा रोड पर आसपास की गलियों से आए लोगों ने मार्च शुरु कर दिया। प्रदर्शनकारियों के पीछे बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स मौजूद थी। कम लोगों का यह कारवां जैसे-जैसे आगे बढ़ा, वैसे-वैसे लोगों की संख्या भी बढ़ती चली गई और जंतर-मंतर पहुंचते-पहुंचते सैकड़ों लोग जमा हो गए। पुलिस ने इन लोगों को जंतर-मंतर से आगे नहीं जाने दिया, लेकिन वहां जनसभा करने की अनुमित दे दी। मंडी हाऊस से शुरु हुआ मार्च अब तक हजारों की भीड़ में बदल चुका था। इस प्रदर्श में बड़ी संख्या में छात्र भी मौजूद थे। इन लोगों ने नागरिकता संशोधन कानून और नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाए।

जंतर-मंतर पर नारेबाजी के बीच प्रदर्शनकारियों ने कहा कि देश को मोदी और शाह से आजादी चाहिए। देश को नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी से आजादी चाहिए। इस दौरान जंतर मंतर पर लोगों का भारी हुजूम जमा हो चुका था। इस दौरान कई लोगों ने प्रदर्शनकारियों के लिए खाने और पानी की व्यवस्था की थी। इसके अलावा तमाम छात्र प्रदर्शनकारियों को पैटीज और केले बांटते भी दिखे। कई जगह कुछ छात्र नए-नए पोस्टर लिखकर लोगों को बांट रहे थे। इसी दौरान प्रदर्शन में शामिल कुछ मुस्लिमों ने प्रदर्शन स्थल पर ही नमाज भी अदा की।


इस प्रदर्शन में जहां ज्यादा संख्या छात्रों की थी, वहीं इसमें बुर्का पहने महिलाएं भी अच्छी संख्या में नजर आईं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि विरोध की आवाजें अब कितनी मुखर हो चुकी हैं। वाम मोर्चे के आव्हान पर बुर्कापोश महिलाओं का प्रदर्शन में शामिल होना बड़ा परिवर्तन है। ध्यान रहे कि वाम मोर्चा मुस्लिम धार्मिक लोगों से दूरी बनाकर रखता है।

नारे, गीत, एक से बढ़कर एक पोस्टर ने इस विरोध प्रदर्शन को एक अलग रूप दे दिया। इस दौरान एक लड़का और लड़की ऐसा पोस्टर लिए हुए दिखे, जिस पर लिखा था कि प्रधानमंत्री बीमार हैं, उनकी मदद करो। दूसरी तरफ पुलिस के सामने खड़े होकर सीएए और एनआरसी के साथ ही केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पुलिस और सीआरपीएफ जवानों से भी उनके साथ आने को कहता दिखा। इस प्रदर्शन में लेखिका अरुंधति रॉय, सामाजिक कार्यकर्ता कविता कृष्णन, प्रोफेसर अपूर्वानंद, सीपीआई नेता डी राजा आदि भी मौजूद रहे।


दिल्ली के छात्रों ने इस विरोध प्रदर्शन में अपनी ताकत का ऐहसास करा दिया है और संदेश दे दिया है कि वे केंद्र सरकार की नीतियों से नाराज हैं और संशोधित नागरिता कानून देश और संविधान के लिए खतरा है।

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